लखनऊ: 08 फरवरी, 2015, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने कहा है कि नीति आयोग के संचालन हेतु नियमावली व प्रक्रिया इस प्रकार निर्धारित हो कि वह राज्यों को साथ लेते हुए विकास की गति को आगे बढ़ाए। उन्होंने केन्द्रीय प्लान बजट का कम से कम 50 प्रतिशत हिस्सा राज्यों को एकमुश्त उपलब्ध कराए जाने की मांग की, ताकि प्रदेश स्थानीय जरूरतों और प्राथमिकताओं के मुताबिक योजनाएं लागू कर सके। राज्य सरकार प्रदेश के विकास के लिए प्रतिबद्ध है और इस ओर अपने संसाधनों से पूरी कोशिश कर रही है। इसके दृष्टिगत राज्य सरकार की केन्द्र सरकार से अपेक्षा है कि वह उत्तर प्रदेश की जरूरतों और समस्याओं पर ध्यान दे।
मुख्यमंत्री आज नई दिल्ली में नीति आयोग की शासी परिषद की पहली बैठक में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। उन्होंने नीति आयोग की कार्य प्रणाली में सुस्पष्ट और पारदर्शी प्रक्रिया अपनाए जाने पर जोर देते हुए इस सम्बन्ध में एक उप समिति के गठन का सुझाव दिया, जिसमें आयोग के सदस्य एवं राज्यों का प्रतिनिधित्व हो। यह उप समिति एक निश्चित समय सीमा में अपनी विस्तृत संस्तुति शासी परिषद को सौंपेगी, जिसके अनुमोदन के बाद आयोग द्वारा ग्रहण कर लिया जाएगा।
श्री यादव ने कहा कि नीति आयोग के नवीन स्वरूप से यह स्पष्ट नहीं हो पा रहा कि राज्यों और केन्द्र सरकार के मंत्रालयों के बीच किस प्रकार ताल-मेल कायम होगा, पिछड़े तथा कमजोर राज्यों को वरीयता प्रदान करते हुए उन्हें संसाधनों के हस्तान्तरण का कार्य किस प्रकार से व किस संस्था द्वारा किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने इस बात पर ध्यान आकृष्ट कराया कि आयोग की शासी परिषद और राष्ट्रीय विकास परिषद के गठन का स्वरूप लगभग समान है। इसलिए राष्ट्रीय विकास परिषद के बारे में भी स्थिति स्पष्ट होनी चाहिए। दोनों संस्थाओं को समानान्तर रूप से बनाए रखना औचित्यपूर्ण नहीं है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार का यह मत है कि देश के विभिन्न पिछड़े क्षेत्रों के आर्थिक विकास की बाधाओं को दूर करते हुए नीति आयोग उनके समग्र विकास को द्रुत गति प्रदान करेगा। उन्होंने कहा कि बजट का बड़ा अंश केन्द्र द्वारा रखे जाने के बजाए उसे राज्यों को हस्तान्तरित किए जाने की व्यवस्था होनी चाहिए। राज्य सरकार का मानना है कि केन्द्रीय प्लान बजट का कम से कम 50 प्रतिशत हिस्सा राज्यों को एकमुश्त धनराशि के रूप में उपलब्ध कराया जाए, ताकि प्रदेश स्थानीय जरूरतों और प्राथमिकताओं के मद्देनजर योजनाएं कार्यान्वित कर सके।
