नई दिल्लीः केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री श्री जे.पी.नड्डा ने आज यहां आयोजित एक समारोह में‘एचआईवी/एड्स (पीएलएचआईवी) से पीडि़त लोगों के लिए वायरल लोड टेस्ट’ का शुभारंभ किया। इसके साथ ही उन्होंने इसे ऐतिहासिक दिन बताया। इस पहल से देश में इलाज करा रहे 12 लाख पीएलएचआईवी का नि:शुल्क वायरल लोड टेस्ट साल में कम से कम एक बार अवश्य कराया जा सकेगा। श्री नड्डा ने यह भी घोषणा की कि ‘सभी का इलाज (ट्रीट ऑल)’ के बाद वायरल लोड टेस्ट एचआईवी से पीडि़त लोगों के इलाज एवं निगरानी की दिशा में एक बड़ा कदम है। उन्होंने कहा कि यह वायरल लोड टेस्ट आजीवन एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी करा रहे मरीजों के इलाज की प्रभावशीलता की निगरानी करने की दृष्टि से विशेष महत्व रखता है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री श्रीमती अनुप्रिया पटेल भी इस अवसर पर उपस्थित थीं।
श्री नड्डा ने यह भी कहा कि नियमित वायरल लोड टेस्ट ‘फर्स्ट-लाइन रेजिमेंस (नियमानुसार परहेज)’ के उपयोग को अनुकूलित करेगा, जिससे एचआईवी से पीड़ित लोगों में दवा प्रतिरोध का निवारण हो सकेगा और उनकी दीर्घायु सुनिश्चित होगी। उन्होंने कहा कि वायरल लोड टेस्ट एआरटी से जुड़े चिकित्सा अधिकारियों को फर्स्ट-लाइन इलाज की विफलता के बारे में पहले ही पता लगाने में सक्षम बनाएगा और इस तरह यह पीएलएचआईवी को दवा का प्रतिरोध करने से बचाएगा। यह एलएफयू (लॉस टू फॉलो अप) पीएलएचआईवी पर नजर रखने के मामले में ‘मिशन संपर्क’ को मजबूत करने में भी मददगार साबित होगा।
केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि वर्ष 2017 में भारत ने एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी (एआरटी) उपचार प्रोटोकॉल को संशोधित किया था, ताकि एआरटी वाले समस्त पीएलएचआईवी के लिए ‘ट्रीट ऑल’ का शुभारंभ हो सके। श्री नड्डा ने कहा कि यह ‘ट्रीट ऑल’ पहल इसलिए की गई थी, ताकि उपचार जल्द शुरू हो सके और व्यक्तिगत एवं समुदाय दोनों ही स्तरों पर वायरस के संचरण को कम किया जा सके। वर्तमान में लगभग 12 लाख पीएलएचआईवी 530 से भी अधिक एआरटी केन्द्रों में मुफ्त उपचार का लाभ उठा रहे हैं।