नई दिल्ली: महामहिम राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद ने पांचों लद्दाख स्काउट्स बटालियनों और लद्दाख स्काउट्स रेजिमेंटल सेन्टर को निशान प्रदान किए।
इस अवसर पर अपने संबोधन में महामहिम राष्ट्रपति ने कहा कि जम्मू कश्मीर राज्य में लेह का दौरा, राष्ट्रपति का पदभार ग्रहण करने के बाद दिल्ली से बाहर यह उनकी प्रथम यात्रा है। सशस्त्र बलों के सर्वोच्च कमांडर होने के नाते उन्होंने अपनी इस यात्रा को देश के सशस्त्र बलों को समर्पित किया।
राष्ट्रपति ने कहा कि लद्दाख स्काउट्स को भारतीय सेना का हिस्सा बने 54 वर्ष हो चुके हैं। इस रेजिमेंट का यह सफर शौर्य, सम्मान और कीर्ति की गाथाओं से भरपूर रहा है। इस रेजिमेंट की स्थापना 1947-48 में पाकिस्तानी कबालियों के हमले के समय हुई और लद्दाख के लोगों ने अपनी मातृभूमि की रक्षा का संकल्प लिया। यह पराक्रम आज भी समूचे देश के लि गर्व का विषय है।
राष्ट्रपति ने कहा कि आधी सदी से कुछ ज्यादा अवधि के दौरान यह रेजिमेंट विशिष्ट वीरता और असाधारण सेवाओं के लिए 605 सम्मान और पदक प्राप्त कर चुकी है। यह रेजिमेंट के जवानों के अदम्य साहस और भावना का प्रमाण है और यह हमारे सशस्त्र बलों के सभी जवानों और अधिकारियों के लिए आदर्श हैं। उन्होंने अनेक युद्धों और कार्रवाइयों के दौरान विशिष्ट पहचान बनाई और खेलों, रोमांचक गतिविधियों और पेशेवर चुनौतियों में बेहतरीन प्रदर्शन किया।
राष्ट्रपति ने कहा कि निशान प्रदान करने के समारोह के दौरान वे लद्दाख स्काउट्स रेजिमेंट के शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करना चाहते हैं। उनके लहू और बलिदान ने हमारी संप्रभुता की रक्षा की है, हमारे राष्ट्र को गौरव दिलाया है तथा हमारी जनता को नुकसान पहुंचने से बचाया है। उन्होंने रेजिमेंट के सभी पूर्व सैनिकों और सेवारत जवानों को उनकी कर्तव्य निष्ठा और पेशेवर आचरण के लिए बधाई दी। इस अवसर पर उपस्थित गणमान्य लोगों में जम्मू कश्मीर के राज्यपाल श्री एन.एन. वोहरा, मुख्यमंत्री सुश्री मेहबूबा मुफ्ती सईद, उपमुख्यमंत्री श्री निर्मल कुमार सिंह, जम्मू कश्मीर सरकार के अन्य मंत्रियों के साथ ही साथ थलसेना अध्यक्ष बिपिन रावत शामिल थे।
बाद में राष्ट्रपति ने लेह के महाबोधि इंटरनेशनल मेडिटेशन सेंटर में बुद्धा पार्क फॉर वर्ल्ड पीस की आधारशिला रखी।