देहरादून: मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सचिवालय में कैबिनेट मंत्री श्री सतपाल महाराज के साथ उनके विभागों सिंचाई, लघु सिंचाई, जलागम, पर्यटन और संस्कृति की समीक्षा की। बैठक में जहां एक ओर मुख्यमंत्री ने विभागों को विभिन्न योजनाओं पर मार्गदर्शन एवं सुझाव दिए वही दूसरी ओर उनके द्वारा किये गये कार्यों पर कई कड़े प्रश्न भी पूछे। सिंचाई, लघु सिंचाई और जलागम द्वारा खेती और किसानों को क्या लाभ मिल रहा है, इसका सीधा-सीधा विवरण विभागों से तलब किया जाए। पर्यटन विभाग को प्रत्येक जनपद में एक नया इको फ्रंेडली डेस्टीनेशन विकसित करने के साथ ही अपेक्षाकृत कम प्रसिद्ध पर्यटन स्थलो का प्रचार-प्रसार करने के निर्देश भी दिए गए। संस्कृति विभाग को थीम पार्क की तर्ज पर उत्तराखण्ड की समग्र संस्कृति, चारधाम एवं अन्य मंदिर, प्रसिद्ध पर्यटन स्थल, वास्तुशिल्प एवं लोककला को एक स्थान पर प्रदर्शित करने के लिए वृहद योजना बनाने के निर्देश दिए गए।
सिंचाई, लघु सिंचाई एवं जलागम:
सिंचाई विभाग की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री ने प्रदेश की नदियों और झीलों के पुनर्जीवन को सिंचाई विभाग की प्रथमिकताओं में शामिल करने के निर्देश दिए। बैठक में बताया गया कि सिंचाई विभाग ने कोसी नदी के पुनर्जीवन के लिए तीन वर्षों हेतु लगभग 53 लाख रूपये की योजना बनाई है। इसी प्रकार भीमताल एवं नौकुचियाताल के लिए भी योजना बनाई जा रही है। नैनी झील के बारे में बताया गया कि अभी तक इसकी देखरेख लोक निर्माण विभाग के अन्तर्गत है, जिस पर मुख्यमंत्री ने नैनीताल के पुनर्जीवन एवं जल संग्रहण को बढ़ाने के लिए इसे सिंचाई विभाग को सौंपने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने देहरादून में रिस्पना व बिंदाल नदियों के पुनर्जीवन के लिए भी सिंचाई विभाग को ठोस कार्ययोजना बनाने के निर्देश दिए। यह भी निर्णय लिया गया कि पंचेश्वर बाँध से सम्बंधित सभी विभागों की मीटिंग मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हर महीने होगी। उन्होंने पूछा कि सिंचाई विभाग ने अचानक नदियों का जल स्तर बढ़ने या किसी प्राकृतिक कारण से नदियों में झील बनने को माॅनीटर करने की क्या व्यवस्था की है। सिंचाई विभाग को इस दिशा में आधुनिक तकनीकि का प्रयोग करने के निर्देश दिए गए। उन्होंने पिथौरागढ़ में प्रस्तावित थारकोट झील को जल संरक्षण के साथ ही जलापूर्ति के लिए उपयोग करने के निर्देश भी दिए। पौड़ी में खैरासैंण रिजर्वायर के लिए शीघ्र अध्ययन कर रिपोर्ट बनाने को कहा। मुख्यमंत्री ने सिंचाई विभाग को गंगा नदी के जल का गौमुख से हरिद्वार तक विभिन्न स्थलों पर प्रयोगशाला परीक्षण करने के निर्देश भी दिए। सिंचाई विभाग द्वारा बताया गया कि वर्तमान में निर्माणाधीन 361 परियोजनाओं की अवशेष लागत 801 करोड़ रूपये है। केन्द्र सहायतित 61 परियोजनाओं में भारत सरकार से 380 करोड़ रूपये अवमुक्त किये जाने की मांग की जानी है। गंगा मैनेजमेंट बोर्ड का प्रस्ताव भारत सरकार को प्रेषित कर दिया गया है। फ्लड प्लेन जोनिंग एक्ट के अन्तर्गत हरिद्वार व उत्तरकाशी के लिए अधिसूचना जारी हो चुकी है। लघु सिंचाई विभाग द्वारा बताया गया कि पूरे प्रदेश में 5.24 लाख हेक्टेयर सिंचन क्षमता विकसित की गई है। इन सिंचाई योजनाओं में गूल, हौज, हाईड्रम, बोरिंग पम्पसैट, नलकूप, आर्टीजन वैल सभी शामिल है। वर्ष 2016-17 में लघु सिंचाई विभाग का बजट 900.3 करोड़ रूपये था और 6 हजार हेक्टेयर सिंचन क्षमता लक्ष्य के सापेक्ष 6 हजार 455 हेक्टेर क्षमता विकसित की गई। मुख्यमंत्री ने लघु सिंचाई और जलागम की सभी परियोजनाओं के नियमित परीक्षण एवं जियो टैगिंग के निर्देश भी दिए। जिससे कार्यों की पारदर्शिता में वृद्धि हो। जलागम विभाग को किसानो के लिए चारा विकास योजना को बढावा देने के निर्देश दिए गए।
