देशभर में बैंकिंग घोटालों को लेकर मचे वबाल के बीच भारतीय रिजर्व बैंक (आर.बी.आई.) के गवर्नर उर्जित पटेल ने पहली बार अपनी चुप्पी तोड़ी है। उन्होंने कहा कि बैंक क्षेत्र में धोखाधड़ी तथा अनियमितताओं से रिजर्व बैंक में बैठे अच्छाधिकारी भी परेशान हैं, ये घोटाले कुछ कारोबारियों और बैंक अधिकारियों की मिली-भगत से ही होते हैं जो देश भविष्य पर डाका डालने के समान हैं। उन्होंने कहा, ”यदि हमारे ऊपर पत्थर फेंके जाते हैं और हमें नीलकंठ की तरह विष-पान करना पड़े तो हम इसे अपने कर्तव्य के रूप में स्वीकार करेंगे।”
बैंक अधिकारियों की मिली-भगत
दरअसल पिछले कई दिनों से पी.एन.बी. घोटाले को लेकर आर.बी.आई. की आलोचना हो रही थी। इसमें आर.बी.आई. की तरफ से कुछ कड़ा कदम न उठाए जाने को लेकर सवाल उठाया जा रहा था। इस पर आर.बी.आई. गवर्नर ने कहा कि आर.बी.आई. इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए हर जगह पर मौजूद नहीं रह सकता है।
उन्होंने कहा कि कई कारोबारी हैं, जो बैंक अधिकारियों की मिलीभगत से देश को लूटने में लगे हुए हैं। इससे देश का नुकसान हो रहा है। पटेल ने कहा कि बैंकिंग सेक्टर को इस स्थिति से बाहर निकालने के लिए हम (आर.बी.आई.) हमेशा तैयार रहेंगे।
क्या है पी.एन.बी. घोटाला?
पी.एन.बी. ने फरवरी में सी.बी.आई. को बैंक में 11,400 करोड़ के घोटाले की जानकारी दी थी। बाद में यह घोटाला बढ़कर 13 हजार करोड़ रुपए का हो गया। यह घोटाला मुंबई की ब्रेडी हाउस ब्रांच में हुआ। 2011 से 2018 के बीच हजारों करोड़ की रकम फर्जी लेटर ऑफ अंडरटेकिग (LoUs) के जरिए विदेशी अकाउंट्स में ट्रांसफर की गई। इसमें हीरा कारोबारी नीरव मोदी और मेहुल चौकसी मुख्य आरोपी हैं। वे देश छोड़कर जा चुके हैं।