नई दिल्लीः “मेक इन इंडिया” कार्य योजना के अंतर्गत 21 प्रमुख क्षेत्रों की पहचान की गई है जिनपर (i) पॉलिसी की पहल (ii) वित्तीय प्रोत्साहन (iii) बुनियादी ढांचा सृजन (iv) सुगम कारोबार (v) नवाचार और अनुसंधान एवं विकास तथा (vi) कौशल विकास के तहत विशेष रूप से ध्यान दिया जाएगा।
इसके तहत, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश एफडीआई नीति और प्रक्रिया को सरल बनाया गया है और उत्तरोत्तर इसका उदारीकरण किया गया है। रक्षा क्षेत्र, खाद्य प्रसंस्करण, दूरसंचार, कृषि, फार्मास्यूटिकल्स, नागरिक उड्डयन, अंतरिक्ष, निजी सुरक्षा एजेंसियों, रेलवे, बीमा और पेंशन तथा चिकित्सा उपकरणों जैसे प्रमुख क्षेत्रों को प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के लिए खोल दिया गया है।
2015-16 में, पहली बार एफडीआई प्रवाह एक वित्त वर्ष में 55 अरब डालर का आंकड़ा पार कर गया। अप्रैल 2014 से अक्टूबर 2017 के बीच कुल एफडीआई प्रवाह 1 9 8.88 अरब डॉलर था, जो अप्रैल 2000 से भारत में हुए कुल एफडीआई का का 38 फीसदी रहा। 2016-17 में, एफडीआई प्रवाह रिकार्ड 60 बिलियन अमरीकी डॉलर था, जो कि अब तक के किसी भी वित्तीय वर्ष में सबसे अधिक है। आईएमएफ वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक (अप्रैल2017) और संयुक्त राष्ट्र के वैश्विक आर्थिक स्थिति संभावना 2017 के अनुसार, भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है जिसके 2018 में भी ऐसा ही बने रहने का अनुमान है।
वाणिज्य और उद्योग राज्य मंत्री सी.आर. चौधरी ने एक लिखित प्रश्न के उत्तर में आज राज्यसभा में यह जानकारी दी।