लखनऊ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वध के लिए पशु बाजार से मवेशियों की खरीद-बिक्री पर प्रतिबन्ध सम्बन्धी केन्द्र सरकार के फैसले का विरोध में केरल में ’बीफ फेस्ट’ (गोमांस भोज) आयोजित करने की कड़ी आलोचना की है। उन्होंने कहा कि दिल्ली यूनिवर्सिटी (डीयू), जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) की घटनाओं पर बोलने वाले इस घटना पर मौन क्यों हैं, उनका मुंह क्यों बन्द है। उन्हांेने कहा कि जबकि देश के अन्दर हर खड़यंत्र पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (अभविप) मुखर होकर सामने आता रहता है। भारत की मूल परम्परा राष्ट्रवाद की है और अभविप इसे शुरू से ही अपना रहा है। संगठन की इस मुहिम का हम स्वागत करते हैं। इसे और आगे बढ़ाने की जरूरत है, जिससे छदम पाखण्ड का पर्दाफाश हो और देश को क्षत विक्षत करने वालों के मंसूबे ध्वस्त हो सकें।
मुख्यमंत्री रविवार को यहां अभविप की राष्ट्रीय कार्यकारी परिषद की बैठक के दौरान आयोजित नागरिक अभिनन्द समारोह में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि विद्यार्थी परिषद ने स्वामी विवेकानन्द को अपना आदर्श मानकर आजादी के बाद युवा शक्ति को नई ताकत देने काम किया। स्वामी विवेकानन्द ने कहा था कि अगर किसी देश के भविष्य को देखना हो, तो वहां के छात्र-छात्राओं के क्रियाकलाप को देखकर देश के भविष्य का अनुमान लगा सकते हैं।
संघ ने अभविप के जरिए दिया मातृभूमि के प्रति भाव रखने वाला संगठन
मुख्यमंत्री ने कहा कि आजाद भारत में देश के युवा की दिशा क्या हो, उन दायित्वों का निर्वाहन करने के उद्देश्य से राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने यह सोच दी और अभविप की स्थापना कर ऐसा छात्र संगठन दिया, जिसके अन्दर अपनी मातृ भूमि के प्रति भाव जागृत हो। मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वामी विवेकानन्द कहते थे कि अगर मेरे साथ सौ ऐसे युवा आ जाएं जो राष्ट्र के प्रति सोच रखते हों, तो हम देश को बदल सकते हैं। आज अभविप विवेकानन्द की सोच के मुताबिक देश की संस्कृति को आगे बढ़ाने का काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि संगठन के 05 लाख सदस्य और 800 शाखाएं इस दिशा में काम कर रही हैं।
शिक्षा में विषमता दूर करना बेहद जरूरी
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज बहुत सारी चुनौतियां हमारे सामने हैं। 1857 के बाद देश की एकता में सेंध लगाने का काम किया गया, उससे पहले देश को जाति के आधार पर बांटने खड़यंत्र हुआ, जिसमें देश फंसता चला गया। आज समाज को बांटने के लिए कितने खड़यंत्र होते हैं, आपको देखने को मिलता होगा, मगर इनका मुकाबला हम शिक्षा से कर सकते हैं। शिक्षा के क्षेत्र की विषमता को दूर करना होगा। इसके लिए अभविप कई रचनात्मक कार्यक्रम करता आया है।
उन्होंने कहा कि यही कारण है कि जब समाज और देश से जुड़ी ज्वंलत समस्या को लेकर अभविप काम करता है, तो उसके सकारात्मक परिणाम देखने को मिलते हैं। शिक्षा में समानता का प्रयास अगर हम करें तो देश की कई समस्याओं का समाधान सम्भव है।
पीएम ने विद्यालयों में शौचालय जैसी बुनियादी सुविधाओं का किया विस्तार
मुख्यमंत्री ने मौजूदा शिक्षा व्यवस्था में असमानता का मुद्दा उठाते हुए कहा कि एक जवान और किसान का बच्चा उन विद्यालयों में पढ़ता है, जहां कोई बुनियादी सुविधा नहीं है। जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शपथ ली तो देश के लाखों शिक्षण संस्थानों में शौचालय तक नहीं था, सरकार ने बुनियादी सुविधाओं में विस्तार करते हुए यह काम किया।
निजी स्कूलों में फीस विकास दर से भी बहुत ऊंची
