नई दिल्ली: भारत नयी पीढ़ी की 5जी वायरलेस तकनीक के संधि स्थल पर है। 5जी तकनीक को एक नेटवर्क आधारित समाज की संभावनाओं के विस्तार की आधारशिला के तौर पर विकसित किया गया है। लगभग प्रत्येक उद्योग में कनेक्टिविटी की शक्ति पर आधारित एक डिजिटल रूपान्तरण हो रहा है। बड़े पैमाने पर स्मार्ट वस्तुओं के आपस में जुड़ने के लिये भू-परिदृश्य का विस्तार हो रहा है। इसलिये जिस तरह से भविष्य के नेटवर्क उस समय के व्यापारिक परिदृश्य और बदलती हुई मांगों से निपटेंगे वह आज के तौर-तरीकों से पूरी तरह से अलग होगा।
5जी तकनीक के आर्थिक लाभ भी काफी ज्यादा हैं। ओईसीडी की डिजिटल आर्थिक मामलों की समिति के अनुसार 5जी तकनीक सेवाओं का आरंभ निम्न क्षेत्रों में सहायक साबित होगा –
- a) अर्थव्यवस्था की वृद्धि
- b) रोजगार सृजन
- c) अर्थव्यवस्था का डिजिटलीकरण
भारत के लिये 5जी तकनीक उद्योग जगत को बड़े बाजार की किफायत के जरिये विश्व मार्केट और उपभोक्ताओं तक पहुंचने के लिये एक अवसर उपलब्ध कराती है। विश्व के अन्य देशों ने भी ऐसे फोरम शुरू कर दिये हैं इसलिये भारत भी 5जी की प्रतिस्पर्धा में शामिल हो गया है। हम उनसे सहयोग के लिये तैयार हैं।
सरकार ने 5जी इंडिया 2020 फोरम के लिये तीन मंत्रालयों/विभागों – दूरसंचार विभाग, एमईआईटीवाई एवं डीएसटी के सचिवों को मिलाकर उच्च स्तरीय फोरम का गठन किया है जिसमें अन्य प्रख्यात विशेषज्ञ जैसे यूएसए के स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एमरेटस डॉ. ऐ. पौलराज, यूएसए के सैण्डस्टोन स्थित साइकामोर नेटवर्क्स के चेयरमैन श्री गुरुराज देशपाण्डे, भारत के आईसीटी उद्योग के सीईओज, टीएसडीएसआई, आईआईटी मद्रास, आईआईटी दिल्ली, आईआईटी हैदराबाद, आईआईएससी बेंगलुरु के प्रोफेसरों के साथ आईटी उद्योग और उद्योग संगठनों के प्रतिनिधि शामिल हैं।
इस उच्च स्तरीय फोरम का कार्यक्षेत्र निम्नवत रहेगा –
- a) 5जी इंडिया 2020 के लिये ध्येय और उद्देश्यों का निर्धारण, एवं
- b) 5जी इंडिया 2020 के लिये रोडमैप और कार्ययोजना का मूल्यांकन और अनुमति प्रदान करना।
इस फोरम के मुख्य लक्ष्य इस प्रकार से हैं –
- भारत में 5जी का त्वरित विकास
- अगले 5-7 वर्षों में भारत का 50% और विश्व का 10% बाजार हासिल करने के लिये विश्वस्तरीय उत्पादों के विकास एवं निर्माण के लिये पर्यावरण तंत्र तैयार करना।
यह फोरम निम्न क्षेत्रों पर ध्यान देकर इको-सिस्टम को सहयोग प्रदान करेगी –
- रिसर्च इको-सिस्टम – शोध एवं पीपीपी परियोजनाओं के जरिये आईपीआर एवं मानकों का विकास एवं पायलट रोल-आउट।
- नियामक ढांचा – स्पेक्ट्रम के आवंटन और स्टार्ट-अप के लिये मैत्रीपूर्ण नियामक वातावरण तैयार करना ताकि अत्याधुनिक तकनीकों का तेजी से विकास हो सके।
- समावेशी व्यापारिक वातावरण – स्टार्ट-अप्स के नवाचार को बढ़ावा देने के लिये निवेशकों को विशेष राहत प्रदान करना।
फोरम में अलग-अलग क्षेत्रों के लिये स्टीयरिंग कमेटी का गठन किया जायेगा।
5जी के चारों ओर एक गतिशील शोध इकोसिस्टम का विकास जिसमें उद्योग, सरकार और अकादमिक जगत तीनों शामिल हों जिससे मेक (एण्ड डिजायन) इन इंडिया को और बढ़ावा मिले ताकि –
- भारत में 5जी तकनीक एवं उत्पादों का विकास हो;
- 5जी स्टार्ट अप्स जो डिजायन और निर्माण उद्योग की क्षमता का विकास करें;
- उपरिलिखित डिजायन का समर्थन करने वाले आईपीआर का सृजन;
- भारत स्थित कंपनियों के पास 5जी मानकों पर आधारित कुछ आवश्यक आईपीआर का सृजन;
- 5जी पर आधारित चिपसेट का निर्माण, इसके लिये बड़े पैमाने पर निवेश आवश्यक है;
- भारत के तकनीकी इकोसिस्टम की मदद के लिये देश में उपयुक्त परीक्षणशालाओं का विकास ताकि भारत 5जी तकनीक में अग्रता हासिल कर सके;
- भारत के सभी शहरी क्षेत्रों में 10 जीबीपीएस ( 10 Gbps) की गति वाले और ग्रामीण क्षेत्रों में 1 जीबीपीएस ( 1 Gbps) की गति वाले अति-उच्च क्षमता के ब्रॉडबैण्ड की 100 प्रतिशत कवरेज को त्वरित गति से हासिल करना।