नई दिल्ली: विभिन्न स्तंभ लेखकों ने सैनिटरी नैपकिन पर जीएसटी दर को लेकर कुछ टिप्पणियां की हैं। यहां पर इस बात का उल्लेख किया जा रहा है कि इस वस्तु पर कुल टैक्स जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) लागू होने के बाद भी उतना ही है, जितना जीएसटी से पहले था।
सैनिटरी नैपकिन शीर्षक 9619 के तहत वर्गीकृत हैं। जीएसटी से पहले सैनिटरी नैपकिन पर 6 प्रतिशत का रियायती उत्पाद शुल्क एवं 5 प्रतिशत वैट लगता था और सैनिटरी नैपकिन पर जीएसटी पूर्व अनुमानित कुल टैक्स देनदारी 13.68 प्रतिशत थी। अत: 12 प्रतिशत की जीएसटी दर सैनिटरी नैपकिन के लिए निर्धारित की गई है।
सैनिटरी नैपकिन बनाने में इस्तेमाल होने वाले प्रमुख कच्चे माल और उन पर लागू जीएसटी दरें निम्नलिखित हैं –
क) 18 प्रतिशत जीएसटी दर
- सुपर अवशोषक पॉलीमर
- पॉली एथिलीन फिल्म
- गोंद
- एलएलडीपीई- पैकिंग कवर
ख) 12 प्रतिशत जीएसटी दर
- थर्मो बांडेड नॉन-वूवन
- रिलीज पेपर
- लकड़ी की लुगदी
चूंकि सैनिटरी नैपकिन बनाने में उपयोग होने वाले कच्चे माल पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगता है, अत: सैनिटरी नैपकिन पर यदि 12 प्रतिशत जीएसटी लगता है, तो भी यह जीएसटी ढांचे में ‘विलोम (इन्वर्टेड)’ को दर्शाता है। वैसे तो मौजूदा जीएसटी कानून के तहत इस तरह के संचित आईटीसी को रिफंड कर दिया जाएगा, लेकिन इसमें संबंधित वित्तीय लागत (ब्याज बोझ) और प्रशासनिक लागत शामिल होगी, जिससे आयात के मुकाबले यह अलाभ की स्थिति में रहेगा। इसके आयात पर 12 प्रतिशत आईजीएसटी भी लगेगा। हालांकि, फंड की रुकावट के कारण कोई अतिरिक्त वित्तीय लागत और रिफंड की संबंधित प्रशासनिक लागत शामिल नहीं होगी।
यदि सैनिटरी नैपकिन पर जीएसटी दर 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दी जाती है, तो ‘टैक्स विलोम (इन्वर्टेड)’ और ज्यादा बढ़ जाएगा तथा ऐसे में आईटीसी का संचयन भी और ज्यादा हो जाएगा। इसके अलावा फंड की रुकावट के कारण वित्तीय लागत तथा रिफंड की संबंधित प्रशासनिक लागत भी बढ़ जाएगी तथा वैसी स्थिति में आयात के मुकाबले घरेलू निर्माता और भी ज्यादा अलाभ की स्थिति में आ जाएंगे।
हालांकि, सैनिटरी नैपकिन पर जीएसटी दर को घटाकर शून्य कर देने पर सैनिटरी नैपकिन के घरेलू निर्माताओं को कुछ भी आईटीसी देने की जरूरत नहीं पड़ेगी तथा शून्य रेटिंग आयात की स्थिति बन जाएगी। शून्य रेटिंग आयात के कारण देश में तैयार सैनिटरी नैपकिन इसके आयात माल के मुकाबले बेहद ज्यादा अलाभ की स्थिति में आ जाएंगे।