देहरादून: न्याय के अधिकार का वास्तविक अर्थ है जल्द न्याय का अधिकार। न्यायालयों में लम्बित प्रकरणों की संख्या को कम करने के यथासम्भव प्रयास करने चाहिए। ये बात, राज्यपाल डाॅ. कृष्ण कांत पाल ने उनसे शिष्टाचार भेंट करने आए सिविल जज(जूनियर डिविजन), उत्तराखण्ड जूडिशियल सर्विसेज, 2014 बैच के प्रशिक्षु अधिकारियों को कही। राज्यपाल ने आशा व्यक्त की कि नए व युवा अधिकारी, न्याय प्रक्रिया में आधुनिक तकनीक का प्रयोग करेंगें।
राज्यपाल ने कहा कि वर्तमान में न्यायालयों में विभिन्न स्तरों पर लम्बित मामलों की संख्या बहुत अधिक है। लम्बित मामलों के न्यायोचित व जल्द निस्तारण का हर सम्भव प्रयास किया जाए। लोगों को सही मायनो ंमें न्याय तभी मिल सकता है जब उन्हें समय पर न्याय मिले। राज्यपाल ने न्याय प्रक्रिया में आने वाली व्यावहारिक कठिनाईयों के बारे में बताते हुए सुझाव दिया कि अगर बहुत जरूरी न हो कोर्ट स्थगन से बचा जाना चाहिए। उत्तराखण्ड जैसे पर्वतीय राज्य में आने-जानेे में काफी समय व धन का व्यय होता है, इसलिए प्रयास करना चाहिए कि वादी को शीघ्र न्याय मिल सके।
राज्यपाल ने प्रशिक्षु अधिकारियों से उनके प्रशिक्षण के अनुभवों के बारे में जानकारी प्राप्त की और उन्हें उज्जवल भविष्य के लिए शुभकामनाएं दी। इस अवसर पर राज्यपाल के विधि परामर्शी श्री आर.सी.खुल्वे, उत्तराखण्ड ज्यूडिशियल एंड लीगल एकेडमी के निदेशक श्री विवेक भारती शर्मा भी उपस्थित थे।