नई दिल्लीः केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री, श्री राधा मोहन सिंह ने कहा है कि कृषि मंत्रालय इसके लिए लगातार प्रयासरत है कि किसानों की आमदनी बढ़े, कृषि में रोजगार के अवसर बढ़े और किसानों को अधिक से अधित लाभ मिले। पटना में ‘‘कृषक गोष्ठी सह प्रक्षेत्र भ्रमण’’ का आयोजन भी किसानों के फायदे के लिए किया गया है। श्री सिंह ने यह बात आज पटना के ICAR में आयोजित “किसान गोष्ठी सह प्रक्षेत्र भ्रमण” के मौके पर कही।
श्री सिंह ने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था में कृषि का महत्वपूर्ण योगदान है। देश के सकल घरेलू उत्पाद में कृषि क्षेत्र का योगदान लगभग 14 प्रतिशत है जबकि बिहार में कृषि क्षेत्र का योगदान लगभग 19 प्रतिशत है। अर्थव्यवस्था के विकास के साथ देश स्तर पर सकल घरेलू उत्पाद में कृषि क्षेत्र का योगदान घटता जा रहा है, परन्तु कृषि पर आश्रित जनसंख्या का उसी अनुपात में कमी नही हो रही है। यह समावेशी विकास के लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती है। देश की तुलना में बिहार की कृषि पर जनसंख्या का दबाब अधिक है। देश में खेती की जाने वाली भूमि के रकवे में बिहार का हिस्सा 3.8 प्रतिशत है, जबकि देश की आबादी में बिहार का हिस्सा 8.6 प्रतिशत है। राज्य का जनसंख्या घनत्व 1106 व्यक्ति प्रति वर्ग कि0मि0 है, जबकि राष्ट्रीय औसत मात्र 382 व्यक्ति प्रति वर्ग कि0मि0 है। राज्य में 91 प्रतिषत किसान सीमांत श्रेणी के है, जबकि राष्ट्रीय औसत 68 प्रतिशत है। इस प्रकार राज्य की कृषि पर जनसंख्या का भारी दबाब है तथा खेती करने वाले परिवारों में सीमांत किसानों तथा कृषि मजदूरों की संख्या अधिक है।
राज्य में कृषि के विकास के लिए प्राकृतिक संसाधन यथा उपजाऊ मिट्टी, जल एवं कृषि जलवायवीय परिस्थितियाँ उपलब्ध है। पिछले चार-पाँच सालों में फसल एवं बागवानी में उल्लेखनीय उपलब्धि के साथ-साथ कृषि से संबद्ध क्षेत्रों में भी उल्लेखनीय प्रगति हुई है। गत वर्ष बिहार में अनुमानित 141 लाख टन धान्य फसलों का उत्पादन हुआ, जिसमें धान 68.8 लाख टन, गेहूँ 47.4 लाख टन, मक्का 25.2 लाख टन, दलहन 4.2 लाख टन एवं तेलहन 1.3 लाख टन उत्पादन हुआ। सब्जी का उत्पादन 156.29 एवं फल का उत्पादन 40 लाख टन तक आंकलन किया गया। उसी प्रकार राज्य में प्रतिवर्ष दूध का उत्पादन 87 लाख मी॰ टन, अण्डा का उत्पादन 111 करोड़, मांस का उत्पादन 3.26 लाख मी॰ टन तथा मछली का उत्पादन 5.06 लाख मी॰ टन हो गया है।
कृषि उत्पादन वृद्धि में कृषि विष्वविद्यालयों एवं कृषि प्रसार संस्थाओं का विषेष योगदान रहा है। वर्तमान में राज्य में दो कृषि विष्वविद्यालय एवं एक पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के चार शोध संस्थान (पटना में 2, मुजफ्फरपुर एवं मोतिहारी में एक-एक), चार क्षेत्रीय कृषि शोध संस्थान (मोतीपुर, पूसा, दरभंगा एवं बेगुसराय में), छह कृषि महाविद्यालय, एक-एक मत्स्य, डेयरी, कृषि अभयंत्रण, बागवानी एवं पशु चिकित्सा महाविद्यालय हैं। कृषि तकनीक के प्रचार-प्रसार, प्रत्यक्षण एवं प्रषिक्षण हेतु सभी 38 जिलों में कृषि विज्ञान केन्द्र कार्यरत हैं। सभी कृषि विज्ञान केन्द्रों की गतिविधियों की जानकारी हेतु कृषि विज्ञान पोर्टल बनाये गये है।
कृषि में सूचना प्रौद्योगिकी के उपयोग का समावेश करके कृषि सुविधा एवं पूसा कृषि मोबाईल एप, फसल बीमा मोबाईल एप और कृषि मंडी एप विकसित किया गया है। कृषि सुविधा एप द्वारा जलवायु, पौध संरक्षण, कृषि परामर्शों, मंडी मूल्यों आदि के बारे में किसान जानकारी प्राप्त कर सकते है। पूसा कृषि मोबाईल एप आई ए आर आई द्वारा विकसित प्रौद्योगिकी के बारे में किसान को सूचना देते हैं। फसल बीमा मोबाईल एप हमे सामान्य, बीमित राशि, विस्तृत प्रीमियम ब्यौरा, अधिसूचित फसल की सूचना आदि के बारे में जानकारी देता है। कृषि मंडी एप 50 कि.मी. के क्षेत्र के अधीन मंडियों के फसल के मूल्य के बारे में जानकारी देता है। फसल बीमा पोर्टल दावा निपटान समय को कम करता है तथा परदर्शिता बढाता है। 2022 तक किसानों की आमदनी दुगुनी करने के लिए कृषि मंत्रालय सात सूत्री कार्यक्रम चला रहा है।