देहरादून: राज्य के वनाच्छादित क्षेत्रों में वनाग्नि सम्बन्धित घटनाओं में न्यूनता व वन सम्पदा की क्षति को कम करने के साथ ही विभिन्न विभागों के बीच समन्वयन को बढ़ाने के उद्देश्य से आपदा प्रबन्धन विभाग के द्वारा राष्ट्रीय आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण, भारत सरकार के सहयोग से वनाग्नि सम्बन्धित माॅक अभ्यास (Mock Exercise) का आयोजन किया गया। वन विभाग सहित राज्य के सभी विभागों में इस अभ्यास में भाग लिया। साथ ही इस अभ्यास में सेना, आई.टी.बी.पी., एस.एस.बी., सी.आर.पी.एफ. व एन.डी.आर.एफ ने भी भाग लिया। इस अभ्यास की प्रभाविकता को आंकने के लिये सेना द्वारा इंडिपेन्डेन्ट आॅब्जर्वर भी रखे गये थे।
दरअसल, इस प्रकार के अभ्यास उत्तराखण्ड जैसे राज्य के लिये इसलिये भी आवश्यक हैं क्योंकि एक तो यहाँ का ज्यादा भू-भाग वनाच्छादित है और दूसरा यह कि चीड़ की बहुतायत के कारण यहाँ के जंगल वनाग्नि की दृष्टि से काफी संवेदनशील हैं। साथ ही समय-समय पर इस प्रकार के अभ्यासों से सिस्टम में व्याप्त कमियों को आंकलित करने के साथ ही पूरा का पूरा तंत्र घटना विशेष की स्थिति में रिस्पाॅस के प्रति सदैव सजग रहता है।
काबिलेगौर है कि विगत कुछ दशकों से मौसम सम्बन्धित घटनाओं में नाटकीय तबदीलियाँ देखने में आ रही हंै जिससे वनाग्नि सम्बन्धित घटनाओं में अच्छी-खासी बढ़ोत्तरी हुयी है। वर्तमान में गीष्म ऋतु अपने चरम में है ऐसे में वनाग्नि सम्बन्धित घटनाओं को न्यून किये जाने के साथ ही पूर्व-तैयारियों का उच्च स्तर सुनिश्चित किया जाना नितान्त आवश्यक है। उल्लेखनीय है कि इंसीडेन्ट रिस्पांॅस सिस्टम के आधार पर वनाग्नि के विशेष सन्दर्भ में माॅक अभ्यास आयोजित करने वाला उत्तराखण्ड देश का पहला राज्य है।
राज्य के सभी जनपदों में आयोजित इस माॅक अभ्यास के दौरान होने वाली प्रत्येक गतिविधि की सूचनाओं का एकत्रीकरण राज्य आपातकालीन परिचालन केन्द्र में किया गया और आवश्यकता पड़ने पर आवश्यक दिशा-निर्देश भी दिये गये। जनपदों में विभिन्न स्थानों पर वनाग्नि की सूचनायें प्राप्त होते ही स्थानीय प्रशासन, वन विभाग एवं अग्नि शमन की टीमें अत्याधुनिक उपकरणों के साथ प्रभावित स्थल पर पहुँचे। विशेष आवश्यकता की स्थिति में एन.डी.आर.एफ. और एस.डी.आर.एफ. की भी मदद ली गयी। माॅक अभ्यास में भौगोलिक सूचना प्रणाली (जी.आई.एस.) का उपयोग करते हुये दुर्गम स्थानों पर आग पर नियंत्रण पाने हेतु हैलीकैप्टरों का प्रयोग भी किया गया। कुशल प्रबन्धन और दक्षता के बल पर सभी जनपदों द्वारा वनाग्नि पर सकुशल नियंत्रण पा लिया गया।
माॅक अभ्यास के दौरान विभिन्न जनपदों के आरक्षित एवं पंचायती वनों के 33 स्थानों पर वनाग्नि की सिचुऐशन क्रीऐट की गयी। आग की इन घटनाओं में विभिन्न जनपदों की लगभग 4.50 हेक्टेएर वन सम्पदा जल कर नष्ट होनी आंकलित की गयी। इन घटनाओं में 03 व्यक्तियों की मृत्यु एवं 80 व्यक्तियों के घायल होने के साथ ही 45 जानवरों के भी घायल होने की सूचना प्राप्त की गयी। घायल व्यक्तियों को त्वरित प्रभाव से स्थानीय अस्पतालों में ले जाया गया जबकि घायल जानवरों के लिये वैटनरी एवं पशुपालन विभाग द्वारा ट्रीटमेन्ट की कार्यवाही की गयी।
माॅक अभ्यास में राष्ट्रीय आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण, भारत सरकार के सलाहकार मे. जनरल वी. के. दत्ता (से. नि), सचिव आपदा प्रबन्धन श्री अमित नेगी, वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के सी.सी.एफ. श्री आर. के मिश्रा, श्री एस. पी. सुबुद्धि, सी.सी.एफ., इंसीडेन्ट रिस्पाॅस सिस्टम विशेषज्ञ श्री बी. बी. गणनायक के साथ ही आपदा प्रबन्धन, वन विभाग, पुलिस, अग्निशमन, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, सैन्य बल, एन.डी.आर.एफ., एस.डी.आर.एफ., भारत-तिब्बत सीमा पुलिस बल, सूचना विभाग, नागरिक सुरक्षा, लोक निर्माण विभाग, पशुधन, विद्युत तथा अन्य सम्बन्धित विभागों के अधिकारियों द्वारा प्रतिभाग किया गया।
माॅक अभ्यास के उपरान्त फाॅयर टेन्डर, डी.एन.ए. सैम्पलिंग, बर्फ की सिल्ली, ग्लब्ज, माॅस्क, बूट्स, घायलों (व्यक्ति तथा जानवर) के उचित इलाज के साथ ही फाॅयर फाईटिंग फोर्स को बढ़ाये जाने पर सहमति बनी। साथ ही मिस्ट और ब्लोअर जैसे तकनीकी उपकरणों को भी जनपदों को उपलब्ध करवाये जाने की संस्तुति की गयी। लेटेस्ट उपकरणों आवश्यकता एवं प्रशिक्षण के सम्बन्ध में एन.डी.आर.एफ., एस.डी.आर.एफ. द्वारा पूर्ण सहयोग दिये जाने की बात कही गयी। इस माॅक अभ्यास की सफलता के बाद राज्य मंे मानसून अवधि में प्रायः होने वाले भू-स्खलनों के विशेष सन्दर्भ में माॅक अभ्यास किये जाने पर भी सहमति बनी।