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राज्य सरकारों का पूर्ण सहयोग वर्तमान समय की महती आवश्यकता है जिससे कि केन्द्र सरकार के सभी प्रयास किसानों तक पहुंचे और उन्‍हें लाभान्वित करें : केन्‍द्रीय कृषि मंत्री

कृषि संबंधित

नई दिल्ली: देश में आने वालों वर्षों में कृषि एवं खाद्य सुरक्षा निरंतर और सतत बनी रहेगी और सरकार किसानों की आय नियत समय के अनुसार दोगुनी करने में अवश्‍य सफल होगी। केन्‍द्रीय कृषि एवं किसान कल्‍याण मंत्री श्री राधामोहन सिंह ने आज नई दिल्‍ली के विज्ञान भवन में आयोजित राष्‍ट्रीय खरीफ सम्‍मेलन 2018 को संबोधित करते हुए उक्‍त बातें  कहीं।

श्री सिंह ने जोर देकर कहा कि देश की खाद्य सुरक्षा को सतत आधार पर सुनिश्चित करने का श्रेय किसानों को ही जाता है। आज भारत न केवल बहुत से कृषि उत्‍पादों में आत्‍मनिर्भर और आत्‍मसम्‍पन्‍न है बल्कि बहुत से कृषि उत्‍पादों का निर्यातक भी है। यह भी सच है कि किसान अपने उत्‍पादों का लाभकारी मूल्‍य नहीं पाते हैं। अत: सरकार का मानना है कि कृषि क्षेत्र का इस प्रकार चहुंमुखी विकास किया जाए कि अन्‍य एवं कृषि उत्‍पादों के भंडार के साथ किसानों की जेब भी भरे और उनकी आय भी बढ़े। सरकार का उद्देश्‍य कृषि नीति एवं कार्यक्रमों को ‘उत्‍पादन केन्द्रित’ के बजाय ‘आय केन्द्रित’ बनाने का है। इस महत्‍वाकांक्षी उद्देश्‍य की प्राप्ति के लिए माननीय प्रधानमंत्री जी द्वारा दिए गए सुझाव ‘बहु-आयामी सात सूत्रीय’ रणनीति को अपनाने पर बल दिया गया है, जिसमें शामिल हैं:-

  • ‘’प्रति बूंद अधिक फसल’’ के सिद्धांत पर प्रर्याप्‍त संसाधनों के साथ सिंचाई पर विशेष बल
  • ‘प्रत्‍येक खेत की मिट्टी गुणवत्ता के अनुसार गुणवान बीज एवं पोषक तत्‍वों का प्रावधान
  • कटाई के बाद फसल नुकसान को रोकने के लिए गोदामों और कोल्‍ड चेन में बड़ा निवेश
  • खाद्य प्रसंस्‍करण के माध्‍यम से मूल्‍य संवर्धन को प्रोत्‍साहन
  • राष्‍ट्रीय कृषि बाजार का क्रियान्‍वयन एवं सभी 585 केन्‍द्रों पर कमियों को दूर करते हुए ई-प्‍लेटफॉर्म की शुरुआत
  • जोखिम को कम करने के लिए कम कीमत पर फसल बीमा योजना की शुरुआत
  • डेयरी-पशुपालन, मुर्गी-पालन, मधुमक्‍खी-पालन, हर मेढ़ पर पेड़, बागवानी व मछली पालन जैसी सहायक गतिविधियों को बढ़ावा देना

