नई दिल्ली: डिजीटल इंडिया कार्यक्रम के अंतर्गत शासनादेश के तहत सरकार अपने सभी अधिकारियों के साथ सुरक्षित संवाद स्थापित करने के लिए सुरक्षित ई-मेल सेवा प्रदान करेगी। फिलहाल यह सेवा 50 लाख उपयोगकर्ताओं को दी जाएगी। इस समय उपयोगकर्ता आधार 16 लाख है।
सरकार की ई-मेल नीति के अनुसार नेशनल इन्फॉरमेटिक्स सेंटर के जरिये केन्द्र और राज्य में सभी सरकारी अधिकारियों को एक ई-मेल आईडी दिया जाएगा।
इस नीति को शुरू करने का प्रमुख कारण सरकार के आंकड़े हैं जो भारत के बाहर सर्वरों में होते हैं और उन सर्वरों में होते हैं जो सरकार के नियंत्रण के बाहर होते हैं।
सेवा सम्बन्धी प्रस्ताव :
- सरकार के लिए अपने किस्म की सबसे बडी सेवा है जिसका उपयोगकर्ता आधार 50 लाख है।
- सुव्यवस्थित ब्राउजर इंटरफेस के साथ उपयोगकर्ता को शानदार अनुभव होगा जिसमें स्वाभाविक संवाद; लिखने का बहुमूल्य अधिकार, ड्रैग एंड ड्रॉप; अत्याधुनिक और रूचि के अनुसार फिल्टर तैयार करने, ई-मेल और वॉयस मेल संदेशों के बड़े इनबॉक्स का प्रबंध और तलाश, मल्टीपल कैलेंडर, सम्पर्क और कार्य सूची की सुविधा प्रदान की जाएगी।
- जियो फेंसिंग और डिवाइस मैपिंग के साथ उपयोगकर्ता के लिए परिष्कृत सुरक्षा अधिप्रमाणन तंत्र होगा।
- सरकार में केन्द्रीकृत ईमेल संरचना से सरकारी आंकड़ों के लिए मजबूत सुरक्षा तंत्र सुनिश्चित हो सकेगा।
- प्राइमरी डोमेन “@gov.in” और स्थानीय भाषा और सरकार.भारत डोमेन को शामिल करने के लिए एक रोडमैप है।
यह सेवा कार्य क्षमता बढ़ाएगी और “ग्रीन गवर्नमेंट” की दिशा में एक कदम होगी क्योंकि सभी सरकारी संवाद ईमेल का इस्तेमाल करते हुए किए जाएंगे। सेवा को कुछ चुने हुए उपयोगकर्ता आधार पर चलाया जा रहा है जिसमें वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं।
यह सेवा ऐसा राष्ट्रीय स्रोत होगी जिससे सरकारी कर्मचारियों को बेहतर, कार्यशील और अधिक उत्तरदायी जानकारी मिल सकेगी।