नई दिल्ली: सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के राष्ट्रीय न्यास ने प्रमुख साझीदारों के सहयोग से एक सम्मेलन का आयोजन किया। समावेशी भारत पहल : एक समावेशी भारत की दिशा में सम्मेलन का विषय था “बौद्धिक और विकास संबंधी अपंगता के लिए समावेशी भारत पहल ”। राष्ट्रीय न्यास का समावेशी भारत अभियान विशेष रूप से बौद्धिक और विकास संबंधी दिव्यांगों के लिए है। इसका उद्देश्य ऐसे लोगों को मुख्यधारा में शामिल कराना और सामाजिक जीवन के सभी महत्वपूर्ण पहलुओं शिक्षा, रोजगार और समुदाय के प्रति दृष्टिकोण बदलाव लाना है।
इस सम्मेलन का उद्घाटन केन्द्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री थावर चन्द गहलोत ने किया। इस अवसर पर कौशल विकास और उद्यमिता राज्य मंत्री राजीव प्रताब रूडी, युवा मामले और खेल राज्य मंत्री विजय गोयल, नीति आयोग के मुख्यकार्यकारी अधिकारी अमिताभ कांत, संयुक्त राष्ट्र के रेजीडेन्ट कॉर्डिनेटर अफानासीव, सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के सचिव एन.एस. कांग, राष्ट्रीय न्यास के अध्यक्ष कमलेश पाण्डे, राष्ट्रीय न्यास के मुख्यकार्यकारी अधिकारी मुकेश जैन और सामाजिक न्याय और अधिकारिता के मंत्रालय के कई अधिकारी उपस्थित थे। इस अवसर पर समावेशी भारत पहल पर एक दृष्टिपत्र जारी किया गया और राष्ट्रीय न्यास और उसके सहयोगियों के बीच समझौता पत्रों पर हस्ताक्षर किए गए।
अपने उद्घाटन भाषण में श्री थावर चंद गहलोत ने कहा कि हमारा देश सदैव “वसुधैव कटुम्बकम” में विश्वास करता आया है और दिव्यांगजन हमारे समाज के अभिन्न अंग हैं। श्री गहलोत ने कहा कि दिव्यांगजनों को सटीक मार्गदर्शन की आवश्यकता है और राष्ट्रीय न्यास दिव्यांगजनों के कल्याण के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। उन्होंने लोगों से राष्ट्रीय न्यास की सभी दस योजनाओं का लाभ उठाने की अपील की। उन्होंने बताया कि उनका मंत्रालय दिव्यांगजन वित्त विकास निगम के माध्यम से दिव्यांगजनों को कौशल विकास का प्रशिक्षण देता है और उऩ्हें निर्भर बनाता है । अब दिव्यांगजनों को देश और विदेश में अध्ययन के लिए छात्रवृत्ति दी जा रही है। दिव्यांगजनों को देशभर में शिविरों के जरिए उपचार और आवश्यक उपकरण उपचार प्रदान किए जा रहे हैं। उनके मंत्रालय ने देशभर में पांच हजार तीन सौ शिविरों का आयोजन किया है जिसमे पांच सौ करोड़ रूपए उपचार और मददगार उपकरण वितरण पर खर्च हुए हैं।
इस अवसर पर अपने संबोधन में श्री विजय गोयल ने कहा कि पिछले ओलंपिक खेलों में दिव्यांगजनों ने बड़ी संख्या में भाग लिया। उन्होंने बताया कि उनके मंत्रालय ने आगामी ओलंपिक में खेलने वाले सभी दिव्यांगजनों सहित भविष्य के खिलाड़ियों के लिए एक पोर्टल शुरू किया है। उन्होंने भरोसा दिलाया कि दिव्यांगजनों की प्रतिभा को तराशने के लिए उनका मंत्रालय हर संभव मदद करेगा।
श्री राजीव प्रताब रूडी ने कहा कि दिव्यांगों विशेषरूप से सक्षम व्यक्ति है और उनकी प्रतिभा को कौशल विकास के जरिए निखारा जा सकता है और उनका मंत्रालय इस संबंध में हर संभव सहयोग करेगा।
नीति आयोग के मुख्यकार्यकारी अधिकारी अमिताभ कांत ने कहा कि दिव्यांगजन प्रतिभाशाली है और उनमें विशेष योग्याताएं है। इनके समेकित विकास के लिए कई नए कार्यक्रम शुरू किए गए हैं। उन्होंने कहा कि हमें दिव्यांगजनों की क्षमताओं को निखरने देना चाहिए ।
समावेशी भारत पहल दिव्यांगजनों को सामाजिक तानेबाने में अधिकारों का संरक्षण, बौद्धिक और विकास संबंधी दिव्यांगजनों की सक्रिय भागादारी और समान अवसर देने का एक प्रयास है। समेकित भारत अभियान के तहत तीन मुख्य बिन्दुओं पर ध्यान दिया जा रहा है जोकि समेकित शिक्षा, समेकित रोजगार और समेकित सामुदायिक जीवन हैं।
समावेशी शिक्षा के क्षेत्र में देशभर में व्यापक स्तर पर जागरूकता अभियान चलाया जाएगा। ताकि विद्यालयों और कॉलेजों को दिव्यांगजनों के लिए समेकित बनाया जा सके। सरकारियों और निजी संस्थानों से जुड़ी संस्थाएं शैक्षणिक संस्थानों में आधारभूत ढांचे को उपयोगी और समेकित बनाने के लिए सभी जरूरी साधन, उपयोगी उपकरण, जरूरी सूचना और सामाजिक सहयोग प्रदान करेगी।
अभियान के तहत औद्योगिक, सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की दो हजार संस्थाएं वर्तमान वित्त वर्ष में दिव्यांगजनों के समेकित रोजगार के लिए जागरूकता फैलाएगीं। समेकित सामुदायिक जीवन के प्रयास को तभी सफल बनाया जा सकता है जब दिव्यांगजन, उनके परिवार और सीविल सोसाइटी संस्थाएं और राज्य सरकार के बीच आपस में सामंजस्य होता है। समेकित भारत अभियान की शुरूआत दिव्यांगजनों के प्रति आमजनों के बीच जागरूकता फैलाना और लोगों को उनके प्रति संवेदनशील बनाने के लिए हुई थी।
राष्ट्रीय न्यास सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय का सांविधिक निकाए है। इसकी स्थापना 1999 के 44वें अधिनियम के तहत स्वलीनता, प्रमस्तिष्क पक्षाघात, मंद और बहुदिव्यांगजनों के कल्याण के लिए की गई थी। राष्ट्रीय न्यास की परिकल्पना का आधार दिव्यांगजनों और उनके परिवारों की क्षमता विकास, समान अवसर प्रदान करना, अधिकारों की प्राप्ति, दिव्यांगजनों के लिए बेहतर माहौल और समेकित समाज का निर्माण था।