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सूचना अधिकार अधिनियम का प्रशिक्षण देते राज्य सूचना आयुक्त सुरेन्द्र सिंह रावत

सूचना अधिकार अधिनियम का प्रशिक्षण देते राज्य सूचना आयुक्त सुरेन्द्र सिंह रावत
उत्तराखंड

देहरादून: सूचना अधिकार अधिनियम 2005 का ठीक प्रकार से क्रियान्वयन किये जाने तथा अनुरोधकर्ता द्वारा मांगी गयी मांग अनुसार सूचना निर्धारित समय से उपलब्ध कराने तथा सूचना को सही जानकारी देने के लिए मा0 राज्य सूचना आयुक्त सुरेन्द्र सिंह रावत द्वारा कलैक्टेªट सभागार में जनपद के लोक सूचना अधिकारियों एवं प्रथम विभागीय अपीलीय अधिकारियों को दिये जाने वाले तीन दिवसीय प्रषिक्षण कार्यक्रम में आज प्रथम दिवस दो पालियों में प्रषिक्षण दिया गया।

इस अवसर पर उन्होने उपस्थित लोक सूचना अधिकारियों एवं प्रथम विभागीय अपीलीय अधिकारियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि सूचना अधिकार अधिनियम 2005 के तहत जो भी सूचनाएं कार्यालय में धारित है उसे अनुरोधकर्ता को उसकी मांग के अनुसार मांगी गयी सूचनाओं को 30 दिन के अन्तर्गत उपलब्ध कराना अनिवार्य है। उन्होने कहा कि सूचना अधिकार अधिनिमय के तहत कुल 31 धाराएं हैं, जिसमें धारा 1,2,3,5,6,7,8,9,10 तथा लोक सूचना अधिकारियों से सम्बन्धित हैं तथा धारा 19 प्रथम विभागीय अपीलीय अधिकारी से सम्बन्धित है तथा सभी अधिकारी इन धाराओं का ठीक प्रकार से अवलोकन कर लें इन्ही धाराओं के अन्तर्गत सूचनाओ ंका आदान-प्रदान किया जाये। उन्होने कहा तीस दिन के उपरान्त सूचना निःषुल्क दिये जाने का प्रावधान है। सूचना जो लोक प्राधिकारी के कार्यालय में धारित है या लोक प्राधिकारी के नियंत्रण में है वह ही अनुरोध करने पर उपलब्ध कराई जा सकती है तथा जो सूचना लोक प्राधिकारी के कार्यालय में धारित नही है वह अन्य कार्यालयों से मंगाकर नही देना है, जो सूचना कार्यालय में उपलब्ध नही है वह तैयार करके उपलब्ध नही करानी है, नयी सूचना बनाकर, राय या प्रष्नों के उत्तर सूचना के रूप में नही देनी होती है। सूचना अनुरोध का अन्तरण 5 दिन के अन्दर किया जाना होता है तथा उसकी सूचना से अनुरोधकर्ता को भी अवगत कराना आवष्यक है। उन्होने कहा कि सूचना का अन्तरण तभी किया जाये जब यह निष्चित रूप से ज्ञात हो कि सूचना किस प्राधिकारी से सम्बन्धित है, ज्ञात न होने की दषा में अनुरोधकर्ता को अवगत करा दें कि अनुरोधकर्ता सम्बन्धित लोक सूचना अधिकारी के यहां आवेदन करके सूचना प्राप्त करने का प्रयास करे। सूचना का अनुरोध पत्र यदि किसी अन्य लोक प्राधिकारी के लोक सूचना अधिकारी द्वारा अन्तरण किये जाने पर प्राप्त होता है तो तब सूचना धारित होने पर सूचना देने पर विचार करें, अन्यथा अनुरोधकर्ता को अवगत करा दें की सूचना कार्यालय में धारित नही है, परन्तु किसी भी दषा में सूचना का अनुरोध पत्र पुनः किसी लोक प्राधिकारी के लोक सूचना अधिकारी को अन्तरण न किया जाये। उन्होने बताया कि सूचना के लिए अनुरोध पत्र प्राप्त होने पर सूचना के लिए षुल्क तथा सूचना अनुरोधकर्ता को पंहुचाने का वास्तविक व्यय सूचना के लिए अनुरोधकर्ता से यथाषीघ्र पत्र प्रेशित करके मांगे, यह पत्र अनुरोध पत्र प्राप्त होने के 29 दिन बाद या अधिक समय बाद नही भेजा जा सकता है, 30 दिन का समय व्यतीत होने पर निःषुल्क सूचना देने का प्रावधान है। उन्होने बताया कि सूचना के लिए अनुरोधकर्ता को सूचना उपलब्ध कराने की प्रक्रिया में जहां तीसरे पक्ष की सूचना प्रकाषन पर अपना पक्ष रखने का अवसर दिया जाता है उन मामलों में सूचना अनुरोधकर्ता को देने का निर्णय 30 दिन के स्थान पर 40 दिन में लिया जा सकता है।
