नई दिल्लीः सरकार 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के लिए प्रतिबद्ध है जिससे कि वे प्रसन्नतापूर्वक एवं समृद्धि के साथ जीवन व्यतीत कर सकें। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री राधा मोहन सिंह ने यह बात आज गोविन्द बल्लभ पन्त कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय पन्तनगर, ऊधमसिंह नगर, उत्तराखंड में अखिल भारतीय किसान मेला एवं कृषि उद्योग प्रदर्शनी के समापन अवसर पर कही। इस अवसर पर उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत, कृषि एवं उद्यान मंत्री श्री सुबोध उनियाल, कुलपति, प्रोफेसर ए. के. मिश्रा भी उपस्थित थे।
कृषि मंत्री ने इस मौके पर गोविन्द बल्लभ पन्त कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, पंतनगर के काम की सराहना की और कहा कि इस विश्वविद्यालय को वर्ष 2016 में ब्रिक्स देशों के 200 सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालयों में जगह मिली है। इसी महीने एशिया के सर्वश्रेष्ठ 350 विश्वविद्यालयों में भी इसका नाम दर्ज हुआ है। यह देश का दूसरा एकमात्र कृषि विश्वविद्यालय है जिसे यह गौरव प्राप्त हुआ है। कृषि अनुसंधान, शिक्षा, प्रसार में इस विश्वविद्यालय ने बड़े ही महत्वपूर्ण काम किए है।
श्री राधा मोहन सिंह ने गोविन्द बल्लभ पन्त कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, पन्तनगर परिसर में राष्ट्रीय बीज निगम के क्रियाशील बीज प्रोसेसिंग संयंत्र का लोकार्पण भी किया। उन्होंने इस बात पर खुशी जताई कि राष्ट्रीय बीज निगम द्वारा पहली बार एक बीज प्रोसेसिंग संयंत्र तैयार किया गया है। उन्होंने कहा कि इससे पर्वतीय क्षेत्र में बीज उत्पादन में आ रही कठिनाईयां दूर हो सकेंगी। पर्वतीय क्षेत्र के किस्मों के बीजों का, मैदानी क्षेत्रों में उत्पादन व्यवसायिक रूप में सफल नहीं रहा है। पर्वतीय क्षेत्रों से बीजों के मैदानी क्षेत्रों में प्रसंस्करण हेतु ढो कर लाने में यातायात खर्च बढ़ जाता था, जिससे बीज महंगे हो जाते थे। इस प्लांट को अब पर्वतीय क्षेत्र में स्थापित किया जाएगा जिससे किसान अपने बीजों का वहीं विकास कर सकेंगे। इस प्रकार उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्र की विकसित प्रजातियों के बीज उसी जलवायु में बनाए जाएंगे, जिससे न केवल पर्वतीय क्षेत्र का उत्पादन बढ़ाया जा सकेगा बल्कि यहां की विलुप्त हो रही विशेष किस्म का संरक्षण भी हो सकेगा।
मंत्री महोदय ने कहा कि पहाड़ की कुछ फसलों का उद्भव व विकास जलवायु विशेष के कारण हुआ है। यहां पर औषधीय गुण वाले पौधे, फसलों की किस्में सदियों से उगाई जाती रही हैं। फसलों में रागी (मंडुआ), सावां (झगोरा) की विशेष प्रजाति उगाई जाती रही है जो अब विलुप्त होने के कगार पर आ गई हैं। कृषि मंत्री ने कहा कि पहाड़ में विकसित विशेष गुणों वाली फसलों के विकास एवं संरक्षण पर तुरंत ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है।
कृषि मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री एवं सरकार किसानों की आय को वर्ष 2022 तक दोगुना करने के लिए प्रतिबद्ध है, इसके लिए सरकार ने बजट 2018-19 में कृषि एवं किसान कल्याण के विषयों को अभूतपूर्व प्राथमिकता देते हुए कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय का बजटीय आवंटन पिछले वर्ष यानि 2017-18 के 51,576 करोड़ से बढा कर 2018 -19 में 58,080 करोड़ कर दिया है। सरकार कृषि क्षेत्र के विकास के लिए प्रतिबद्ध है और वह उत्पादन केन्द्रित कार्यनीति से हटकर आय बढाने वाली योजनाओ के समन्वयन एवं क्रियान्वयन को प्राथमिकता दे रही है।
इस महत्वाकांक्षी उद्देश्य की प्राप्ति के लिए सरकार द्वारा माननीय प्रधानमंत्री जी द्वारा सुझाये गये ‘बहु-आयामी सात सूत्रीय’ कार्यनीति को अपनाने को प्रोत्साहित कर रही है , जिसमे शामिल हैं-
- ‘’प्रति बूंद अधिक फसल’’ के सिद्धांत पर पर्याप्त संसाधनों के साथ सिंचाई पर विशेष बल।
- प्रत्येक खेत की मिट्टी की गुणवत्ता के अनुसार गुणवत्ता वाले बीज एवं पोषक तत्वों का प्रावधान।
- कटाई के बाद फसल नुक्सान को रोकने के लिए गोदामों और कोल्डचेन में बड़ा निवेश।
- खाद्य प्रसंस्करण के माध्यम से मूल्य संवर्धन को प्रोत्साहन ।
- राष्ट्रीय कृषि बाज़ार एवं सभी 585 केन्द्रों पर कमियों को दूर करने के लिए ई – प्लेटफार्म का कार्यान्वयन।
- जोखिम कम करने के लिए कम कीमत पर फसल बीमा योजना की शुरुआत।
- डेरी-पशुपालन, मुर्गी-पालन, मधुमक्खी–पालन, मेढ़ पर पेड़, बागवानी व मछली पालन जैसे संबद्ध कार्यकलापों को बढ़ावा देना।