20.2 C
Lucknow
Online Latest News Hindi News , Bollywood News

दिमागी खेलों को भी शारीरिक खेलों की तरह समान रूप से प्रोत्साहित करने की आवश्‍यकता: उपराष्‍ट्रपति

देश-विदेश

नई दिल्लीः उपराष्‍ट्रपति श्री एम.वेंकैया नायडू ने कहा है कि दिमागी खेलों को भी शारीरिक खेलों की तरह सहयोग की आवश्‍यकता है। उन्‍होंने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि शारीरिक क्षमताओं की अपनी सीमाएं है, लेकिन दिमाग की क्षमता असीमित है और इसकी क्षमताओं का दोहन करना होगा। वह आज वर्ल्‍ड मेमोरी स्‍पोर्ट्स काउंसिल फॉर इंडिया के दल को संबोधित कर रहे थे। यह दल पिछले माह चीन के शेन्झेनशहर में आयोजित विश्व मेमोरी चैंपियनशिप में चौथे स्थान पर रहा था।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि दिमागी खेल युवाओं और छात्रों की एकाग्रता और रचनात्मकता को बढ़ाकर जीवन मे सफलता प्राप्त करने में योगदान देते हैं। उन्होंने कहा कि हमें रटने की बजाय विश्लेषणात्मक और तार्किक चिंतन की तरफ अग्रसर होना चाहिए। श्री नायडू ने कहा कि अवधारणा का निर्माण और समझ बेहद महत्वपूर्ण पहलू हैं।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि हमें एक समग्र शिक्षा प्रणाली की जरूरत है। उन्होंने कहा कि रटने वाली पढ़ाई, माता-पिता की ज्यादा उम्मीदें, बढ़ती प्रतिस्पर्धा और शैक्षणिक संस्थानों की उच्च रैंक प्राप्त करने की लालसा छात्रों के बीच तनाव और बैचेनी के कारण हैं। श्री नायडू ने कहा कि तनाव के कारण छात्रों द्वारा आत्माहत्या की ख़बरें दुख:द हैं। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि संस्थान, सरकारों और समाज को एकजुट होकर तनावग्रस्त छात्रों का सहयोग कर ऐसे मामलों को रोकना होगा। उन्होंने कहा कि रटंत प्रणाली के तहत छात्र विषय की बुनियाद को समझे बिना सिर्फ परीक्षा में उत्तीर्ण होने के लिए लिखते हैं।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि स्वस्थ्य मस्तिष्क के लिए प्रत्येक भारतीय को याददाश्त के इन तरीको को सीखने की जरूरत है और इन दिमागी खेलों को नियमित रूप से खेलने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि यदि छात्र याददाश्त के तरीकों में निपुण होते हैं तो वे बेहतर तरीकें से काम कर सकते हैं और उन्हें पढ़ाई से इतर अन्य गतिविधियों के लिए भी समय मिलेगा जिससे उनका समग्र विकास होगा।

Related posts

Leave a Comment

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More