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“देश के कानून का अनुपालन किया जाना चाहिए, क्‍योंकि अधिकांश प्रजातियां विलुप्त होने की कगार पर हैं”: डॉ. हर्षवर्धन

“Law of the land must be upheld, as many species are on the verge of extinction” Dr. Harsh Vardhan
कृषि संबंधितदेश-विदेश

नई दिल्ली: वन्‍य जीवन के खिलाफ होने वाले अपराधों के बारे में जागरूकता और संवेदनशीलता फैलाने की जरूरत पर जोर देते हुए केन्‍द्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि देश के कानून का अनुपालन किया जाना चाहिए, क्‍योंकि अनेक प्रजातियां विलुप्‍त होने की कगार पर हैं।

     सशस्‍त्र सीमा बल (एसएसबी) द्वारा आज विज्ञान भवन में ‘वन्‍य जीवन अपराधों से निपटने में सुरक्षा बलों की भूमिका’ विषय पर आयोजित इस सेमिनार के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए डॉ. हर्षवर्धन ने मनुष्‍यों को प्रकृति के साथ सद्भाव से रहने की जरूरत पर जोर देते हुए कहा कि आज वन्‍य जीवों की अधिकांश प्रजातियां लुप्‍त प्राय: होने वाली सूची में शामिल हो गई हैं।

   डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि  सशस्त्र सीमा बाल (एसएसबी) का काम बड़ा कठिन है क्योंकि यह पड़ोसी देशों के साथ खुली सीमाओं की सुरक्षा करता है, जहां बल को अकेले ही देश के कानून को लागू करने के लिए इस्‍तेमाल नहीं किया जा सकता है। उन्‍होंने यह भी बताया कि भारत की स्‍वतंत्रता के बाद विकास गतिविधियों में काफी बढ़ोतरी हुई है और इस प्रक्रिया में लोगों ने कृषि तथा औद्योगिकी उपयोग के लिए वनों की कटाई करके जंगली जानवरों के प्राकृतिक आवास नष्‍ट कर दिये हैं। मानव गलतियों के चलते पर्यावरण और जंगली जानवरों को भारी नुकसान पहुंचा है। कुछ पेड़-पौधे और जंगली जानवर या तो विलुप्‍त हो गए हैं या विलुप्‍त होने की कगार पर हैं। जो कुछ बचा है अगर उसकी सुरक्षा नहीं की गई, तो आने वाले दिनों में हमें जंगल और जंगली जानवर केवल किताबों में ही देखने को मिलेंगे। डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि वह अपनी सहायक एजेंसियों, एनजीओ और विशेष गणमान्‍य व्‍यक्तियों के साथ मिलकर इस सेमिनार का आयोजन करने में एसएसबी की पहल की सराहना करते हैं। उन्‍होंने यह भी कहा कि ऐसे सेमिनार अंतर-विभागीय सेमिनार को बढ़ावा देते हैं और इस प्रक्रिया में वनों तथा जंगली जानवरों के खिलाफ होने वाले अपराधों की पड़ताल की जा सकती है। उन्‍होंने उपस्थित जनों को आश्‍वासन दिया कि सेमिनार के दौरान की गई सिफारिशों की पर्यावरण और वन मंत्रालय द्वारा जांच की जाएगी और इन्‍हें लागू करने के लिए कार्य बिन्‍दु बनाए जाएंगे।

      अपने स्‍वागत भाषण में एसएसबी की महानिदेशक श्रीमती अर्चना रामासुंदरम ने सभी गणमान्‍य व्‍यक्तियों, सहायक एजेंसियों और एनजीओ के प्रतिनिधियों से अपील की कि वनों और जंगली जानवरों की सुरक्षा के लिए दीर्घकालिक रणनीति तैयार करने के लिए अपने विचार व्‍यक्‍त करें। उन्‍होंने कहा कि सशस्‍त्र सीमा बल की कुल 629 सीमा चौकियां और 229 बीओपी वर्गीकृत वन्‍य क्षेत्रों में स्थित हैं। इस दिशा में सशस्‍त्र सीमा बल के प्रयासों के बारे में जानकारी देते हुए उन्‍होंने कहा कि इस बल ने 60 मामलों में न केवल 62 अपराधियों को गिरफ्तार किया है, बल्कि टोके-छिपकली और सेंड-बो सांपों का जीवन बचाया है। उन्‍होंने बताया कि इस वर्ष केवल आठ महीनों में 85 मामले दर्ज किये गये हैं और 95 तस्‍करों को गिरफ्तार किया गया है। इसके अलावा एसएसबी ने गुप्‍त प्राय: प्रजातियों, हिरणों, कछुओं, खरगोश, कबूतरों के शरीर के अंगों और हाथी दांतों को जब्‍त किया गया है।

   इस सेमिनार का उद्देश्‍य सीएपीएफ और अन्‍य हितधारकों को वन्‍य जीवन के बढ़ते व्‍यापार के प्रति संवेदनशील बनाना और इस बारे में अंतर एजेंसी सहयोग की आवश्‍यकता पर जोर देना है। वन्‍य जीवन अपराध नियंत्रण ब्‍यूरो की एडीजी श्रीमती तिलोत्‍मा वर्मा तथा अन्‍य गणमान्‍य व्‍यक्तियों ने भी इस सेमिनार में भाग लिया।

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