देहरादून: नाबार्ड के तहत प्रस्तावों की डीपीआर तय समय सीमा में तैयार करते हुए भिजवाना सुनिश्चित किया जाए। विशेष रूप से इंजीनियरिंग विभाग अपना माइंडसैट बदलें और नए तरीके से सोचें व व्यवारिक योजनाएं बनाएं। सचिवालय में नाबार्ड से फंडिंग के लिए विभागों के विभिन्न प्रस्तावों की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने उक्त निर्देश दिए।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने विभागीय अधिकारियों से विभिन्न प्रस्तावों की बारीकी से जानकारी ली। उन्होंने पेयजल के अधिकारी से कुछ योजनाओं के संबंध में पूरी जानकारी न मिलने पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि बैठकों में पूरी तैयारी के साथ आना चाहिए। सभी इंजीनियरिंग विभागों के मुख्य अभियंताओं को भी फील्ड में जाना चाहिए और योजनाओं की फीजिबिलिटी जांचनी चाहिए।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने निर्देश दिए कि रेन वाॅटर हारवेस्टिंग पर आधारित मॉडल परियोजना तैयार की जाए। यह ऐसी योजना हो, जो एक बड़ी आबादी को वर्ष भर रेन वाॅटर से पीने व अन्य कार्यों के लिए पानी की आपूर्ति करें। उत्तरकाशी व टिहरी में कोल्ड वाॅटर फिशरिज की योजना बनाई जाए। कृषि, सिंचाई व मत्स्य विभाग समन्वित रूप से योजनाएं बनाएं। अपर मुख्य सचिव डॉ. रणवीर सिंह इसे कोऑर्डिनेट करेंगे।
बैठक में बताया गया कि नाबार्ड ने 750 करोड़ रूपए की फंडिंग की स्वीकृति दी है। आवश्यक होने पर इस सीमा को बढ़ाया भी जा सकता है। मुख्यतः लोक निर्माण विभाग के 250 करोड़ रूपए, सिंचाई विभाग के 170 करोड़ रूपए व पेयजल विभाग के 135 करोड़ रूपए के प्रस्ताव हैं।
बैठक में मुख्य सचिव श्री एस.रामास्वामी, अपर मुख्य सचिव श्री ओमप्रकाश, डॉ.रणवीर सिंह सहित शासन व नाबार्ड के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।