पर्यटन एवं संस्कृति:
पर्यटन एवं संस्कृति विभाग की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री ने सभी 13 जनपदो में 13 नये पर्यटन स्थल विकसित करने का टारगेट दिया। इसके साथ ही वर्तमान पर्यटक स्थलों में पर्यटक एवं अन्य आवश्यक अवस्थापना सुविधाओं का अध्ययन कराकर आवश्यक सुधार करने के निर्देश भी दिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि गांवों से पलायन को रोकने के लिए लोगो को पर्यटन आधारित रोजगार उपलब्ध कराया जाए। होम स्टे योजना की बुकिंग को जीएमवीएन व केएमवीएन के पैकेजों में सम्मिलित किया जाए। उत्तराखण्ड के स्थानीय उत्पादों चैलाई, मंडुवा व झंगोरा से बनने वाले प्रसाद को प्रोत्साहित किया जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि एक समय सीमा निर्धारित कर ईलायची दाना के प्रसाद को पूरी तरह से स्थानीय उत्पादों से बनने वाले प्रसाद से रिप्लेस कर दिया जाए। उन्होंने अपेक्षाकृत कम प्रसिद्ध धार्मिक एवं पर्यटन स्थलों की जानकारी का प्रचार-प्रसार करने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने स्थानीय व्यंजनों को प्रोत्साहित करने के लिए डाॅकुमेंटेशन(अभिलेखीकरण) के निर्देश भी दिए। बैठक में बताया गया कि केदारनाथ रोपवे निर्माण हेतु कार्यवाही गतिमान है। केदारनाथ के आस-पास के 9 गांवों के नियोजित विकास हेतु सर्वे और मैपिंग का कार्य कराया जा रहा है। यमुनोत्री-खरसाली रोपवे और देहरादून-मसूरी रोपवे भी पर्यटन विभाग की प्राथमिकताओं में है। स्वदेश दर्शन योजना के अन्तर्गत महाभारत सर्किट तथा एडवेंचर सर्किट तथा प्रसाद योजना के अन्तर्गत बदरीनाथ धाम में अवस्थापना सुविधाओं के विकास हेतु डीपीआर तैयार की जा रही है। घांघरिया से हेमकुण्ड साहिब तक फ्यूनीक्यूलर निर्माण की योजना है। पर्यटन विभाग द्वारा कौशल विकास कार्यक्रम के अन्तर्गत गाईडों, ड्राईवरों, ट्रेक लीडरों, ढ़ाबा संचालकों, सोविनियर बनाने वाले आदि को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। यमुनोत्री, केदारनाथ तथा हेमकुण्ड पैदल मार्ग पर घोडे-खच्चरों की लीद से होने वाली समस्या को दूर करने के लिए पूप कैचर्स अनिवार्य किया जायेगा। केएमवीएन व जीएमवीएन की समीक्षा में मुख्यमंत्री ने दोनो निगमों को योजना बद्ध तरीके से अपने घाटे को कम करने तथा राजस्व के स्रोत्रों को बढ़ाने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि केएमवीएन व जीएमवीएन का मुख्य कार्य पर्यटन आधारित गतिविधियां होनी चाहिए। 12 जून से 08 सितम्बर, 2017 तक प्रस्तावित कैलाश मानसरोवर यात्रा में यात्रियों हेतु आकस्मिक परिस्थितियों के लिए हेलिकाॅप्टर उपलब्ध कराने के निर्देश दिए।
बैठक में मुख्य सचिव श्री एस.रामास्वामी, प्रमुख सचिव डाॅ.उमाकांत पंवार, सचिव मुख्यमंत्री श्रीमती राधिका झा, अपर सचिव पर्यटन श्रीमती ईवा आशीष, एम.डी जीएमवीएन श्री अतुल गुप्ता, एमडी केएमवीएन श्री धीराज गब्र्याल, निदेशक संस्कृति श्रीमती बीना भट्ट सहित शासन एवं विभागों के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।