नई दिल्ली: दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा किया गया। उद्घाटन सत्र को अंकटाड के महासचिव श्री मुखीसा किटुयी ने भी संबोधित किया। 6 सत्र तक चले इस सम्मेलन में विभिन्न देशों से आए हुए मंत्रिगण, भारत सरकार के मंत्री, अधिकारी, विषय विशेषज्ञ तथा 19 देशों के 1600 प्रतिभागी सम्मिलित हुए।
भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 26 अक्तूबर को सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए कहा कि यह इस प्रकार का पहला अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन हो रहा है। अपने प्रेरणादायक संबोधन में प्रधानमंत्री ने आर्थिक और सामाजिक जीवन में उपभोक्ता संरक्षण के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भारत सरकार की सोच उपभोक्ता संरक्षण से भी आगे जाकर उपभोक्ता सशक्तिकरण और फिर उपभोक्ता के हितों को बढ़ावा देना (Consumer Interest Promotion) है और हमारी सरकार की तमाम योजनाएं नागरिकों और उपभोक्ताओं के हितों को ध्यान में रख कर ही बनाई गई हैं। उन्होंने पूर्वी, दक्षिण और दक्षिण-पूर्वी एशिया के देशों को एक साझी विरासत के कारण क्षेत्रीय गठबंधन करते हुए उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा का आह्वान किया। उनके द्वारा तय की गई दिशा में यह सम्मेलन संपन्न हुआ।
केन्द्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री श्री राम विलास पासवान ने समापन सत्र में इस सम्मेलन में हुए विचार-विमर्श से प्राप्त निष्कर्ष सभी देशों के प्रतिनिधियों के समक्ष रखे। इन निष्कर्षों के अनुसार –
- उपभोक्ता संरक्षण के बारे में संयुक्त राष्ट्र के दिशा-निर्देशों को लागू करना, जिससे कि सभी देशों में इस संबंध में बेहतर प्रयास किए जा सकें और 2030 तक सतत विकास के लक्ष्य को हासिल किया जा सके।
- सरकार को उपभोक्ता संरक्षण संबंधी नीतियों को बनाने और उन्हें सफलतापूर्वक लागू करने के लिए उपभोक्ता संगठनों की भागीदारी सुनिश्चित करनी चाहिए।
- डिजिटल संदर्भ में उपभोक्ताओं के अधिकारों का संरक्षण ई-कॉमर्स और सतत तथा समग्र विकास के लिए महत्वपूर्ण है और इसके लिए सभी देशों का सहयोग आवश्यक है।
- वित्तीय बाजारों के सुचारु रूप से कार्य करने के लिए उपभोक्ता संरक्षण बेहद ज़रूरी है और उपभोक्ताओं को जागरूक करने तथा उनकी भागीदारी सुनिश्चित करने के प्रयास किए जाने की आवश्यकता है।
- वाणिज्य के सभी क्षेत्रों में सभी प्रकार के उपभोक्ताओं की आवश्यकताओं पर ध्यान दिए जाने की ज़रूरत है और उनके हितों को ध्यान में रखते हुए कानून बनाए जाने, उन्हें लागू करने तथा उनकी शिकायतों का निवारण करने का तंत्र विकसित किए जाने की आवश्यकता है।
इसके अतिरिक्त प्रधानमंत्री जी द्वारा दिए गए परामर्श से यह निर्णय लिया गया कि –
- बढ़ते वैश्विक परिवेश और एकल बाजार में परिवर्तित होती व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए यह ज़रूरी है कि देश एक-दूसरे के अनुभवों से सीख लें और एक साझी व्यवस्था विकसित करें। उपभोक्ताओं के संरक्षण के लिए क्षेत्रीय एकजुटता की संभावनाओं का पता लगाया जाना आवश्यक है।
- संचार के लिए तंत्र विकसित करना, बेहतर तरीकों का आदान-प्रदान करना, क्षमता निर्माण के लिए नई पहल करना और पारस्परिक हितों की दृष्टि से संयुक्त अभियान चलाया जाना चाहिए।
- भविष्य की चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए इस दिशा में आगे बढ़ने के लिए और क्षेत्रीय सहयोग स्थापित किए जाने की आवश्यकता है।
इन उद्देश्यों की पूर्ति के लिए प्रत्येक दो वर्षों में इस प्रकार के क्षेत्रीय सम्मेलन आयोजित करने पर विचार किया जाएगा।