देहरादून: मनुष्यों की चिकित्सा करने वाले तो भगवान होते ही हैं, मगर उससे भी अधिक महत्वपूर्ण कार्य बेजुवान पशुओं की चिकित्सा करने वाले चिकित्सकों का है। यह बात आज यहां प्रदेश की पशुपालन और चारागाह तथा महिला कल्याण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्रीमती रेखा आर्या ने कही।
स्थानीय एक होटल में विश्व पशु चिकित्सा दिवस पर पशु चिकित्सा सेवा संघ, उत्तराखंड द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए श्रीमती आर्या ने कहा कि भारत एक कृषि प्रधान देश है, जहां प्रायः पशुपालन ही लोगों की आजीविका का एक माध्यम रहा है। पशुओं की देखभाल का कार्य आमतौर पर महिलाएं करती हैं, मगर यह चिंता की बात है कि महिलाएं पशु चिकित्सा के क्षेत्र में बहुत कम भागेदारी करती हैं।
उन्होंने कार्यक्रम के दौरान, मात्र एक महिला पशु चिकित्सक की उपस्थिति की चर्चा करते हुए आह्वान किया कि पशु चिकित्सा के क्षेत्र में महिलाएं आगे आएं। उन्होंने पर्वतीय इलाकों में पशुओं को पर्याप्त चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराने के निर्देश देते हुए कहा कि जल्दी ही पाइलट प्रोजेक्ट के रूप में पशु चिकित्सा वाहन (वैन) संचालित की जाएगी। जो गांव-गांव जाकर पशुओं के स्वास्थ्य का परीक्षण करेंगी और किसी प्रकार का रोग मिलने पर उसका समुचित उपचार करेगी। इस वाहन में सभी आवश्यक दवाएं आदि उपलब्ध रहेगी। इसके अतिरिक्त, शीघ्र ही पशुओं के लिए आपात चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध कराई जाएंगी।
राज्य मंत्री ने कहा कि यदि यह प्रोजेक्ट सफल रहता है तो राज्य के सभी विधानसभा क्षेत्रों में सचल पशु चिकित्सालय संचालित किए जाएंगे। इसके साथ ही, उन्होंने कहा कि सभी विधानसभा क्षेत्रों में गौ सदनों की भी स्थापना की जाएगी, जहां आवारा, लावारिस और परित्यक्त गायों के संरक्षण का कार्य किया जाएगा।
इस अवसर पर श्रीमती आर्या ने राज्य के 13 पशु चिकित्सकों को अपने जिलों में सर्वश्रेष्ठ कार्य करने, पशु प्रक्षेत्रों में सर्वश्रेष्ठ कार्य करने पर एक और कृत्रिम गर्भाधान में सर्वश्रेष्ठ कार्य करने पर एक पशु चिकित्सका को सम्मानित भी किया। उन्होंने इस अवसर पर संघ की वार्षिक पत्रिका उत्तराखंड वेटस न्यूज का भी विमोचन किया। इस अवसर पर पशुपालन निदेशक डा.एसएस बिष्ट, पशु चिकित्सा सेवा संघ के प्रांतीय अध्यक्ष डा.कैलाश उनियाल, सचिव डा.आशुतोष जोशी समेत प्रदेश के सभी पशु चिकित्सक मौजूद रहे।