लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ ने शिक्षा में आ रहे
बदलावों को समायोजित कर शिक्षा पाठ्यक्रमों में सुधार करने तथा हर स्तर पर शिक्षा व्यवस्था सुदृढ़ करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश के छात्रों को अच्छी और गुणवत्तापरक शिक्षा व्यवस्था उपलब्ध कराई जाए, जिससे विद्यार्थी भविष्य में प्रदेश व देश के विकास में अपना योगदान दे सकें। उन्होंने कहा कि अच्छी शिक्षा के बगैर कोई भी समाज अथवा देश प्रगति नहीं कर सकता है, इसलिए राज्य की नई सरकार प्राथमिक, माध्यमिक एवं उच्च शिक्षा पर पूरा ध्यान केन्द्रित कर रही है। उन्होंने कहा कि शैक्षणिक कैलेण्डर को हर हाल में लागू किया जाए और महापुरुषों से सम्बन्धित दिवसों पर सम्बन्धित महापुरुष के व्यक्तित्व, कृतित्व और समाज के प्रति उनके योगदान की जानकारी विद्यार्थियों को उपलब्ध कराई जाए। उन्होंने शैक्षिक संस्थानों में रिक्त पदों पर अध्यापकों की तैनाती की कार्यवाही के भी निर्देश दिए हैं।
मुख्यमंत्री आज यहां शास्त्री भवन में प्राथमिक, माध्यमिक तथा उच्च शिक्षा के सम्बन्ध में समीक्षा बैठक कर रहे थे। उन्होंने प्राथमिक शिक्षा प्रणाली में सुधार की आवश्यकता जताते हुए कहा कि इस स्तर पर अंग्रेजी व संस्कृत भाषाओं के पठन-पाठन पर विशेष जोर दिया जाए। बच्चों को स्कूल यूनीफार्म समय पर मिले और उसकी गुणवत्ता अच्छी हो। उन्होंने कहा कि मध्यान्ह् भोजन योजना में भी सुधार की आवश्यकता है। मिड-डे-मील की गुणवत्ता एवं अनुश्रवण की व्यवस्था प्रत्येक स्तर पर सुनिश्चित की जाए। उन्होंने कहा कि शिक्षकों की उपस्थिति सुनिश्चित हो।
माध्यमिक और उच्च शिक्षा की समीक्षा करते हुए श्री योगी ने कहा कि शैक्षिक सत्र नियमित हों, परीक्षा परिणाम समय से आए और शैक्षणिक संस्थाओं में नकल को सख्ती से रोका जाए। समय की मांग और आवश्यकता को देखते हुए पाठ्यक्रमों में सुधार हो, जिससे प्रदेश में पढ़ने वाले विद्यार्थी प्रतियोगी परीक्षाओं व स्पद्र्धाओं के लिए सक्षम हो सकें। उन्होंने कहा कि परीक्षा परिणामों में पूरी पारदर्शिता बरती जाए और विद्यार्थियों की मेरिट से कोई समझौता न हो। विद्यार्थियों को बगैर किसी भेदभाव के शिक्षा प्रदान की जाए। माध्यमिक शिक्षा में हिन्दी, अंग्रेजी और संस्कृत भाषाओं के पठन-पाठन के साथ विदेशी भाषाओं को भी पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया जाए। उन्होंने कहा कि विद्यालयों में नैतिक शिक्षा प्रदान की जाए तथा सांस्कृतिक कार्यक्रम व आयोजन किए जाएं। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों और अध्यापकों को भी साफ-सफाई के प्रति जागरूक किया जाए।
उच्च शिक्षा की चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसे प्रयास किए जाएं कि पाठ्यक्रम की समानता हो। उन्होंने कहा कि शिक्षा में मानकों व गुणवत्ता पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। उन्हांेंने कहा कि शिक्षा और नकल माफियाओं के प्रति सख्ती बरती जाए और दागी सेण्टरों को चिन्ह्ति कर कार्रवाई की जाए। परीक्षा केन्द्रों के व्यवस्थापक भ्रष्टाचारी व बेईमान न हों। उन्होंने कहा कि प्राथमिक, माध्यमिक व उच्च शिक्षा से सम्बन्धित विभाग बताए गए निर्देशों के क्रम में अपनी कार्य योजना बनाकर प्रस्तुत करें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि शिक्षा के महत्व एवं सामाजिक उत्थान हेतु इसकी उपयोगिता से सभी अवगत हैं। इससे न केवल बौद्धिक विकास होता है, बल्कि एक बेहतर समाज का निर्माण भी होता है। शिक्षा को बेहतर बनाने के लिए शीघ्र ही परिणामपरक कदमों को उठाने की आवश्यकता है। राज्य सरकार की मंशा है कि गुणवत्तापरक शिक्षा के साथ-साथ सभी को पढ़ाई का अवसर मिले। इसके मद्देनजर विभागों को कार्य करना होगा।
बैठक में मुख्यमंत्री ने बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग की समीक्षा करते हुए कहा कि इस विभाग की कार्य पद्धति पारदर्शी हो और इसमें भ्रष्टाचार के लिए कोई स्थान न हो। उन्होंने कहा कि बाल पुष्टाहार वितरण के सम्बन्ध में धांधली के मामले संज्ञान में आए हैं, इन्हें रोका जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि गर्भवती महिलाओं और छोटे बच्चों के लिए दिया जाने वाला पुष्टाहार गुणवत्तापरक हो। उन्होंने कहा कि गर्भवती महिला और बच्चा यदि कुपोषित होंगे, तो समाज व राष्ट्र की प्रगति नहीं हो सकेगी।
श्री योगी ने आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों के मानदेय के सम्बन्ध में एक विभागीय कमेटी गठित करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने विभाग की कार्य प्रणाली को बेहतर बनाने के सम्बन्ध में कार्य योजना बनाकर प्रस्तुत किए जाने के भी निर्देश दिए।
इस अवसर पर उप मुख्यमंत्री श्री दिनेश शर्मा तथा बेसिक शिक्षा, बाल विकास एवं पुष्टाहार राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्रीमती अनुपमा जैसवाल सहित प्राथमिक, माध्यमिक, उच्च शिक्षा तथा बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग से सम्बन्धित वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।
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