नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा की सदस्य रही आम आदमी पार्टी की नेता अलका लांबा आज अपनी सदस्यता रद्द हाेने पर बिफर पड़ीं. अलका लांबा चांदनी चौक से विधायक थीं. उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति को इस संबंध में फैसला लेने से पहले एक मौका हमलोगों को देना चाहिए था. उन्होंने कहा कि यह एक देश में दो कानून का मामला है. उन्होंने इस संबंध में हिमाचल प्रदेश और अरुणाचल प्रदेश का उल्लेख किया और कहा कि अन्य राज्यों के संसदीय सचिवों पर कार्रवाई क्यों नहीं होती है. अलका लांबा सहित आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों की सदस्यता लाभ के पद के मामले में रद्द किये जाने की आज केंद्र सरकार ने अधिसूचना जारी की है. इस संबंध में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने चुनाव आयोग की सिफारिश पर फैसला लिया है.
अलका लांबा ने कहा कि कल से हमलोगों लगातार राष्ट्रपति भवन में फोन कर समय मांग रहे हैं. लेकिन, राष्ट्रपति ने बिना हमें समय दिये फैसला कर लिया. अलका लांबा ने कहा कि हमें पता नहीं कि राष्ट्रपति ने यह निर्णय स्वयं लिया या दबाव में. उन्होंने कहा कि यह फैसला मुख्य चुनाव आयुक्त अचल कुमार जोति ने अपनी रिटायरमेंट से पहले हड़बड़ी में दिया और इसमें उन चुनाव आयुक्तों का भी हस्ताक्षर है, जो इसकी सुनवाई प्रक्रिया में शामिल नहीं हुए थे.
प्रभात खबर