उन्होने प्रथम अपीलीय प्राधिकारी के दायित्वों की जानकारी देते हुए कहा कि  प्रथम अपील प्राप्त होने के 30 दिन के अन्दर निस्तारित करनी चाहिए, अपरिहार्य परिस्थितियों में कारण अभिलिखित कर अपील निस्तारण की अवधि 15 दिन और बढायी जा सकती है। उसके बाद अपीलीय प्राधिकारी अपील पर विचार नही कर सकते। अपीलीय प्राधिकारी को अपीलार्थी को अपना पक्ष रखने के लिए अपील सुनवाई के लिए नोटिस द्वारा पर्याप्त समय देना चाहिए। अपीलार्थी द्वारा अपना पक्ष प्रस्तुत होने पर उसके आलोक में अपील निस्तारित करना चाहिए, यदि अपीलार्थी उपस्थित नही होता है तो पत्र में जो कथन किया गया है उसके आधार पर अपील निस्तारण करना चाहिए। उन्होने कहा की अपील निस्तारण के लिए सूचना का अनुरोध पत्र लोक सूचना अधिकारी द्वारा दी गयी सूचना अथवा उत्तर को अवष्य देखना चाहिए तथा प्रत्येक बिन्दु की सूचना पूर्ण रूप से स्पश्ट  व सत्य दी गयी  है अथवा न देने का की दषा में सूचना न देने के जो कारण बताये गये हैं उनके औचित्य को जांचे, तक सुस्पश्ट रूप में प्रत्येक बिन्दु की  सूचना उपलब्ध कराने का परीक्षण कर सुस्पश्ट निर्णय लिखा जाये। उन्होने यह भी अवगत कराया कि जिस सूचना के लिए पूर्व में ही राज्य सरकार द्वारा षुल्क निर्धारित किया गया हो ऐसी सूचना अधिकार अधिनियम के तहत दिये जाने के लिए बाध्य नही है यदि कोई अनुरोधकर्ता ऐसी सूचना मांगता है तो अनुरोधकर्ता को अवगत करा दिया जाये कि सम्बन्धित सूचना सम्बन्धित विभाग में सूचना धारित है तथा इसका षुल्क जमा करने पर सम्बन्धित विभाग से प्राप्त की जा सकती है। उन्होने यह भी कहा  कि जो बी.पी.एल अनुरोधकर्ता को सूचना निःषुल्क देने का प्राविधान है किन्तु उन्हे 100 रू0 तक की ही सूचना निःषुल्क उपलब्ध कराई जा सकती है यदि सूचना 100 रू0 से उपर की है तो उन्हे निर्धारित दर के अनुसार ही बाकी सूचना प्राप्त करने के लिए षुल्क जमा करना होगा। उन्होने यह भी कहा कि कार्यालय में यदि सीमित बजट है तथा सूचना उपलब्ध कराने में ज्यादा व्यय हो रहा है तो ऐसे मामलों में अनुरोधकर्ता से पत्रावलियों का अवलोकन कराया जा सकता है। उन्होने यह भी कहा कि 48 घण्टे में वही सूचना दी जा सकती है जिसमें जीवनमरण एवं स्वतंत्रता से सम्बन्धित है वही सूचना 48 घण्टे में दी जा सकती है।
इस अवसर  पर जिलाधिकारी एस.ए मुरूगेषन, अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व वीर सिंह बुदियाल, अपर जिलाधिकारी प्रषासन अरविन्द कुमार पाण्डेय, लोक सूचना अधिकारी कलैक्टेªट महावीर चमोली सहित जनपद के लोक सूचना अधिकारी एवं प्रथम विभागीय अपीलीय अधिकारी मौजूद थे।

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