योगी आदित्यनाथ ने कहा कि आजादी के तत्काल बाद भी यह काम हो सकता था, लेकिन नहीं हुआ। अल्पसंख्यक संस्थााओं को विशेष अधिकार दिया गया, इसके बाद जो स्थिति पैदा हुई, वह सबसे सामने है। उन्होंने कहा कि जिनके पास पैसा है, उनके लिए शिक्षण संस्थाओं की प्राथमिकता से स्थापना हुई शिक्षा में समानता नहीं हुई। आज बड़ी संख्या में अभिभावक फीस वृद्धि की शिकायत करते हैं, फीस की हालत है कि यह विकास दर से भी बहुत ऊंची है। जिनको अपने बच्चों को पढ़ाना है, उनकी जुबान बन्द हो जाती है।
पूर्वोत्तर भारत को शेष भारत से जोड़ने का काम किया अभविप ने
उन्होंने कहा कि हमने प्रदेश में शिक्षा में परिवर्तन करने की पहल की। अभविप इस दिशा में कोई प्रस्ताव, सलाह देगा, तो इस पर विचार होगा। उन्होंने कहा कि 22 करोड़ की आबादी के लिए समान पाठ्यक्रम करने में हम सफल होते हैं, तो यह हमारी बड़ी उपलब्धि होगी। इस दिशा में अभविप जैसे संगठन आगे आकर पहल करें, प्रयास करे। अभविप ने देश के अन्दर समय≤ पर ज्वलंत मुद्दे उठाये हैं। संगठन कई आन्दोलन करता आया है। पूर्वोत्तर भारत को शेष भारत से जोड़ने में भी इसने अहम भूमिका निभायी है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आाजदी के बाद भारत की शिक्षा को राष्ट्रीयता से जोड़ना था, लकिन उसे जाति, धर्म के आधार पर बांटने का प्रयास हुआ। वास्तव में अभविप की राष्ट्रवादी मुहिम में पूरे देश का 25 लाख छात्र इस अभियान में जुड़ा है। इसी तरह अगर पूरे देश के युवा इससे जुड़ेंगे और यह काम और सार्थक होगा।
योगी आदित्यनाथ ने कहा कि शैक्षिक गुणवत्ता को बनाये रखने, शिक्षा सभी के लिए सुलभ हो, शिक्षा हर बालक-बालिका तक पहुंचे, इसलिए अभविप अपनी मुहिम जारी रखे। उन्होंने कहा कि देश के कुछ विश्वविद्यालयों और अन्य स्थानों में भटकाव की जो स्थिति दिख रही है, उसके पीछे शिक्षा में विषमता अहम कारण है। इसलिए ऐसे खड़यंत्र रचे जाते हैं। उन्होंने कहा कि भारत की मूल परम्परा राष्ट्रवाद की है, इस व्यवस्था को पीएम मोदी के निर्देशन में चल रहे अभियानों योजनाओं में भी देख सकते हैं। इसी तरह अभविप इस दिशा में जिस तरह काम कर रहा है, वह स्वागत योग्य है। संगठन अपने उद्देश्य में और तेजी से काम करे।
देश के खिलाफ सजिश करने वालों को परिषद करेगा बेनकाब
इस मौके पर अभविप के राष्ट्रीय अध्यक्ष नागेश ठाकुर ने कहा कि देश के खिलाफ कुछ लोग साजिश कर रहे हैं। विद्यार्थी परिषद इनको बेनकाब करने का प्रसास कर रहा है। उन्होंने कहा कि सुक्मा नक्सली हमला चिंता का विषय है। केरल, पश्चिम बंगाल में राष्ट्रवादियों के साथ हिंसा का परिषद मुकाबला कर रहा है।
राष्ट्रीय अध्यक्ष ठाकुर ने कहा कि डाॅ. अंबेडकर से भी परिषद को लोग प्रेरणा लेते हंै। एबीवीपी ने युवा शक्ति तो सकारात्मक दिशा दी है। सस्ती, सुलभ, गुणवत्तायुक्त शिक्षा के लिए विद्यार्थी परिषद संघर्ष कर रहा है। संगठन भारतीय संस्कृति के बल पर वैश्विक समस्याओं का समाधान कर सकता है। अनेक देश विद्यार्थी परिषद के कार्याें से प्रेरणा लेते हैं। परिषद राष्ट्र विरोधी विचारों का विरोध करता है। देश राष्ट्रवाद के मौसम का अनुभव कर रहा है। अब देश के सैनिकों, वैज्ञानिकों के अभिनंदन का अवसर है। अन्याय कुरीतियों के खिलाफ संघर्ष जारी है।
राष्ट्रीय महामंत्री विनय बिद्रे ने कहा कि देश राष्ट्रवाद के मौसम का अनुभव कर रहा है। आज देश के सैनिकों वैज्ञानिकों के अभिनंदन का अवसर है। इसी के साथ सुकम जैसी नक्सली चिन्ता का विषय है। यह देश के खिलाफ कुछ लोग सजिश कर रहे है। विद्यार्थी परिषद इनको बेनकाब करने का काम कर रहा है।
इस मौके पर लखनऊ विवि के कुलपति प्रो0 एसपी सिंह, प्रदेश अध्यक्ष डा. राकेश द्विवेदी, ने अपने विचार व्यक्त किये।
इस मौके पर राष्ट्रीय संगठन मंत्री सुनील आम्बेकर,क्षेत्रीय संगठन मंत्री धर्मपाल, संपर्क प्रमुख सुनील वाष्र्णेय, प्रान्त संगठन मंत्री सत्यभान सिंह प्रदेश मंत्री रमन सिंह, विनय सिंह समेत अनेक लोग उपास्थित रहे।