नई दिल्ली: केंद्रीय आवास और शहरी विकास राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि आवास और शहरी विकास मंत्रालय के कोष से 643.58 करोड़ रुपये के वित्त पोषण से जिन पांच परियोजनाओं को स्वीकृति दी गई है उनमें दिल्ली के आईटीओ पर स्काईवॉक और फुटओवर ब्रिज हैं। इन परियोजनाओं के तहत महिपालपुर, नरेला, आईएसबीटी कश्मीरी गेट और रानी झांसी रोड में फ्लाइओवर और अंडरपास बनाए जायेंगे। एक परियोजना दिल्ली के सबसे व्यस्त चौहारों में से एक आईटीओ के लिए है। आईटीओ इंटरसेक्शन प्वाइंट है, यहां मेट्रो स्टेशन, तिलक ब्रिज रेलवे स्टेशन और सात प्रमुख सड़के हैं। इस कारण इंटर क्रासिंग पर वाहन यातायात के साथ पैदल यात्री भी होते हैं और भीड़भाड और जाम की यह स्थिति पैदल यात्रियों के लिए खतरनाक हो सकती है।
आज नई दिल्ली में आईटीओ के ‘डब्ल्यू’ प्वाइंट पर स्काईवॉक और एफओबी की आधारशिला रखते हुए श्री पुरी ने कहा कि स्काईवॉक और फुटओवर ब्रिज से इस क्षेत्र में आने वाले पैदल यात्रियों को सुरक्षित और आरामदेह रास्ता मिल सकेगा। अभी आईटीओ चौक पर व्यस्त समय का वाहन यातायात लगभग 16000 से 20000 पीसीयू है और डब्ल्यू प्वाइंट पर 12000 पीसीयू है। यह परियोजना 54.34 करोड़ रुपये की है। इसमें से 43.47 करोड़ रुपये शहरी विकास कोष तथा 10.87 करोड़ रुपये डीडीए द्वारा दिए जायेंगे। परियोजना के मार्च, 2018 तक पूरी हो जाने की आशा है। इस अवसर पर संसद सदस्य सुश्री मीनाक्षी लेखी भी उपस्थित थीं।
इस परियोजना से आईटीओ क्षेत्र में आने वाले लोगों और वहां के पुलिस मुख्यालय, पीडब्ल्यूडी मुख्यालय, इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियर्स और आयकर कार्यालय, केंद्रीय उत्पाद कार्यालय, डीडीए, स्कूल और प्लानिंग और आर्किटेक्चर, जीएसटी कार्यालय, सुप्रीम कोर्ट, प्रगति मैदान, एएसआई, कॉलेज आफ आर्ट तथा लेडी इर्विन कॉलेज सहित 25 से अधिक कार्यालय में काम करने वाले कर्मचारियों को लाभ होगा। प्रगति मैदान मेट्रो स्टेशन के निकट बनने वाले सुप्रीम कोर्ट के नए भवन से पैदल यात्रियों की संख्या बढ़ेगी। उन्होंने बताया कि स्काईवॉक की डिजाइन अनोखी, अत्यधिक कामकाजी और सौंदर्यबौद्ध वाली होगी और इसे दिल्ली की एक प्रमुख पहचान माना जाएगा। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि इस परियोजना के पूरा होने से न केवल पैदल यात्रियों के आने-जाने के लिए सुरक्षित रास्ता मिलेगा बल्कि पूरा क्षेत्र अलग दिखेगा।
श्री पुरी ने कहा कि इसके अतिरिक्त तीनों नगर निगमों के लिए ठोस कचरा प्रबंधन परियोजना को मंजूरी दी गई है। 300 करोड़ की इस परियोजना में से प्रत्येक निगम को शहरी विकास कोष से 80-80 करोड़ रुपये दिये जायेंगे और शेष योगदान भारत सरकार करेगी। इन सभी परियोजनाओं के पूरा होने से दिल्ली के लोगों के लिए सुविधाएं और जीवन की गुणवत्ता बढ़ेगी।