देहरादून: एक बड़े राजनीतिक घराने की लड़की की शादी उसकी मां बचपन में ही अपनी सहेली के बेटे से तय कर देती है। अपनी मां की आखिरी इच्छा को पूरा करने के लिए उच्च शिक्षा प्राप्त लड़की उद्योगपतियों, फिल्मी हस्तियों, प्रशासनिक अधिकारियों के एक से एक रिश्तों को दरकिनार कर हंसी-खुशी उस लड़के से शादी कर लेती है। सुनने में यह कहानी एकदम फिल्मी लगती है, लेकिन यह हकीकत है। इस अफसाने को हकीकत में बदला है उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री निशंक की बड़ी बेटी और मशहूर कथक नृत्यांगना आरुषि निशंक ने।
आरुषि की मां और उनकी एक सहेली ने बचपन में ही अपने बच्चों का रिश्ता जोड़ दिया था। दोनों सहेलियों की चाहत थी कि उनकी दोस्ती रिश्तेदारी में बदल जाए और इनके इस सपने को बच्चों ने पूरा भी कर दिया है। यदि यह सपना किसी सामान्य परिवार का होता तो शायद कोई बड़ी बात नहीं होती, लेकिन मोहब्बत का यह अफसाना पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा सांसद रमेश पोखरियाल निशंक के घर में पूरा हुआ है।
24 जनवरी 2015 को आरुषि निशंक और अभिनव पंत सात जन्मों के बंधन में बंधे। इनके रिश्ते की डोर निशंक की दिवंगत पत्नी कुसुम और उनकी बचपन की सहेली रानी पंत ने बरसों पहले ही बांध दी थी। बताते हैं कि कुसुम ने बचपन में ही आरुषि की शादी अपनी सहेली रानी के बेटे अभिनव से गुपचुप तय कर दी थी। कुसुम ने यह बात किसी को नहीं बताई थी, लेकिन नवंबर 2012 में जब कैंसर से पीड़ित कुसुम जिंदगी और मौत की दहलीज पर खड़ी थी। उस वक्त उन्होंने अपनी आखिरी इच्छा को परिवार के सामने रखा। ऐसे में आरुषि के सामने बड़ा धर्मसंकट था, लेकिन उन्होंने अपनी मां की इच्छ को तरजीह दी और इस सपने को पूरा किया।
इस शादी पर आरुषि कहती हैं, मैं चाहती थी कि मुझसे शादी करने वाला आरुषि से शादी करे, आरुषि निशंक से नहीं। मां के निधन के बाद कई बड़े घरों से मेरे लिए रिश्ते आए, लेकिन उन सभी में मुझसे शादी करने से ज्यादा एक राजनीतिक परिवार जुडने की इच्छा थी। ऐसे में अभिनव इन सबसे अलग थे, वे बेहद खास हैं और बहुत ही सुलझे हुए इंसान हैं।
आरुषि बताती हैं कि दो साल पहले मां जब दिल्ली के अस्पताल में भर्ती थीं। उस वक्त लंदन में पढ़ रहे थे, लेकिन मां की हालत के बारे में जानने के बाद वे दिल्ली आए। उन्हें देखते ही मां की आंखों में एक अलग चमक दिखी। इस मुलाकात के कुछ वक्त बाद ही मां कोमा में चली गई। जैसे मां को बस अभिनव का ही इंतजार हो। मैंने तभी तय कर लिया कि मां की इच्छा को हर हाल में पूरा करना है।
इस शादी में निशंक रुख बेहद समझदारी भरा रहा। उन्होंने आरुषि पर किसी तरह का दबाव नहीं बनाया और अपनी पत्नी की इच्छा का सम्मान किया। उनका कहना था कि आरुषि एक समझदार लड़की है। वह अपना भला-बुरा समझती है, इसलिए उसे अपना रास्ता खुद ही चुनना चाहिए। निशंक भावुक होते हुए कहते हैं कि बेटी ने मां का वचन पूरा कर जो खुशी दी है, उसे बयां नहीं किया जा सकता।
आरुषि का ननिहाल कोटद्वार के काशीरामपुर में है। उनकी मां कुसुम और अब उनकी सास रानी पंत छठी से लेकर एमए तक एक साथ पढ़ी हैं। आरुषि ने बताया कि मां ने न जाने कब रिश्ता तय कर दिया लेकिन पहली बार तब उन्हें बताया, जब वह इंटर में थीं।
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