भारत-म्यांमार संयुक्त व्यापार समिति (जेटीसी) की छठी बैठक आज अर्थात 27 जून, 2017 को नई दिल्ली में आयोजित की गई, जिसकी सह-अध्यक्षता भारत की वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण और म्यांमार के केन्द्रीय वाणिज्य मंत्री डॉ. थान मइंत ने की। संयुक्त व्यापार समिति दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार भागीदारी बढ़ाने से जुड़े मुद्दों को सुलझाने में अहम भूमिका निभाती है।
बैठक को संबोधित करते हुए मंत्री महोदया ने कहा कि दोनों देशों के साझा धार्मिक, भाषाई एवं जातीय संबंधों का लंबा इतिहास है। म्यांमार इसके साथ ही दक्षिण-पूर्व एशिया और आसियान के लिए भारत का प्रवेश द्वार है जिनके साथ भारत ‘एक्ट ईस्ट’ नीति के जरिए आर्थिक सहभागिता बढ़ाने को इच्छुक है। भारत के साथ म्यांमार 1600 किलोमीटर से भी ज्यादा लंबी भूमि सीमा को साझा करता है। यही नहीं, म्यांमार बंगाल की खाड़ी में एक समुद्री सीमा है। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच उच्चस्तरीय आदान-प्रदान से हमारे द्विपक्षीय संबंध और भी सुदृढ़ हुए हैं। भारत के प्रधानमंत्री ने 12वें भारत-आसियान शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए नबंवर 2014 में म्यांमार का दौरा किया था।
श्रीमती सीतारमण ने कहा कि व्यापार एवं वाणिज्य दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों में अहम भूमिका निभाते है। उन्होंने बताया कि म्यांमार के साथ भारत का व्यापार वर्ष 2015-16 के 2.05 अरब अमेरिकी डॉलर से 6.01 प्रतिशत बढ़कर वर्ष 2016-17 में 2.18 अरब अमेरिकी डॉलर के स्तर पर पहुंच गया। वर्ष 2016-17 में कुल निर्यात 1.11 अरब अमेरिकी डॉलर का हुआ, जो 3.79 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर्शाता है। इस तरह आयात 1.06 अरब अमेरिकी डॉलर का हुआ जो 8.43 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि को दर्शाता है।
मंत्री महोदया ने कहा कि दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार बढ़ाने की संभावनाओं का अब तक व्यापक दोहन नहीं हो पाया है। उन्होंने दोनों देशों के बीच सड़क, समुद्री एवं हवाई संपर्क बढ़ाने के लिए म्यांमार की ओर से सक्रिय सहयोग दिये जाने पर विशेष जोर दिया।
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