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राज्यपाल डाॅ कृष्ण कांत पाल उत्तर भारत के छः राज्यों के विश्वविद्यालयों में विज्ञान व तकनीकी में महिलाओं की सहभागिता पर अध्ययन रिपोर्ट हुएः यूकाॅस्ट महानिदेशक डाॅ राजेंद्र डोभाल

उत्तराखंड

देहरादून: उत्तराखण्ड में स्थित निजी व केंद्रीय विश्वविद्यालय की तुलना में राज्य विश्वविद्यालयों में महिला सहभागिता अधिक है। बुधवार को यूकाॅस्ट के महानिदेशक डाॅ. राजेंद्र डोभाल ने राज्यपाल डाॅ. कृष्ण कांत पाल से भेंट कर उन्हें ‘‘उत्तर भारत के छः राज्यों के विश्वविद्यालयों में विज्ञान व तकनीकी में महिलाओं की सहभागिता’’ पर अध्ययन रिपोर्ट प्रस्तुत की। राज्यपाल ने डाॅ. डोभाल व उनकी टीम द्वारा किए गए प्रयासों की प्रशंसा करते हुए कहा कि इस रिपोर्ट से उत्तर भारत के राज्यों में विज्ञान व तकनीकी के क्षेत्र में महिलाओं की स्थिति के बारे में पता चलता है। इससे उच्च शिक्षा विशेष तौर पर विज्ञान व तकनीकी में जेंडर गैप को दूर करने के लिए आवश्यक निर्णय लेने में सहायता मिलेगी।

   अध्ययन रिपोर्ट के अनुसार उत्तराखण्ड के विश्वविद्यालय सिस्टम में 25 प्रतिशत महिला सहभागिता है। महिला रिसर्च स्काॅलर 16 प्रतिशत हैं जबकि महिला फेकल्टी 9 प्रतिशत हैं।  इसमें उत्तराखण्ड में स्थित राज्य विश्वविद्यालयों, निजी विश्वविद्यालयों, केंद्रीय विश्वविद्यालय का तुलनात्मक अध्ययन भी किया गया। इसमें पाया गया कि उत्तराखण्ड में स्थित निजी व केंद्रीय विश्वविद्यालय की तुलना में राज्य विश्वविद्यालयों में महिला सहभागिता सर्वाधिक है। उत्तराखण्ड के राज्य विश्वविद्यालयों में महिला फेकल्टी व महिला पी.एच.डी, निजी व केंद्रीय विश्वविद्यालय से अधिक है। राज्य विश्वविद्यालयों में महिला फेकल्टी 20.98 प्रतिशत है जबकि निजी विश्वविद्यालयों में 16 प्रतिशत है। राज्य विश्वविद्यालयों में 18 प्रतिशत महिला पी.एच.डी. हैं जबकि उत्तराखण्ड में स्थित केंद्रीय विश्वविद्यालय में 11 प्रतिशत महिला पी.एच.डी. हैं।

  गौरतलब है कि राज्य के विश्वविद्यालयों में विज्ञान की शिक्षा को प्रोत्साहित करने पर राज्यपाल डाॅ. कृष्ण कांत पाल का विशेष फोकस रहा है। नियमित रूप से होने वाली कुलपतियों की बैठक में उनके द्वारा विज्ञान व तकनीकी शिक्षा और रिसर्च के स्तर को सुधारने के साथ ही छात्राओं को विज्ञान विषय के अध्ययन के लिए प्रेरित किए जाने के लिए निर्देशित किया जाता रहा है। उन्होंने विश्वविद्यालय सिस्टम में महिला सहभागिता व विज्ञान विषय में छात्राओं की वस्तुस्थिति का सर्वे किए जाने की आवश्यकता पर भी बल दिया था।

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