नई दिल्ली: उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू ने कहा है कि प्रौद्योगिकी आधारित सरकारी प्रक्रियाएं समकालीन भारत में विविध चुनौतियों का सामना करने के लिए आवश्यक हैं। वे आज भारतीय लोक प्रशासन संस्थान (आईआईपीए) की 63 वीं वार्षिक आम बैठक को संबोधित कर रहे थे।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि आईआईपीए को भारतीय प्रशासन, परिवर्तनों को आत्मसात करने, सुधारों की जांच करने और अनुसंधान आकलन और प्रशिक्षण कार्यक्रमों को चलाने का 6 दशकों से भी अधिक का अनुभव है। उन्होंने कहा कि जन प्रबंध हमेशा परिवर्तन का प्रबंधन रहा है और इससे समाज, अर्थव्यवस्था और राजनीतिक जीवन में परिवर्तन आया है। प्रमुख लोकतंत्र में यह बहुत आवश्यक है।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि हमें केंद्र और राज्य सरकारों की नवाचार और नागरिक-केंद्रित योजनाओं को लागू करने के लिए अपनी प्रशासनिक योग्यताओं को फिर से तैयार करना है। उन्होंने कहा कि यह गर्व का विषय है कि भारत का पन्द्रह वर्ष का विकास एजेंडा नागरिक-केंद्रिता के वैश्विक संयुक्त राष्ट्र सशक्त विकास लक्ष्यों के अनुरूप है। इस एजेंडा को उपयोग से पहले सुशासन और समाज के हर वर्ग तक पहुंच बनाकर सुराज को स्वराज में बदलना है।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि हमारा उद्देश्य बेहतर निपुणता और दक्षता पर केंद्रित होना चाहिए और हमें अपनी शासन प्रणालियों में ‘मूल्यांकन’ और निरंतर ‘सीखने’ की संस्कृति का निर्माण करना है। उन्होंने उम्मीद जाहिर की कि आईआईपीए अपने जैसे संस्थानों के साथ मिलकर राज्य स्तर पर एक व्यापक शासन सुधार एजेंडा तैयार करके केन्द्र में जनता के साथ शासन प्रणाली का सृजन करेगा। उन्होंने कहा कि कार्यक्रमों को अंत्योदय दृष्टिकोण के साथ लागू किया जाना चाहिए, जिसमें अधिक वंचितों हाशिए वाले और जनसंख्या समूहों पर ध्यान केंद्रित किया जाता है। हमारे दृष्टिकोण को अधिक संवेदनशील, उत्तरदायी और समावेशी होना चाहिए, जो महिलाओं दिव्यांगों की दिल से देखभाल करता है और समाज के सभी वर्गों को बिना किसी भेदभाव के “सब का साथ, सबका विकास” सिद्धांत की भावना वाले लोकतांत्रिक शासन के लाभों को फैलाने में पूरी तरह समर्पित है। उन्होंने कहा कि अधिकारियों और पूरे प्रशासनिक प्रणाली को आज के विकास की अनिवार्यताओं को समझना चाहिए और प्रत्येक नागरिक की सेवा के सामान्य लक्ष्य की प्रक्रियाओं को दोबारा शुरू करना चाहिए।
उपराष्ट्रपति ने अनेक प्रकाशन जारी किए और आईआईपीए की ऑनलाइन पुस्तकालय – डिजिटल नॉलेज रिपोजिटरी का उद्घाटन किया। जिसमें संस्थान के अनुसंधान उत्पादन और प्रकाशित संसाधनों का प्रदर्शन किया गया है। उन्होंने आईआईपीए और लोक प्रशासन के क्षेत्र में प्रतिष्ठित सेवाओं के लिए “पॉल एच एपलबाई पुरस्कार” भी प्रदान किया।