नई दिल्लीः सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत के समापन संबोधन के साथ ही सेना कमांडरों का सम्मेलन 22 अप्रैल, 2017 को संपन्न हो गया। सेना कमांडरों का द्विवार्षिक सम्मेलन 17 अप्रैल, 2017 को शुरू हुआ था।
अपने समापन संबोधन में सेना प्रमुख ने सेना के मुकाबलों को प्रभावी बनाए रखने के लिए सहयोगात्मक तरीके से कार्य करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि सेना के सतत और समग्र आधुनिकीकरण की आवश्यकता है, जिसमें मुकाबले, हथियार और वायु रक्षा तथा उड्डयन उच्च प्राथमिकता के क्षेत्र हैं। सम्मेलन में निर्णय लिया गया कि राज्य सरकारों के माध्यम से बुनियादी ढांचा विकसित करने के लिए भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया में तेजी लाने की एक व्यापक योजना बनाई जाए। वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल बी.एस. धनोवा और नौसेना प्रमुख एडमिरल सुनील लांबा ने भी सम्मेलन को संबोधित करते हुए संयुक्त परिचालन दर्शन विकसित करने पर बल दिया। सम्मेलन के एक सत्र के दौरान प्रशासनिक और आधुनिकीकरण के मुद्दों पर कुशल कार्ययोजना विकसित करने के लिए रक्षा मंत्रालय के साथ भी चर्चा की गई।
चर्चा के दौरान मानव संसाधन नीति की जटिलता के महत्वपूर्ण मुद्दे पर भी विचार विमर्श किया गया। अधिक व्यावहारिक मानव संसाधन योजना विकसित करने के लिए प्रोत्साहित किया गया।
इस दौरान सेना प्रमुख ने नीति बनाने में अधिक सहभागिता के स्वरूप के बारे में बताया। इसी के अनुसार सेना मुख्यालय की संबंधित शाखाओं से कार्यालयों, शाखाओं और कर्मियों के साथ व्यापक बातचीत करने के निर्देश दिए गए।
सेना कमांडरों का सम्मेलन भारतीय सेना की योजना बनाने और निष्पादन प्रक्रिया के लिए महत्वपूर्ण होता है।