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राज्‍य और शहर तेज शहरी सुधार के लिए बड़े कदम उठाएं: शहरी विकास मंत्रालय

देश-विदेश
नई दिल्ली: शहरी विकास मंत्रालय ने शहरी शासन संचालन, नियोजन तथा वित्‍तीय कायाकल्‍प के उद्देश्‍य से सुधार का नया प्रारूप विकसित किया है

ताकि राज्‍य और शहरी निकाय अगले तीन वर्षों में सुधार कार्य लागू करने में छोटे कदम उठाने की वर्तमान गति से आगे बढ़कर बड़े कदम उठा सकें।
कल नई दिल्‍ली में शहरी विकास पर राष्‍ट्रीय कार्यशाला का आयोजन हो रहा है। इसमें पांच प्रमुख सुधारों के बारे में राज्‍यों तथा केंद्रशासित प्रदशों के साथ विचार-विमर्श किया जाएगा। शहरी विकास मंत्री श्री एम. वेंकैया नायडू इसकी अध्‍यक्षता करेंगे। कार्यशाला में इन पांचों सुधारों के लिए विशाल निजी निवेश को बढ़ावा देने वाले 6 अन्‍य कार्यक्रमों पर भी विचार-विमर्श किया जाएगा।
शहरी क्षेत्र के बारे में सचिवों की समूह ने सिफारिश की है कि शहरों के संचालन, नियोजन और वित्‍तीय प्रबंधन में सुधार कार्यक्रम के लिए छोटे कदम उठाने के बजाय बड़े कदम उठाने का समय आ गया है।
सचिवों के समूह की प्रमुख सुधार संबंधी सिफारिशें इस प्रकार हैं:
विश्‍वास और सत्‍यापन की ओर बढ़ना: पहले सत्‍यापन और फिर मंजूरी की वर्तमान प्रणाली के स्‍थान पर यह सिफारिश की गई है कि नागरिकों में विश्‍वास करने की आवश्‍यकता है और पहले मंजूरी और बाद में सत्‍यापन कराया जा सकता है। पहले की प्रणाली से काफी विलंब होता था। विश्‍वास और सत्‍यापन की इस व्‍यवस्‍था की भवन निर्माण के लिए मंजूरी, पालिका रिकॉर्ड में स्‍वामित्‍व में परिवर्तन (दाखिलखारिज), जन्‍म तथा मृत्‍यु पंजीकरण, शहरी निकाय तथा नागरिकों के बीच कामकाज में शामिल विषय के लिए है।
भूमि स्‍वामित्‍व कानून बनाना: सचिवों के समूह ने मैकिन्‍से के अध्‍ययन का हवाला देते हुए कहा कि देश में 90 प्रतिशत भूमि रिकॉर्ड अस्‍पष्‍ट होने, भूमि बाजार विकृति तथा अस्‍पष्‍ट स्‍वामित्‍व के कारण देश को प्रति वर्ष जीडीपी का 1.30 प्रतिशत नुकसान हो रहा है। इसलिए समूह ने भूमि स्‍वामित्‍व कानून बनाने तथा कानून को एक निश्‍चित समय-सीमा में लागू करने की सिफारिश की।
शहरी निकायों की क्रेडिट रेटिंग
वैल्‍यू केप्‍चर वित्‍त पोषण:
देश के सकल घरेलू उत्‍पाद में पालिका क्षेत्र से केवल 0.75 प्रतिशत राजस्‍व प्राप्‍त होता है जबकि यह राजस्‍व दक्षिण अफ्रीका में 6 प्रतिशत, ब्राजील में 5 प्रतिशत तथा पोलेंड में 4.50 प्रतिशत हैं। इसे देखते हुए समूह ने म्‍युनिसिपल बांड की सिफारिश की और शहरों की पूंजी खर्च आवश्‍यकताओं को पूरा करने के लिए वैल्‍यू केप्‍चर वित्‍तीय उपाय की सिफारिश की।
शहरी निकायों की पेशेवर क्षमता में सुधार करना: सचिवों के समूह ने निवेश बैंक गोल्‍डमैन सैश की रिपोर्ट का हवाला देते कहा कि वरिष्‍ठता की जगह मेधा पर आधारित नौकरशाही देश के प्रति व्‍यक्‍ति जीडीपी विकास में वार्षिक रूप से प्रतिशत अंक जोड़ सकती है। समूह ने शहरी निकायों में योग्‍यता संपन्‍न तकनीकी स्‍टाफ तथा प्रबंधकीय लोगों की कमी से नवाचार में बाधा आ रही है। समूह ने शहरी निकायों में पेशेवर लोगों को शामिल करने की सिफारिश करते हुए कहा कि बाद में प्रवेश को प्रोत्‍साहित किया जाना चाहिए और शहरों में आयुक्‍तों तथा वित्‍त और राजस्‍व के उच्‍च पदों पर भर्ती प्रतियोगिता की माध्‍यम से की जानी चाहिए।
इन पांच प्रमुख सुधारों को लागू करने में प्रोत्‍साहन देने के लिए शहरी विकास मंत्रालय ने 2017-18 के दौरान सुधार प्रोत्‍साहन कोष की राशि 500 करोड़ रुपये से बढ़ाकर प्रतिवर्ष 3000 करोड़ रुपये अगले 3 वर्षों के लिए कर दिए। श्रेणी के अनुसार सुधार में प्रदर्शन के आधार पर शहरों के मानक दिए जाएंगे। 2016-17 में अमृत दिशा-निर्देश में इंगित सुधारों को लागू करने के लिए 400 करोड़ रुपये दिए गए।

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