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सचिवालय में आयोजित बैठक की अध्यक्षता करते हुएः सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत

सचिवालय में आयोजित बैठक की अध्यक्षता करते हुएः सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत
उत्तराखंड

देहरादून: लिंगानुपात से प्रभावित 02 जिलों पौड़ी एवं पिथौरागढ़ में तुरंत सर्वे कराया जाए। पुरानी अल्ट्रासाउंड मशीनों को नष्ट करने हेतु एक ही कंपनी को पंजीकृत किया जाए। नष्ट करते समय उसके वीडियोग्राफी करवाई जाए। इसके लिए बाय बैक पॉलिसी में संशोधन किया जाए। क्लीनिकल इस्टैब्लिशमेंट एक्ट एवं पीसीपीएनडीटी एक्ट में संशोधन किया जाए। गर्भवती महिलाओं के प्रथम पंजीकरण में ही एमसीटीएस यूनिक आईडी को आधार से जोड़ा जाए। भ्रूण में मृत्यु की समीक्षा की जाए।

मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत को सचिवालय में गर्भावस्था पूर्व प्रसव पूर्व निदान की समीक्षा की। मुख्यमंत्री ने पिछले दो दशकों में महिला लिंगानुपात में लगातार आ रही गिरावट पर भारी चिंता व्यक्त करते हुए उक्त निर्देश दिए। उन्होंने निर्देश दिए कि जनपद पौड़ी एवं पिथौरागढ़ में दोनों विकासखंड चयनित कर तुरंत सर्वे कराया जाए। यह स्थिति बहुत ही खतरनाक है। कन्या भ्रूण हत्या को रोकने के लिए टास्क फोर्स तैयार की जाए। टास्क फोर्स का कार्य निगरानी करना होगा। इसके अतिरिक्त विजिलेंस एवं मुखबिर व्यवस्था का भी प्रयोग किया जाए।

उन्होंने कहा कि भ्रूण हत्या रोकने के लिए लगातार जागरूकता अभियान चलाया जाए। इसमें सेलेब्रिटीज को भी जोड़ा जाएगा। बहुत से सेलिब्रिटीज इस अभियान से जुड़ने के इच्छुक हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि कन्या भ्रूण हत्या को रोके जाने के लिए के लिए ट्रैकिंग सिस्टम को मजबूत किया जाना चाहिए। गर्भवती महिला के प्रथम बार रजिस्ट्रेशन पर एमसीटीएस यूनिक आईडी के साथ-साथ इसे आधार से भी जोड़ा जाए।

मुख्यमंत्री ने आईवीएफ केंद्रों का नियमन करने की बात कही इसके लिए ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक एक्ट एवं पीसीपीएनडीटी एक्ट के नियमों को संशोधन किए जाने के निर्देश दिए। प्रत्येक अल्ट्रासाउंड मशीन का 90 दिन के अंदर निरीक्षण करवाना आवश्यक किया जाए, यदि 90 दिनों में मशीन का निरिक्षण न हो तब इसका उपयोग नही किया जा सकता है।

मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र ने लिंगानुपात सुधार के लिए प्रशासकीय एवं सामाजिक सुधारों पर भी चर्चा की। उन्होने महिलाओं को सामाजिक तौर पर मजबूत करने के लिए आर्थिक प्रतिनिधित्व दिए जाने पर बल दिया।

मुख्यमंत्री ने लिंगानुपात सुधार के लिए नैतिक मूल्यों एवं सामाजिक उपायों का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि डॉक्टर्स की पर्ची पर संवेदना से भरे प्रेरक स्लोगन दिखाया जाए। नुक्कड़ नाटक, फिल्म एवं सार्वजनिक स्थलों पर प्रचार-प्रसार के लिए समारोह कार्यक्रम भी आयोजित किए जाए। उन्होंने अपने पितृ सत्तात्मक समाज में भ्रुण हत्या के लिए जिम्मेदार अन्य तत्वों को भी दंडित करने का प्रावधान रखने को कहा। बेटी के जन्म पर बेटी के नाम पर पेड़ लगाने की जिम्मेदारी किसी एनजीओ को दी जा सकती है।

बैठक में अपर मुख्य सचिव श्री ओमप्रकाश, सचिव विधि श्री महेश चन्द्र कोशिबा एवं महानिदेशक चिकित्सा श्री डी.एस. रावत सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

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