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श्री थावरचंद गहलोत ने “ऑटिज़्म पर राष्ट्रीय सम्मेलन” का उद्घाटन किया

श्री थावरचंद गहलोत ने "ऑटिज़्म पर राष्ट्रीय सम्मेलन" का उद्घाटन किया
देश-विदेश

नई दिल्ली: श्री थावरचंद गहलोत ने आज सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के तहत ऑटिज्‍म, सेरेब्रल, मानसिक मंदता और बहु विकलांगता से ग्रस्‍त व्यक्तियों के कल्याण के लिए नेशनल ट्रस्‍ट द्वारा आयोजित ” ऑटिज्‍म पर राष्ट्रीय सम्मेलन” का उद्घाटन किया। सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्‍य मंत्री श्री कृष्ण पाल गुर्जर और श्री रामदास अठावले भी इस अवसर पर उपस्थित थे। राष्‍ट्रीय न्‍यास और रोटरी क्लब के बीच ऑटिज्‍म के क्षेत्र में एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) का आदान-प्रदान किया गया। इस अवसर पर श्री थावरचंद गहलोत ने नेशनल ट्रस्ट के तीन प्रकाशन भी  जारी किए।

इस अवसर पर संबोधित करते हुए, श्री थावरचंद गहलोत ने कहा कि ऑटिज्‍म से प्रभावित व्यक्ति अपने जीवन के अनेक क्षेत्र में चुनौतियों का सामना करते हैं और इस तरह ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम विकार (एएसडी) के बारे में जनता को शिक्षित करने और ऑटिज्‍म के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए अनेक देशों ने बड़े पैमाने पर पहल शुरू करने के बारे में ध्यान केंद्रित किया है। उन्होंने ऑटिज्‍म के साथ जी रहे प्रतिभाशाली और रचनात्मक बच्चों को पुरस्‍कार प्रदान किए और उन्‍हें आगे उनके कैरियर में सफलता प्राप्‍त करने के लिए शुभकामनाएं दी। सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय, पूरे देश में दिव्‍यांगजनों के लिए सभी प्रकार के सहायक उपकरणों के वितरण के लिए नियमित रूप से शिविरों का आयोजन करता है। उन्होंने कहा कि नेशनल ट्रस्ट ने दिव्‍यांगजनों के सशक्‍तिकरण और कल्याण के लिए नवंबर, 2015 में 10 योजनाएं शुरू की। उन्होंने उम्‍मीद जाहिर की कि यह सम्मेलन मेडिकल पहलुओं के बारे में नवीनतम अनुसंधान के अलावा ऑजिज्‍म से ग्रसत व्‍यक्‍तियों की शिक्षा और कौशल तथा समावेशी जीवन में नवीनतम विकास के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए एक बेहतरीन अवसर प्रदान करेगा। श्री रामदास अठवाले ने अपने संबोधन में पिछले दो वर्षों के दौरान सरकार द्वारा दिव्‍यांगजनों के कल्‍याण के लिए शुरू की गई अनेक योजनाओं का जिक्र किया। उन्होंने नेशनल ट्रस्ट के प्रयासों की सराहना की। श्री कृष्ण पाल गुर्जर ने कहा कि दिसंबर, 2016 में संसद द्वारा पारित विकलांगता से ग्रस्‍त व्यक्तियों के अधिकार (आरपीडब्ल्यूडी) विधेयक में विकलांगता को एक विकसित और गतिशील अवधारणा के आधार पर परिभाषित किया गया है और विकलांगों की किस्‍मों को मौजूदा 7 से बढ़ाकर 21 कर दिया गया है।

ऑटिज्‍म एक जीवनपर्यंत विकार है, वर्तमान में इसका कोई इलाज नहीं है। प्रारंभ में ही हस्तक्षेप से  इन बच्चों के जीवन में सुधार लाया जा सकता है। भारत के संविधान और विकलांगता से ग्रस्‍त व्‍यक्‍तियों के अधिकार विधेयक 2014 के अनुासार ऑटिज्‍म से ग्रस्‍त व्‍यक्‍ति अनेक सरकारी योजनाओं और कार्यक्रमों का लाभ उठा सकता है। यात्रा संबंधी रियायतें, स्वास्थ्य बीमा, आवासीय सुविधाएं, छात्रवृत्ति और स्वयं-रोजगार के लिए वित्तीय प्रोत्साहन जैसे लाभ प्राप्‍त करने के लिए विकलांगता प्रमाण पत्र प्राप्‍त करना जरूरी है।

यह राष्‍ट्रीय सम्‍मेलन जो विश्‍व ऑटिज्‍म जागरूकता महीने के दौरान आयोजित किया गया है।  नेशनल ट्रस्‍ट द्वारा एम्‍स दिल्‍ली के सहयोग से ऑटिज्‍म पर आयोजित किए जा रहे 3 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का एक हिस्सा है।  इसका उद्देश्‍य ऑटिज्‍म से ग्रस्‍त व्‍यक्‍तियों को विकलांगता प्रमाण पत्र जारी करने के लिए आईसीईएलएन और आईएसएसए उपकरणों के उपयोग के लिए डॉक्टरों को प्रशिक्षित देना है।  संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 2007 में 2 अप्रैल को विश्व ऑटिज्‍म  जागरूकता दिवस (डब्‍ल्‍यूएएडी) के रूप में घोषित किया था 2008 से 2 अप्रैल को पूरी विश्‍व ऑटिज्‍म जागरूता दिवस के रूप में मनाया जाता है ताकि दुनिया भर में आम लोगों को जागरूक ऑटिज्‍म के बारे में अधिक से अधिक जागरूक बनाया जा सके। इस सम्‍मेलन एक दिन चलने वाले इस सम्‍मेलन में ऑटिज्‍म केबारे में जाने-माने विशेषज्ञ और पेशेवर भाग ले रहे हैं।

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