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सरस मेले में देहरादूनवासी उठा रहे हैं सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आनंद

सरस मेले में देहरादूनवासी उठा रहे हैं सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आनंद
उत्तराखंड

देहरादून: ग्राम्य विभाग, उत्तराखण्ड से प्रतिवर्ष दीपावली से पूर्व आयोजित होने वाले हिमान्या सरस मेला-2017 का परेड ग्राउन्ड में आयोजन किया गया है। उक्त मेले का उद्घाटन दिनांक 07 अक्टूबर, 2017 को किसानों के विकास हेतु कृतसंकल्पित मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत द्वारा किया गया। यह मेला 17 अक्टूबर तक चलेगा।

मुख्य कार्यकारी अधिकारी युगल किशोर पंत ने बताया कि मेले में उत्तराखण्ड के पहाड़ी एवं अन्य राज्यों के स्वंय सहायता समूहों द्वारा अपने उत्पादों का विक्रय किया जाता है। मेले का मुख्य उदेश्य स्वयं सहायता समूहों को उनके उत्पादों के विपणन का एक प्लेटफार्म उपलब्ध कराना है ताकि स्वरोजगार को बढ़ावा मिले तथा समूहों की आर्थिक सुद्ढ़ता हो। अन्य वर्षों की तुलना में मेले में खाने-पीने के स्टॉलों के साथ ही सफाई व्यवस्था रखी गयी है। मेले में सायंकाल को प्रतिदिन सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है, जिसमें लोकगायकों द्वारा गढ़वाली, कुमाऊँनी, जौनसारी, हिमांचली व हिन्दी गीतों पर प्रस्तुतियाँ दी जा रही हैं। जनसामान्य भी कलाकारों का उत्साह बढ़ाने के लिए प्रतिदिन भारी संख्या में मेले में आ रहे हैं।

स्टॉलों में पहाड़ी दालों, मसालों, अचार, नमकीन आदि उपलब्ध है। साथ ही अन्य राज्यों से आये सामान जैसे हरियाणा से जूते इत्यादि, असम से बांस के सामान, पश्चिम बंगाल से फाईबर से बने सामान इत्यादि की खरीददारी की जा सकती है। मेले में थीम पर आधारित स्टॉल भी लगाये गये हैं, जिसमें मिट्टी के बने लक्ष्मी, पार्वती, शिवजी गणेश, दीवाली के त्यौहार को देखते हुए रंग बिरंगे विभिन्न प्रकार के दीये एवं डेकोरेटिव फलावर रखे गये हैं, जिनकी सर्वाधिक डिमान्ड है। जिसके कारण दीपावली से सम्बन्धित खरीददारी के लिए सरस मेला एक महत्वपूर्ण विकल्प साबित हो रहा है। वर्तमान मेले में स्वयं सहायता समूहों द्वारा यह बताया गया कि मेले में सुरक्षा, स्वास्थ्य, पानी के साथ ही सफाई की उत्तम व्यवस्था की गयी है, जिसके कारण उनके व्यापार में अधिक प्रगति हुई है। इसके साथ ही स्वयं सहायता समूहों एवं ग्राहकों द्वारा मेले के आयोजकों व उसमें शामिल अधिकारियों/कर्मचारियों द्वारा की गयी व्यवस्था की तारीफ करते हुए धन्यवाद दिया गया और यह भी कहा गया कि विभाग द्वारा वर्ष में इस प्रकार के आयोजन दो बार किये जाने चाहिए।

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