नई दिल्लीः भारतीय डाक सेवा और भारतीय कॉरपोरेट विधि सेवा के परीविक्षा अधिकारियों के अलग-अलग समूहों ने राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद से मुलाकात की।
इस अवसर पर बोलते हुए, राष्ट्रपति ने कहा कि दोनों सेवाओं की भारत के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका है। डाकघर ऐसे दूरदराज स्थानों पर भी स्थित हैं जहां अभी तक बैंक नहीं पहुंचे हैं। संचार के इस युग में डाकघरों और डाक नेटवर्क प्रणाली की पुनः संरचना करने की आवश्यकता है। भारत सरकार ने डाकघरों को आधुनिक बैंक संबंधी कार्यों और भुगतान प्रणालियों के साथ जोड़ने की कई पहल की हैं। कुछ विकसित देशों की तरह भारत में भी डाकघर महत्वपूर्ण ‘वन स्टॉप शॉप्स’ बन सकते हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि कॉरपोरेट और बैंकिंग प्रणाली किसी भी आधुनिक अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण है। भारतीय कॉरपोरेट विधि सेवा के अधिकारियों की कंपनियों और व्यवसायों की स्थापना और चलाने की प्रक्रिया को सरल बनाने की जिम्मेदारी है। यह उनका संवैधानिक दायित्व है कि वे प्रत्येक कंपनी को भरोसेमंद बनाए और जनता की उसमें विश्वसनीयता कायम करने में मदद करें।
राष्ट्रपति ने कहा कि भारत का वर्तमान सकल घरेलू उत्पाद लगभग 20.3 खरब (2.3 ट्रिलियन) अमरीकी डॉलर है। हमने 2025 तक 50 खरब अमरीकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य रखा है। इस प्रक्रिया में भारतीय कॉरपोरेट विधि सेवा के अधिकारियों की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। व्यापार को सुविधाजनक बनाते समय, उन्हें कॉर्पोरेट क्षेत्र में वैध और नैतिक आचरण की आवश्यकता को भी ध्यान में रखना होगा।