श्री यादव ने कहा कि जब तक नीति आयोग की नई व्यवस्थाएं धरातल पर नहीं उतर आती तब तक, विशेष रूप से यह देखते हुए की 12वीं पंचवर्षीय योजना का तीसरा वर्ष चल रहा है, पूर्ववर्ती वार्षिक योजना व्यवस्था को फिलहाल बनाए रखना उचित होगा। उन्होंने कहा कि दूरगामी परिणाम वाली रणनीति के तहत 10-15 वर्षों की दीर्घकालीन योजनाएं बनाना वर्तमान परिदृश्य में आवश्यक तो है, परन्तु पंचवर्षीय योजनाएं समयबद्ध ढंग से बनाने की वर्तमान प्रणाली को बनाए रखना उचित होगा।
व्यवस्था ऐसी बनाई जानी चाहिए कि वित्तीय संसाधनों के आवंटन में विवेक की कोई गुंजाइश नहीं रखनी चाहिए। पारदर्शितापूर्ण तरीके से वस्तुपरक मानक के माध्यम से राज्यों के मध्य संसाधनों का बंटवारा हो और इस बंटवारे में पिछड़े क्षेत्रों/राज्यों की आवश्यकता को वरीयता दी जानी चाहिए।
केन्द्र सरकार द्वारा अवस्थापना परियोजनाओं को महत्व दिए जाने का उल्लेख करते हुए मुख्यमंत्री ने बताया कि मुख्य सचिव की अध्यक्षता में प्रोजेक्ट माॅनीटरिंग ग्रुप की स्थापना राज्य सरकार द्वारा की गई है। प्रमुख सचिव, प्रधानमंत्री के 28 जनवरी, 2015 के पत्र के क्रम में मुख्य सचिव द्वारा विस्तृत परीक्षण कर उत्तर भेज दिया गया है। यद्यपि स्थानीय स्तर पर केन्द्र सरकार के अधिकारियों द्वारा इन बिन्दुओं पर पूर्व में ध्यान आकृष्ट नहीं किया गया था।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार के जो विभिन्न प्रस्ताव एवं अपेक्षित स्वीकृतियां केन्द्र सरकार के स्तर पर लम्बित हैं, उन पर नीति आयोग एवं प्रधानमंत्री कार्यालय स्तर पर प्रोजेक्ट माॅनीटरिंग ग्रुप की व्यवस्था की जाए और उसमें राज्य सरकार के अधिकारियों को भी सम्मिलित किया जाए। उन्होंने कहा कि लखनऊ मेट्रो, जिसकी सैद्धान्तिक सहमति और बजट प्राविधान, दोनों ही केन्द्र सरकार द्वारा पूर्व में ही किए जा चुके हैं, उसकी स्वीकृति भी केन्द्र सरकार के स्तर पर काफी दिनों से लम्बित चल रही है, जबकि समस्त औपचारिकताएं राज्य सरकार ने पूरी कर दी हैं। उन्होंने कहा कि अपने विचारों के प्रति प्रतिबद्धता दर्शाते हुए प्रधानमंत्री और केन्द्र सरकार को तत्काल लखनऊ मेट्रो को मंजूरी देनी चाहिए।
श्री यादव ने कहा कि प्रदेश के राष्ट्रीय राजमार्गों का बेहतर और उचित रख-रखाव नहीं हो पा रहा है। इस सम्बन्ध में केन्द्रीय मंत्री श्री नितिन गडकरी के लखनऊ आगमन पर उनके साथ विस्तृत चर्चा की गई थी। उन्होंने अवस्थापना के दृष्टिगत प्रदेश के राष्ट्रीय राजमार्गों की मरम्मत और अनुरक्षण की स्थिति को और बेहतर किए जाने की मांग की, ताकि आम जनता के साथ-साथ उद्योग व्यवसायों को भी इसका लाभ मिल सके।