उन्‍होंने बताया कि ऐसे अनुकूल परिस्थितियों में आवश्‍यकता केवल राज्‍य सरकारों के पूर्ण सहयोग की है ताकि केन्‍द्र सरकार के समस्‍त प्रयासों का पूरा फायदा किसानों को मिले। कृषि मंत्री ने राज्‍यों से आये हुए अधिकारियों से अपील की कि वे यह सुनिश्चित करें कि उनके राज्‍य में इन स्‍कीमों/मिशनों का सही क्रियान्‍वयन हो। उन्‍होंने कहा कि हम सब का यह प्रयास होना चाहिए कि वर्तमान में चलाए जा रहे राष्‍ट्रीय ग्राम स्‍वराज अभियान, जिसके तहत 2 मई, 2018 को देश के सभी विकास खंडों में किसान कल्‍याण कार्यशाला का आयोजन किया जाएगा, में उस विकास खंड के किसान शामिल हों। कृषि के अधिकारी एवं वैज्ञानिक नई तकनीक से आय बढ़ाने पर चर्चा करेंगे। उसमें प्रगतिशील किसान अपनी सफलता की कहानी भी बताएंगे।

कृषि मंत्री ने बताया कि कृषि आय के अनुपूरक के रूप में बांस के मूल्‍य श्रृंखला आधारित समग्र विकास के लिए वर्ष 2018-19 के बजट में राष्‍ट्रीय बांस मिशन की घोषणा की गई है, जो किसानों की आय वृद्धि का बेहतरीन जरिया बनेगा। डेयरी एवं मात्स्यिकी विकास के लिए भी राष्‍ट्रीय डेयरी योजना-1 (एन.डी.पी.-1), राष्‍ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम (एन.पी.डी.डी.) और डेयरी उद्यमिता विकास स्‍कीम व नीली क्रांति जैसे कार्यक्रम क्रियान्वित किये जा रहे है जिनका पूरा लाभ किसान उठा सकते हैं।

कृषि मंत्री ने आगे कहा कि आज सरकार का मुख्‍य लक्ष्‍य न केवल कृषि के उन संभावनाशील क्षेत्रों की पहचान करना है जिनमें ज्‍यादा निवेश होना चाहिए वरन आय बढ़ाने के लिए उद्यानिकी और पशुपालन तथा मत्‍स्‍य पालन जैसे कृषि संबंधित क्षेत्रों के विविधीकरण पर विचार कर कृषि में जोखिम कम करने के तरीके सुझाना भी है। इसी क्रम में माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी द्वारा किसानों की आय दोगुनी करने के बारे में दिए गए लक्ष्‍य को प्राप्‍त करने के लिए आज कृषि मंत्रालय खेती की लागत कम करने; उत्‍पादकता लाभ के माध्‍यम से उच्‍च उत्‍पादन करने; लाभकारी  प्रतिफल सुनिश्चित करने और मौसम की अनिश्चितता को देखते हुए जोखिम प्रबंधन जैसे सतत कार्यों में लगा है।

उन्‍होंने कहा कि जहां तक एक तरफ उत्‍पादकता लाभ के लिए राष्‍ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन; बागवानी समेकित विकास मिशन, तिलहन और ऑयल पाम के लिए राष्‍ट्रीय मिशन; राष्‍ट्रीय गोकुल मिशन; राष्‍ट्रीय पशुधन मिशन; नीली क्रांति जैसे योजनाएं चलाई जा रही हैं वहीं कृषि लागत में कटौती के लिए मृदा स्‍वास्‍थ्‍य कार्ड व नीम लेपित यूरिया के इस्‍तेमाल और प्रति बूंद से अधिक फसल संबंधी योजनाओं का सफल क्रियान्‍वयन किा जा रहा है। लाभकारी आय स्रोत के सृजन के लिए ई-नाम, शुष्‍क और शीत भंडारण संसाधन, ब्‍याज की रियायती दरों पर भंडारण की सुविधाएं और कटाई पश्‍चात ऋण की सुविधा तथा वार्षिक आधार न्‍यूनतम सपोर्ट प्राइस बढ़ाने आदि पर जोर दिया गया है। जोखिम प्रबंधन एवं स्‍थायी पद्धतियां अपनाने हेतु प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, परंपरागत कृषि विकास योजना तथा उत्तरपूर्वी राज्‍यों के लिये जैविक खेती  मिशन आदि के माध्‍यम से कृषि को बढ़ावा दिया जा रहा है।

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