नयी दिल्ली: श्रम और रोजगार राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री बंडारू दत्तात्रेय के नेतृत्व में भारतीय शिष्टमंडल ने चीन के चोंगगिंग में 26-27 जुलाई 2017 को आयोजित ब्रिक्स श्रम और रोजगार मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लिया। चीन वर्ष 2017 के लिए ब्रिक्स श्रम और रोजगार मंत्रियों की बैठक का अध्यक्ष है। भारतीय शिष्टमंडल में श्री एम सत्यवती, सचिव (श्रम और रोजगार), मनीष गुप्ता, संयुक्त सचिव, अनुजा बापट, निदेशक और प्रो. शशिकुमार, वरिष्ठ फेलो, वीवीजीएनएलआई शामिल थे।
बैठक का समापन 27 जुलाई 2017 को चोंगगिंग, चीन में ब्रिक्स श्रम और रोजगार मंत्रियों द्वारा ब्रिक्स श्रम और रोजगार मंत्रिस्तरीय घोषणा पत्र को स्वीकार किए जाने के साथ हुआ। इस घोषणा पत्र में ब्रिक्स देशों के लिए महत्वपूर्ण विविध क्षेत्रों को कवर किया गया। साथ ही भारत द्वारा उचित संस्थानीकरण के माध्यम से इन क्षेत्रों में सहयोग और सहकारिता को सुदृढ़ता प्रदान करने का आह्वान किया गया। इन क्षेत्रों में ‘’कार्य के भविष्य के बारे में गवर्नेंस’’, ‘’ब्रिक्स में विकास के लिए कौशल’’, ‘’सार्वभौमिक और टिकाऊ सामाजिक सुरक्षा प्रणालियां’’, ‘’श्रम अनुसंधान संस्थानों का ब्रिक्स नेटवर्क’’, ‘’ब्रिक्स सामाजिक सुरक्षा सहयोग प्रारूप’’ और ‘’ब्रिक्स उद्यमिता अनुसंधान’’ शामिल हैं।
इस अवसर पर श्री बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि अंशकालिक कार्य, अस्थायी कार्य, निश्चित अवधि का अनुबंध और उपअनुबंध, घर से किया जाने वाला कार्य, आदि जैसे रोजगार के गैर-मानक स्वरूपों के उदय के मद्देनजर ब्रिक्स देशों को ‘कार्य के भविष्य’ की चुनौतियों से निपटने में सहयोग करना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस तरह के कार्य ब्रिक्स देशों में रोजगार बाजारों का स्वरूप बदल रहे हैं। ब्रिक्स देशों के श्रम संस्थानों की नेटवर्किंग से सूचना के नियमित आदान-प्रदान और इस क्षेत्र में तथा अन्य साझा क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाए जाने की व्यवस्था तैयार हो सकती है।
श्रम और रोजगार मंत्री ने दोहराया कि भारत ने विश्व आपूर्ति श्रृंखला में हमेशा सीबीडीआर के सिद्धांतों का पालन किया है और उसे खुशी है कि ब्रिक्स देशों ने भी इसी नीतिगत दृष्टिकोण को दोहराया है। श्री दत्तात्रेय ने कहा कि प्रभावी और पारदर्शी श्रम गवर्नेंस के ढांचे का निर्माण करने में प्रौद्योगिकी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। उन्होंने कहा कि भारत में सेवाओं को प्रभावी, समयबद्ध और कुशलता से प्रदान करने के लिए तथा वित्तीय समावेशन, सामाजिक सुरक्षा, रोजगार सृजन और कौशल सहित सरल और पारदर्शी अनुपालन ढांचा तैयार करने के लिए आईसीटी का इस्तेमाल किया जा रहा है।
श्री दत्तात्रेय ने जोर देकर कहा कि कौशल न केवल कामगारों की रोजगार की क्षमता में व़द्धि करता है, बल्कि नियोक्ताओं की उत्पादकता भी बढ़ाता है, जिससे देश में संवर्धित उत्पादन, संवर्धित राजस्व प्रवाह और संवर्धित जीडीपी का चक्र तैयार होता है। भारत ने कौशल के जरिए गरीबी उन्मूलन और उसमें कमी लाने संबंधी ब्रिक्स की कार्ययोजना का अनुमोदन किया। इस कार्य योजना में अन्य बातों के अलावा, समग्र राष्ट्रीय योजना में गरीबों को शामिल करने की नीतिगत सिफारिशें शामिल हैं, ताकि व्यवसायिक प्रशिक्षण, बेहतर आजीवन व्यवसायिक प्रशिक्षण और शिक्षण प्रणालियां, अनुसंधान संबंधी पहल के लिए अच्छी गुणवत्ता वाली प्रशिक्षुता को बढ़ावा, सरकारों, क्षेत्रों और उद्यमों के बीच सहयोग मजबूत बनाना संभव हो सके तथा ऐसे गठबंधन बनाने के लिए ब्रिक्स राष्ट्रीय अनुसंधान संस्थानों के नेटवर्क का इस्तेमाल किया जा सके।
भारत ने ब्रिक्स द्वारा व्यक्त की गई सामूहिक प्रतिबद्धताओं को आगे ले जाने के लिए चीन की सराहना की। भारत ने ब्रिक्स के लिए प्रस्तावित सामाजिक सुरक्षा सहयोग प्रारूप के संस्थानीकरण का समर्थन किया, क्योंकि इससे हमें सामाजिक सुरक्षा के सार्वभौमिकरण विशेषकर कार्य के मानक स्वरूपों के बारे में ब्रिक्स के अन्य सदस्य देशों द्वारा अपनाई जा रही रणनीतियों का पता चल सकेगा। उन्होंने कहा कि श्रम बाजार सूचना में विषमता हम सभी के लिए बड़ी चुनौती है। उन्होंने कहा कि इस संदर्भ में राष्ट्रीय श्रम संस्थानों का नेटवर्क एकीकृत अनुसंधान और सूचना साझा करने के लिए महत्वपूर्ण संभावनाएं प्रस्तुत करता है। श्री दत्तात्रेय ने कहा कि यह नेटवर्क उपयुक्त श्रम और रोजगार मामलों पर साझा दृष्टिकोण कायम करने में हमारी सहायता भी करेगा। उन्होंने कहा कि नवोन्मेष और उद्यमिता को प्रोत्साहन देना भारत के लिए महत्वपूर्ण प्राथमिकता है। भारत ने ब्रिक्स उद्यमिता पहल को मजबूती प्रदान करने के लिए ब्रिक्स के सदस्य देशों के साथ मिलकर कार्य करने की इच्छा प्रकट की।
ब्रिक्स श्रम और रोजगार मंत्रिस्तरीय घोषणा पत्र अब चीन में होने वाले राष्ट्राध्यक्षों/शासनाध्यक्षों के शिखर सम्मेलन में प्रस्तुत किया जाएगा।
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