भूटान के प्रधानमंत्री शोरिंग तोबगे ने आज भूटान की राजधानी थिंपू में पूर्व मुख्यमंत्री एवं संसदीय समिति के अध्यक्ष डॉ निशंक को हैप्पीनेस अवार्ड से सम्मानित किया ।। डॉ निशंक को सम्मान देते हुए प्रधानमंत्री शोरिंग तोबगे ने कहा कि आपने अपने साहित्य से, समाज सेवा से, राजनीतिक सेवा से विश्व में प्रसन्नता हैप्पीनेस को फैलाया है और आप हमारे हैप्पीनेस के ब्रांड एंबेसडर हैं ।
अपने वक्तव्य में प्रधानमंत्री ने डॉ निशंक को अपने साहित्य, समाज सेवा, पर्यावरण संरक्षण के कार्यों द्वारा विश्व में प्रसन्नता बढ़ाने के लिए योगदान पर बधाई दी ।
ज्ञातव्य है कि भूटान ने 70 के दशक में जीडीपी को विकास का आधार ना मानकर ग्रास हैप्पीनेस प्रोडक्ट यानी प्रसन्नता पर आधारित सूचकांक विकसित करने पर जोर दिया । डॉ निशंक ने भूटान में अपने आतिथ्य के लिए प्रधानमंत्री को धन्यवाद अर्पित करते हुए भारत भूटान के सदियों पुराने संबंध की चर्चा की । डॉ निशंक ने हिमालय और पर्यावरण से जुड़े कई मुद्दों पर भी प्रधानमंत्री से चर्चा की । इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने डॉ निशंक की चुनिंदा कहानियों के अंग्रेजी अनुवाद का लोकार्पण किया । डॉ निशंक ने प्रधानमंत्री से हिमालय के पर्यावरण संरक्षण संवर्धन के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर समग्र प्रयास किए जाने पर बल दिया ।
डॉ निशंक ने इस बात पर जोर दिया कि हिमालय क्षेत्र के नियोजन हेतु एक पृथक व्यवस्था खड़ी की जानी चाहिए । हिमालय की भौगोलिकता,आवश्यकताएं , संवेदनशीलता पूरी तरह से अलग है ।
डॉ निशंक ने भूटान के प्रधानमंत्री को हरिद्वार गंगा स्नान का निमंत्रण भी दिया । डॉ निशंक ने भूटान एवं भारत के मध्य कौशल विकास, पर्वतीय कृषि ,जैविक तकनीकी और शिक्षा से जुड़े मामलों में सहयोग किए जाने का आग्रह किया । भूटान प्रधानमंत्री द्वारा डॉ निशंक की स्पर्श गंगा मुहिम की प्रशंसा की गई ।
डॉ निशंक ने कहा कि यदि पूरे परिप्रेक्ष्य में देखें तो ये जो हिमालयी क्षेत्र है यह दुनिया की अनमोल धरोहर है।दुनिया में चाहे वह भारत का वह बड़ा क्षेत्र हो,नेपाल हो,भूटान हो,म्यांमार हो,अफगानिस्तान हो या फिर पाकिस्तान हो लगभग 5-6 देश ऐसे हैं जो हिमालय की बेल्ट से जुडे हैं और लगभग इससे 120 करोड़ लोग प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से लाभान्वित होते हैं।यह जैव विविधता से लेकर और हिमालय क्षेत्र पूरी दुनिया के लिए वॉटर टावर है,शक्ति का केंद्र है,पर्यावरण की पहली पाठशाला है।यहाँ का जो मानव है वह पूरी दुनिया में सहजता व सरलता,पुरुषार्थ व जिस तरह की सौम्यता है ये साबित करने में सिद्ध होता है कि मनुष्य दुनिया के लिए एक भगवान की अद्भुत कृति के रूप में है।इसलिए हिमालय की जो सांस्कृतिक,भौगोलिक, आर्थिक, पर्यावरणिक है।हर दृष्टि से यह बिल्कुल अलग है और हिमालय की इस निधि को संजोए रखने का काम पूरी दुनिया का होना चाहिए।भूटान के प्रधानमंत्री जी से जो चर्चा हुई इन्हीं सारी बिंदुओं को लेकर हुई ।जब मैं उत्तराखंड का मुख्यमंत्री था तब भी मैंने जो हिल स्टेट के सभी मुख्यमंत्रियों का जो कॉन्क्लेव हुआ था,तब मेरे द्वारा क्लीन बोनस की बात उठायी थी।हमारे प्रधानमंत्री जी ने जो स्विट्जरलैंड में जो एक बड़ा सम्मेलन हुआ था उसमें आतंकवाद, संरक्षणवाद और पर्यावरण को लेकर ये सारी चुनौती विश्व के सामने रखी थी और उसी पर हमारी चर्चा हुई। आज का जो मेरा उत्तराखंड है वो हिमालय का महत्वपूर्ण स्थान है,वो अध्यात्म का केंद्र है,वो शक्ति का केंद्र है,वो पुरुषार्थ का केंद्र है इसीलिए उत्तराखंड, हिमालय और मेरा देश भारत और भूटान के अभिन्न संबंध स्थापित हों।इन सभी बिंदुओं पर भूटान के प्रधानमंत्री जी से चर्चा हुई।मुझे पूरा विश्वास है कि चाहे कौशल विकास हो,वहाँ की जड़ी बूटी संसाधन है,उत्तराखंड व हिमालय लगभग एक जैसा क्षेत्र है और इन्ही सब विषयों को लेकर मेरी मुलाकात प्रधानमंत्री जी से हुई।