नई दिल्ली: रेल मंत्री श्री सुरेश प्रभाकर प्रभु ने 13 अप्रैल, 2017 को फ्रांस के परिवहन, समुद्री मामलों और मत्स्य पालन मंत्री श्री एलेन विडालीज के साथ मुलाकात की। इस दौरान श्री एलेन विडालीज के साथ एक शिष्टमंडल भी मौजूद था।
इस अवसर पर दोनों पक्षों ने आपसी विचार-विमर्श किया। दोनों पक्षों ने फ्रेंच नेशनल रेलवे और भारतीय रेलवे (आईआर) के बीच लंबे समय से चली आ रही तकनीकी सहयोग को याद किया और रेलवे के क्षेत्र में अपने सहयोग को और मजबूत करने की प्रतिबद्धता जाहिर की।
भारत और फ्रांस ने 2013 में भारत के रेल मंत्रालय और फ्रेंच नेशनल रेलवे (एसएनसीएफ) के बीच हस्ताक्षरित ज्ञापन समझौते के तहत इस सहयोग को विकसित करने की प्रतिबद्ध जताई। इस द्विपक्षीय बैठक में दोनों देशों ने आपसी सहयोग को और मजबूत करने तथा आगे बढ़ाने पर जोर दिया।
भारत में 66600 किलोमीटर रेलवे और 7000 से अधिक स्टेशन हैं। विशेष प्राथमिकता क्षेत्र सुरक्षा गति में सुधार लाने, स्टेशनों की मरम्मत और सुधार, यात्री सुविधाएं, माल ढुलाई और नेटवर्क का विस्तार करने पर केंद्रित हैं।
फ़्रांस में रेलवे नेटवर्क 30 000 किमी लंबा है, 2000 किलोमीटर से अधिक हाई स्पीड ट्रैक और लगभग 3000 स्टेशन हैं। हाई स्पीड नेटवर्क का अभी भी विस्तार किया जा रहा है। फ़्रांस में सुरक्षा और सुविधाओं में सुधार निश्चित रूप से चिंता का विषय बना हुआ है।
इस संदर्भ में, दोनों नेताओं ने आम चुनौतियों का सामना करने के लिए नियमित अनुभव साझा करने पर सहमति व्यक्त की। दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हुए कि पारस्परिक सहयोग और विशेषज्ञता का आदान-प्रदान करके दोनों देशों के हितधारकों को लाभ होगा।
दोनों देशों के बीच यह सहयोग विशेष रूप से निम्नलिखित क्षेत्रों पर केंद्रित रहेगा:
- हाई स्पीड और सेमी- हाई स्पीड रेल;
- वर्तमान संचालन और बुनियादी ढांचे का आधुनिकीकरण;
- स्टेशन नवीकरण और संचालन;
- उपनगरीय गाड़ियां;
- सुरक्षा प्रणालियां, संचालन और सुरक्षा
सेमी हाई स्पीड के लिए, दोनों पक्षों ने 2015 में और दिल्ली और चंडीगढ़ (244 किमी) के बीच मौजूदा रेल मार्ग में सुधार कर यात्री ट्रेन की गति को 200 किलोमीटर प्रति घंटे करने के लिए तकनीकी और कार्यकारी अध्ययन करने का निर्णय लिया था। इस अध्ययन के सितंबर -2017 तक पूरा होने की संभावना है।
जब दोनों पक्षों के बीच सहयोगात्मक कार्यक्रम होगा तो उस समय संबंधित संस्थाओं सहित सरकारी संस्थाओं, एजेंसियों और कंपनियों, वैज्ञानिकों और तकनीकी अनुसंधान निकायों और निजी कंपनियों को सहयोग में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया जाएगा।