देश में रक्षा सामग्री के उत्पादन को बढ़ावा देने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए वायुसेना ने सार्वजनिक क्षेत्र की रक्षा निर्माण कंपनी हिन्दुस्तान एयरोनाटिक्स लिमिटेड (एचएएल) से 14 डोर्नियर-228 विमानों की खरीद का फैसला किया है। एचएएल के कानपुर स्थित कारखाने में इन विमानों का निर्माण किया जाएगा। ये हल्के परिवहन विमान हैं। वायुसेना, सेना और नौसेना में पहले से ही इनका इस्तेमाल हो रहा है। एचएएल के चैयरमैन टी. सुवर्ण राजू ने बताया कि हमें वायुसेना से 14 डोर्नियर विमानों की खरीद का ठेका मिल गया है। यह सौदा 1090 करोड़ रुपये का है। एचएएल वायुसेना को इन विमानों के अलावा छह रिजर्व इंजन, एक फ्लाइट सिमुलेटर और इससे संबंधित उपकरण भी प्रदान करेगा। सुवर्ण ने कहा कि इस सौदे से साफ हो गया है कि एचएएल सेनाओं को उनकी जरूरत की सामग्री की आपूर्ति करने में सक्षम है। उन्होंने बताया कि एचएएल के कानपुर कारखाने को परिवहन विमान बनाने में महारत हासिल है। अब तक 125 डोर्नियर विमानों का निर्माण कारखाने द्वारा किया जा चुका है। इनकी आपूर्ति रक्षा मंत्रालय और सेनाओं को तो की ही गई है, विदेशों को भी बेचे गए हैं। पिछले साल सेशेल्स एवं मॉरीशस को भी ये विमान बेचे गए हैं। बेंगलूर की रडार बनाने वाली सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी इलेक्ट्रानिक्स एंड रडार डेवलपमेंट स्टेब्लिसमेंट (एलआरडीई) ने भी एक डोर्नियर विमान खरीदा है। इसका इस्तेमाल वह अपने रडारों की टेस्टिंग के लिए करती है। डोर्नियर-228 की खूबियां अब तक यह बहुद्देश्यीय विमान काफी भरोसेमंद साबित हुआ है। ईधन की खपत भी इसमें कम होती है। यह हल्के वजन का है तथा इसमें चालक दल के दो सदस्य बैठ सकते हैं। यदि इसे यात्री विमान के तौर पर इस्तेमाल किया जाए तो 19 व्यक्ति इसमें बैठ सकते हैं। इसकी खूबी यह है कि इसका फ्यूल टैंक भी बड़ा है। आमतौर पर छोटे विमानों में इतने बड़े फ्यूल टैंक नहीं होते हैं। इसकी क्षमता 2850 लीटर की है। यह छोटे रनवे पर लैंड हो सकता है और टेकऑफ भी कर सकता है। टेकऑफ के लिए इसे सिर्फ 700 मीटर लंबा रनवे चाहिए जबकि लैंडिंग के लिए उससे भी कम 575 मीटर लंबे रनवे की जरूरत पड़ती है।
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