नई दिल्लीः प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडलने दूरसंचार विभाग के सार्वजनिक प्रतिष्ठान हेमीस्फेयर प्रोपर्टीज इंडिया लिमिटेड (एचपीआईएल) का प्रशासनिक नियंत्रण आवास और शहरी कार्य मंत्रालय को हस्तांतरित करने की मंजूरी दे दी है। यह मंजूरी कंपनी को 700 करोड़ रुपये की इक्विटी राशि देने और भारत सरकार का 51 करोड़ रुपये का प्रतिभूति ऋण देने के बाद दी गई है और शेष भूमि के अलगाव की प्रबंधन योजना लागू करने के बाद दी गई है।
विवरणः
(ए) निजी प्लेसमेंट आधार पर 10 रुपये के सममूल्य के 70 करोड़ संचित भुगतान पश्चात वापसी योग्य वरीयता शेयर अधिग्रहित करने के लिए हेमीस्फेयर प्रोपर्टी इंडिया लिमिटेड कंपनी में 700 करोड़ रुपये की इक्विटी लगाई गई और भारत सरकार से प्रतिभूति ऋण के माध्यम से 51 करोड़ रुपये दिए गए, जिसकी कूपन दर/ब्याज दर आर्थिक मामलों के विभाग द्वारा तय की जाएगी और योजना को लागू किया जाएगा।
(बी) रियल इस्टेट कारोबार में एचपीआईएल को प्रत्यक्ष विदेशी निवेशके संबंध में भारत सरकार की नीति से छूट प्रदान करना।
(सी) एचपीआईएल को शक्ति विकेन्द्रित करना, ताकि बिक्री, दीर्घकालिक पट्टे और जमीन की बिक्री सहित समझौते ज्ञापन के उद्देश्यों को प्रभावी रूप देने के लिए उचित निर्णय लिए जा सकें।
(डी) संचार मंत्रालय के अंतर्गत दूरसंचार विभाग से आवास और शहरी कार्य मंत्रालय को इक्विटी शेयरों का हस्तांतरण तथा एचपीआईएल प्रबंधन नियंत्रण का हस्तांतरण करना।
(ई) संचार मंत्रालय से आवास और शहरी कार्य मंत्रालय को इक्विटी शेयर हस्तांतरित करने, इक्विटी लगाने और प्रंबधन योजना लागू करने के लिए दूरसंचार विभाग को अधिकृत करना।
लाभः
इससे शेष भूमि टाटा कम्युनिकेशन लिमिटेड से अलग होकरहेमीस्फेयर प्रोपर्टीज इंडिया लिमिटेड (एचपीआईएल) की हो जाएगी तथा एचपीआईएल का कामकाज और सहज तरीके से चलेगा।
क्रियान्वयन रणनीति तथा लक्ष्यः
मंत्रिमंडल द्वारा इस प्रस्ताव की उचित स्वीकृति के बाद शेष भूमि टीसीएल से एचपीआईएल को स्टैम्प ड्यूटी के भुगतान पर हस्तांतरित कर दी जाएगी। जैसा कि टीसीएल द्वारा सूचित किया गया है, राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) द्वारा प्रबंधन योजना की स्वीकृति के लिए लगभग सात से आठ महीनों की जरूरत होगी। एनसीएलटी द्वारा इसे स्वीकृति देने के बाद शामिल विभिन्न कदमों को लागू करने में पांच से छह महीनों की आवश्यकता होगी। समग्र रूप से निर्णय को लागू करने के लिए एक वर्ष का समय लगेगा।
पृष्ठभूमिः
मेसर्स विदेश संचार निगम लिमिटेड (अब टाटा कम्युनिकेशन लिमिटेड, टीसीएल) का भारत सरकार द्वारा 13 फरवरी, 2002 को विनिवेश किया गया और कंपनी का प्रबंधन नियंत्रण रणनीतिक साझेदार, टाटा समूह की कंपनियों के अंतर्गत एक स्पेशल परपस व्हेकिल, मेसर्स पानाटोन फाइनवेस्ट लिमिटेड (पीएफएल) को सौंप दिया गया।
विनिवेश के समय चार शहरों यथा पुणे, कोलकाता, नई दिल्ली और चेन्नई के पांच स्थानों की 773.13 एकड़ (कुल 1230.13 एकड़ जमीन में से) शेष भूमि का सीमांकन किया गया था और यह निर्णय लिया गया था कि शेष भूमि विनिवेश बोली का हिस्सा नहीं होगी।
शेयरधारक समझौता/शेयर खरीद समझौता के अनुसार कंपनी अधिनियम 1956 के अनुच्छेद 391 से 394 के अंतर्गत पीएफएल का दायित्व शेष भूमि एक रियलिटी कंपनी को सौंपना था।