नई दिल्ली: दीन दयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (डीएवाई-एनआरएलएम) 3.6 करोड़ से भी अधिक परिवारों के जीवन और आजीविका में अहम बदलाव ला रहा है। यही नहीं, इन परिवारों की महिलाएं स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) में शामिल हो गई हैं। एसएचजी, ग्राम संगठनों (वीओ) और क्लस्टर लेवल फेडरेशन (सीएलएफ) के अंतर्गत महिलाओं की सामूहिक संस्थाओं ने परिवर्तनकारी सामाजिक प्रधानता विकसित की है, जिससे महिला-पुरुष संबंधों में बदलाव आ रहा है, सेवाओं तक पहुंच सुनिश्चित हो रही है और ग्राम सभाओं एवं पंचायती राज संस्थानों में उनकी भागीदारी संभव हो पा रही है। इस कार्यक्रम से महिलाओं का विश्वास बढ़ा है जिसके फलस्वरूप वे आजीविका में विविधीकरण के लिए एक निरंतर समुदाय संसाधन व्यक्ति (सीआरपी) के नेतृत्व में मार्गदर्शन के जरिए कौशल एवं सक्षमताओं का विकास करने के बाद आर्थिक गतिविधि के लिए बैंक से ऋण पाने का प्रयास करने लगी हैं। 1.50 लाख महिला समुदाय संसाधन व्यक्ति (सीआरपी), जो खुद गरीबी के दायरे से बाहर आ गई हैं, आज सतत कृषि को बढ़ावा देने, बैंकिंग सेवाएं मुहैया कराने और पशुओं की देखभाल के लिए पैरा वेट्स का एक कैडर विकसित करने में परिवर्तन के महान कारकों (एजेंट) के रूप में उभर कर सामने आ चुकी हैं। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि ये महिला सीआरपी गांवों में सामाजिक बदलाव लाने में भी अहम भूमिका अदा करने लगी हैं।
वर्ष 2011 में इस कार्यक्रम की शुरुआत से लेकर अब तक एसएचजी की महिला सदस्यों ने बैंक ऋण के रूप में 1.06 लाख करोड़ रुपये की राशि तक अपनी पहुंच सुनिश्चित कर ली है। वर्ष 2014-15 में 20,000 करोड़ रुपये के बैंक लिंकेज रहे, जबकि वर्ष 2015-16 में एसएचजी ने ऋण के रूप में 30,000 करोड़ रुपये से भी अधिक की राशि प्राप्त की। फरवरी 2017 तक 29,000 करोड़ रुपये से भी अधिक राशि का वितरण हो चुका है और वित्त वर्ष 2016-17 में लगभग 35,000 करोड़ रुपये से लेकर 38,000 करोड़ रुपये तक की राशि ऋण के रूप में जुटाये जाने का अनुमान है। वर्ष 2016-17 में बैंक लिंकेज के विश्लेषण से अनेक राज्यों जैसे कि असम, बिहार, ओडिशा, राजस्थान और पश्चिम बंगाल में क्रेडिट लिंकेज में उल्लेखनीय वृद्धि होने की जानकारी मिली है। यही नहीं, देश भर में बैंक लिंकेज का प्रसार हुआ है क्योंकि एसएचजी अनेक उत्तरी राज्यों में भी गरीबों के जीवंत एवं मजबूत संस्थानों के रूप में उभर कर सामने आये हैं। एसएचजी देश के दक्षिणी राज्यों में पहले से ही मजबूत एवं जीवंत रहे हैं।
दीन दयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (डीएवाई-एनआरएलएम) के तहत टिकाऊ कृषि के तौर-तरीकों को बढ़ावा देने के लिए महिला किसान सशक्तिकरण परियोजना (एमकेएसपी) के अंतर्गत 30 लाख से भी अधिक महिला किसानों को सहायता सुलभ कराई गई है।
दीन दयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (डीएवाई-एनआरएलएम) कार्यक्रम देश की लगभग एक तिहाई ग्राम पंचायतों में अपनी पहुंच सुनिश्चित कर चुका है और इसके साथ ही इस कार्यक्रम के समेकन एवं विस्तारीकरण के लिए भी निरंतर प्रयास किये जा रहे हैं।