नई दिल्ली: भारतीय इस्पात प्राधिकरण लिमिटेड (सेल) की 45वीं वार्षिक आम बैठक को संबोधित करते हुए सेल के अध्यक्ष श्री पी.के. सिंह कंपनी के परिचालन के हर क्षेत्र में किये गये अनेक प्रबंधन प्रयासों की मदद से इस वित्तीय वर्ष (2017-18) से कंपनी के कार्य प्रदर्शन में सुधार आने के बारे में आश्वस्त थे। उन्होंने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था में विकास के मौजूदा चरण के अलावा अगले दशक में भी कंपनी की आर्थिक स्थिति के लिए प्रगति मार्ग प्रशस्त होने की संभावना है। इससे भविष्य में देश में इस्पात की मांग में महत्वपूर्ण बढ़ोतरी दिखाई देगी। सेल का नई और बेहतर प्रौद्योगिकी को अपनाकर क्षमता बढ़ोतरी, उत्पाद में विशिष्टता और ग्राहक संतुष्टि द्वारा इस्पात मांग में बढ़ोतरी का लाभ उठाने का लक्ष्य है। विश्व इस्पात संघ ने भी अपने दृष्टिकोण में भारत में 2017 के दौरान इस्पात की खपत में 6.1 प्रतिशत की वृद्धि होने की भविष्यवाणी की है। कंपनी ने अपनी स्थापना से लेकर 475 मिलियन टन कच्चे इस्पात का उत्पादन किया है और इस्पात की जरूरत वाली सभी प्रमुख राष्ट्रीय परियोजनाओं में भागीदारी की है। उन्होंने यह भी कहा कि कंपनी ने पिछले वर्ष की तुलना में वित्त वर्ष 2016-17 के दौरान 14 प्रतिशत अधिक टर्नओवर अर्जित किया है। इसमें पांच एकीकृत इस्पात संयंत्रों के बिक्री योग्य इस्पात की बिक्री मात्रा (इसमें 8 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है) और निवल बिक्री प्राप्ति (एनएसआर) में हुई वृद्धि का योगदान रहा। एनएसआर में बढ़ोतरी में मूल्य स्तरों में हुए समग्र सुधार और कंपनी के उत्पादन मिश्रण में हुई प्रगति के लिए किये गये उपायों का योगदान रहा।
उत्पाद मूल्य संवर्द्धन के लिए कंपनी के विकास प्रयासों में हुई प्रगति को साझा करते हुए उन्होंने कहा कि सेल ने अपने उत्पाद मिश्रण में महत्वपूर्ण मूल्य संवर्द्धन किया है। तेल और गैस क्षेत्र के लिए आरएसपी न्यू प्लेट मिल से एपीआई एक्स-70 जैसे इस्पात के ऊंचे ग्रेडों, ऑटोमोटिव क्षेत्र के लिए सेल एचटी-600 और बोकारो स्टील प्लांट से उच्च क्षमता एलपीजी स्टील ग्रेड की सहायता से सेल ने अपने उत्पाद मिश्रण में महत्वपूर्ण मूल्य सवंर्द्धन किया है। उत्पाद विकास के इन सतत प्रयासों में आधुनिकतम और विस्तार योजना के तहत शुरू किये गये अति आधुनिक मिलों में चलाए जा रहे व्यापक अनुसंधान और विकास कार्यक्रमों का योगदान है। सेल के भिलाई इस्तात संयंत्र में अति आधुनिक न्यू यूनिवर्सल रेल मिल का इस वर्ष माननीय इस्पात मंत्री ने उद्घाटन किया था। यहां पर विश्व की सबसे लम्बी 130 मीटर की एकल पीस रेल पटरी का उत्पादन किया जा रहा है और भारतीय रेलवे को 260 मीटर रेल पैनलों की आपूर्ति की जा रही है। राउरकेला इस्पात संयंत्र में लगी नई ब्लास्ट फर्नेस ने अपनी क्षमता का शतप्रतिशत उत्पादन अर्जित किया है, जबकि न्यू प्लेट मिल ने भी अपनी अधिकतम क्षमता के आस-पास ही उत्पादन किया है। निकट भविष्य में यह भी शतप्रतिशत क्षमता पर परिचालित होगी। उन्होंने इस्पात उद्योग में वैश्विक प्रवृत्तियों के बारे में आश्वासन देते हुए कहा कि विश्व आर्थिक रिकवरी पटरी पर है और वैश्विक प्रगति में तेजी आएगी, जो पूरे विश्व में औद्योगिक विनिर्माण गतिविधियों के लिए एक अच्छा संकेत है। भारत की 2017 में विश्व की पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की संभावना है, जो इंग्लैंड और फ्रांस को पीछे छोड़कर 2022 तक विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगी तथा जर्मनी और जापान इससे पीछे रहेंगे। भारत का सकल घरेलू उत्पाद 2016 में 2.2 ट्रिलियन अमरीकी डॉलर से बढ़कर 2020 तक 3.6 ट्रिलियन अमरीकी डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। इस प्रकार की प्रगति से इस्पात की मांग में निश्चित रूप से बढ़ोतरी होगी और खपत काफी बढ़ेगी। अपने परिचालन को नया रूप देने के बारे में कंपनी के नये प्रयासों के बारे में उन्होंने कहा कि इनमें सेल का इस्पात गांवों की ओर अभियान ग्रामीण भारत में इस्पात की खपत बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। ऐसे समय जब सरकार की नीतियों और विकास लक्ष्यों की मदद से घरेलू इस्पात मांग में सुधार हो रहा है, सेल भी बाजार की जरूरतों को पूरा करने के लिए अपने आपको बड़ी तेजी से सुसज्जित कर रहा है।