14 C
Lucknow
Online Latest News Hindi News , Bollywood News

संगोष्ठी और सम्मेलनों का असर जमीन पर दिखना चाहिए: श्री नितिन गडकरी

कृषि संबंधितदेश-विदेश

नई दिल्लीः केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण, सड़क परिवहन और राजमार्ग एवं जहाजरानी मंत्री श्री नितिन गडकरी ने कहा है कि संगोष्ठियों और सम्मेलनों का असर जमीन पर दिखना चाहिए और इनसे किसानों और आम लोगों को लाभ पहुंचना चाहिए। भू-जल दृष्टिकोण 2030 पर सातवें अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आज नई दिल्ली में उद्घाटन करते समय उन्होंने कहा कि जल, ऊर्जा, परिवहन और संचार राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में योगदान करने वाले चार प्रमुख क्षेत्र हैं। श्री गडकरी ने कहा कि हमारे देश में इन दिनों जल एक बेहद महत्वपूर्ण मुद्दा है। जल श्रोतों का सटीक संरक्षण और भंडारण किसानों की कृषि आय, औद्य़ोगिक उत्पादन और रोजगार सृजन में वृद्धि कर सकता है। वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं को जल के पुनर्चक्रण एवं इसके कृषि और उद्योगों में पुनः प्रयोग के लिए नई तकनीकों को खोजना चाहिए। श्री गडकरी ने कहा कि हर जिले और क्षेत्र का भूविज्ञान अलग है और इसके लिए क्षेत्रवार सूक्ष्म नियोजन की जरूरत है। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिकों को जल भंडारण और संरक्षण के लिए आर्थिक और तकनीकी रूप से व्यवहार्य समाधान ढूंढने चाहिए।

सम्मेलन को संबोधित करते हुए केंद्रीय पेयजल और स्वच्छता मंत्री सुश्री उमा भारती ने कहा कि नदियां हजारों सालों से बह रही हैं और तब इनके साथ कोई समस्या नहीं थी लेकिन पिछले कुछ दशकों से हम प्रदूषण और जल प्रवाह की कमी की समस्या का सामना कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि नदियों के जल का प्रयोग करने वाले उद्योगपतियों, किसानों और आम लोगों में नदियों के प्रति उत्तरदायित्व की भावना पैदा की जानी चाहिए। सुश्री उमा भारती ने कहा कि विद्यालयों और विश्वविद्यालयों में जल प्रबंधन के बारे में पढ़ाया जाना चाहिए।

केन्द्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण राज्य मंत्री श्री अर्जुन राम मेघवाल ने भूजल के उपयोग पर अभी तक कोई उचित नियम न होने के प्रति अपनी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि भूजल नियमन और प्रशासन काफी जटिल है और यह स्थानीय परिस्थितियों के अनुरूप बनाने की आवश्यकता है।

केन्द्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण राज्य मंत्री श्री डॉ. सत्यपाल सिंह ने जल के प्रति एक समग्र दृष्टिकोण की आवश्यकता पर जोर दिया।

इस सम्मेलन का आयोजन देश में भूजल से जुड़े मसलों पर ‘भू-जल दृष्टिकोण 2030 – जल सुरक्षा, चुनौतियां एवं जलवायु परिवर्तन संयोजन’ विषय के तहत हो रहा है। इस तीन दिवसीय (11 से 13 दिसंबर, 2017) सम्मेलन का आयोजन राष्‍ट्रीय जलविज्ञान संस्‍थान, रूड़की और केंद्रीय भू-जल बोर्ड केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण के सहयोग से कर रहे हैं।

बढ़ते हुए प्रदूषण और जल वायु परिवर्तन के प्रभाव से उत्पन्न चुनौतियों से निपटने के लिए और भू-जल प्रबंधन से जुड़े विषयों पर विचार-विमर्श के लिए आईजीडब्ल्यूसी-2017 नीति निर्माताओं, शोधकर्ताओं, अकादमिक जगत से जुड़े लोगों, जल प्रबंधकों, पेशवरों, उद्यमियों, तकनीकी जानकारों और युवा शोधकर्ताओं को एक साझा मंच प्रदान करता है।

सम्मेलन में 15 देशों के प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। इसमें 250 शोध पत्र प्रस्तुत किए जायेंगे जिनमें 32 बेहद महत्वपूर्ण पत्र शामिल हैं।

Related posts

9 comments

Leave a Comment

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More