राज्य की आम जनता को पर्याप्त बिजली उपलब्ध कराने के प्रति प्रदेश सरकार की प्रतिबद्धता दोहराते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि केन्द्र सरकार के स्तर पर कोल ब्लाॅक आंवटन, केन्द्रीय विद्युत परियोजनाओं से पर्याप्त विद्युत आपूर्ति, विभिन्न पर्यावरणीय क्लीयरेन्स जैसी समस्याएं लम्बित हैं। विद्युत और कोयला राज्य मंत्री से इस बारे में हुई विस्तृत चर्चा का उल्लेख करते हुए उन्होंने प्रधानमंत्री से इस सम्बन्ध में हस्तक्षेप करने का आग्रह किया। श्री यादव ने यह मांग भी की कि प्रदेश में बेहतर विद्युत आपूर्ति के लिए केन्द्र सरकार से जो अपेक्षाएं हैं, जिनका उनके द्वारा पूर्व में भी उल्लेख किया गया था, इनका स्थायी निराकरण किया जाना चाहिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर विकास की चुनौतियों का सामना करने के लिए केन्द्र सरकार द्वारा कतिपय महत्वपूर्ण पहल की गई है, लेकिन यह अभी तक इरादों तक ही सीमित है। इसके क्रियान्वयन हेतु वित्तीय व अन्य संसाधन तथा राज्यों की सक्रिय सहभागिता जरूरी होगी। प्रदेश सरकार अपने स्तर से इनमें से विभिन्न बिन्दुओं पर पहले से कार्य कर रही है। विशेष रूप से कौशल विकास, सोलर पार्कों की स्थापना, डिजीटल डिवाइड दूर करने के लिए आई0टी0 सेवाओं को जनोपयोगी बनाने, नई बैंक शाखाओं की स्थापना तथा बालिका शिक्षा के क्षेत्र में राज्य सरकार बेहतर कार्य कर रही है। महिलाओं के कल्याण के लिए विशेष रूप से अनेक प्रयास किए जा रहे हैं। अवस्थापना के क्षेत्र में भी प्रदेश सरकार के महत्वपूर्ण कार्य प्रगति पर हैं। इनमें आगरा से लखनऊ एक्सप्रेस-वे, 4 शहरों में मेट्रो रेल का कार्य, आई0टी0 सिटी लखनऊ आदि प्रमुख हैं। राज्य सरकार ने वर्ष 2015-16 के विकास एजेण्डा को अन्तिम रूप दे दिया है और बजट की व्यवस्था भी कराई जा रही है।
श्री यादव ने कहा कि भारत के संविधान के अनुच्छेद-263 के अधीन जहां पूर्व से अन्तर्राज्यीय परिषदों का गठन है, वहीं स्टेट री-आॅर्गनाइजेशन एक्ट-1956 के अन्तर्गत क्षेत्रीय परिषदें भी गठित हैं। हाल ही में, लखनऊ में मध्य क्षेत्रीय परिषद की बैठक गृह मंत्री की अध्यक्षता में आयोजित भी हुई थी। ऐसे मंे उचित होगा कि इन्हीं क्षेत्रीय परिषदों को आवश्यकतानुसार परिवर्तित कर सुदृढ़ करते हुए प्रभावशाली बनाया जाए। विभिन्न सेक्टरों के लिए स्थायी कार्यदल गठित किए जाएं, जिनमें सेक्टर से सम्बन्धित मंत्रालयों के साथ ही राज्यों का पूरा प्रतिनिधित्व हो।
भारतीय संविधान की प्रस्तावना के अनुरूप व्यवस्था स्थापित किए जाने के प्रति राज्य सरकार के दृढ़ संकल्प का उल्लेख करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि समाज के अन्तिम छोर पर खड़े आमजन को विकास की हर सुविधा दिया जाना उनके आंसू पोछकर बेहतर भविष्य के सपनों को साकार करना प्रदेश सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। अमीर और गरीब के बीच की खाई को पाटने के लिए गरीबों और गांव वालों को मूलभूत सुविधाएं प्रदान करने के लिए सरकार लगातार प्रयासरत है। किसानों, गरीबों, छात्रों, नौजवानों, अल्पसंख्यकों, बच्चों और महिलाओं आदि के शैक्षिक, सामाजिक और आर्थिक विकास की कई परियोजनाओं पर निरन्तर कार्य किया जा रहा है।