नई दिल्ली: दिल्ली की संस्था शोल्डर टू शोल्डर के तहत ये इफ्तार प्रोग्राम एवान-ए-शाही रेस्तरां में रविवार शाम 6 बजे शुरू होगा, इफ्तार की तैयारी कर रहे इर्तजा कुरैशी ने नवभारत टाइम्स को बताया की , पता नहीं फतवा सच है या नहीं, अगर ऐसा कुछ फतवा आता भी है तो हम उसके खिलाफ हैं।
घर में शौहर-बीवी, भाई, बहन, मां-बाप सबकी अलग-अलग राय होती है। इसका मतलब ये नहीं कि जिनकी राय अलग है, वो आपस में दुश्मनी पाल लें। एक दूसरे से नफरत करें। इर्तजा ने बताया कि इफ्तार एक साथ करने के बाद शिया-सुन्नी एक साथ ही नमाज भी पढ़ेंगे।
शोल्डर टू शोल्डर एक कैंपेन है, जो लोगों को साथ मिलकर रहने की अपील करता है। ये कैंपेन कभी क्रिसमस पर तो कभी दिवाली पर भी होता है।
इस इफ्तार के बारे में इतिहासकार राना सफवी ने बताया कि ढाई आखर प्रेम के, इस तर्ज पर जिंदगी जीना चाहिए। नफरत किसी का भला नहीं करती। ये इफ्तार भाईचारे की अपील है।
इबादत करने के लिए घर हैं, इबादतगाह हैं। जब बाहर किसी से मिलो तो इंसानियत जिंदा रहे। सब मोहब्बत से रहें। अगर ऐसा कोई फतवा आया है तो वो नफरत को बढ़ाने के सिवा किसी कुछ नहीं देता। मोहब्बतों को कायम करने के लिए ऐसे आयोजन होने चाहिए, क्योंकि हम सब एक हैं, कोई किसी का दुश्मन नहीं।
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