नई दिल्ली : कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने आज साफ शब्दों में अपने रिटायरमेंट का एलान कर दिया. कल से उनके पुत्र व राहुल गांधी कांग्रेस अध्यक्ष बन जायेंगे और पूरी तरह 135 साल पुरानी पार्टी की कमान संभाल लेंगे. सोनिया गांधी के बड़े राजनीतिक आभामंडल के कारण भले ही उनके रिटायरमेंट पर परदा डालने के लिए कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा हो कि मैडम पार्टी के अध्यक्ष पद से रिटायर हो रही हैं, राजनीति से नहीं, लेकिन सोनिया ने आज जो संकेत दिये हैं वह कुछ और सच बयां करते हैं. सोनिया गांधी 71 साल की हो गयी हैं और अपनी उम्र के अनुसार, वे पार्टी में सत्ता हस्तांतरित कर रही है, जो वाजिब है. लेकिन, सबसे बड़ा सवाल यह है कि अगर 2019 में वे लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगी तो रायबरेली से कांग्रेस की ओर से उम्मीदवार कौन होगा?
राजनीतिक हलकों में यह चर्चा आम है कि सोनिया गांधी अगर रायबरेली से चुनाव नहीं लड़ेंगी तो उनकी जगह उनके बेटे राहुल गांधी वहां से मुकाबले में उतरेंगे. वहीं, अमेठी से नेहरू-गांधी परिवार के किसी और शख्स को मैदान में उतारा जा सकता है. संभावना है कि वह नाम प्रियंका गांधी भी हो सकती हैं.
वरुण गांधी लंबे अरसे से भाजपा में राजनीतिक उपेक्षा झेल रहे हैं. जब उनकी मां मेनका गांधी ने यह बयान दिया था कि यूपी की जनता वरुण को मुख्यमंत्री के रूप में देखना चाहती है, तब इसे भारतीय जनता पार्टी में पसंद नहीं किया गया था. वरुण गांधी अक्सर पार्टी लाइन से अलग बयान देते रहे हैं, जिससे उनकी नाराजगी पता चलती है. उन्हें न को केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार में कोई जगह मिली और न ही अपने गृहप्रदेश उत्तरप्रदेश में संगठन या सरकार में कोई अहमियत.
भाजपा की राजनीति ऐसी है, जो वरुण गांधी के लिए इस मायने में पीड़ादायक है कि वे अक्सर इंदिरा गांधी और पंडित जवाहर लाल नेहरू के कामकाज पर सवाल उठाते रहते हैं. इंदिरा गांधी वरुण गांधी की दादी थीं और पंडित नेहरू परदादा. ऐसे में उस परिवार के वंशज होने के नाते ऐसी आलोचनाएं असहज स्थिति उत्पन्न करती हैं.
एक पुरानी धारणा है कि संकट के समय एक कुनबे के असहमति वाले लोग भी एक साथ आ जाते हैं. ऐसे में पुरानी खटास के बावजूद इस संभावना को खारिज नहीं किया जा सकता है कि राहुल गांधी एवं वरुण गांधी एक साथ हो सकते हैं. पिछले दिनों कुछ मीडिया संस्थानों ने यह खबर प्रमुखता से छापी भी थी कि राहुल गांधी के अध्यक्ष बनने के बाद वरुण गांधी कांग्रेस में आ सकते हैं. राहुल गांधी कांग्रेस के नये अध्यक्ष के रूप में अपनी टीम बनायेंगे और वरुण के साथ सहमति बनने की स्थिति में उन्हें कोई अहम जगह दी जा सकती है. वरुण गांधी यूपी में कांग्रेस के चेहरा भी हो सकते हैं. प्रियंका गांधी दोनों भाइयों के बीच एक कड़ी साबित हो सकती हैं और इन भाई-बहनों के निजी रिश्ते अच्छे हैं, भले ही उनकी पुरानी पीढ़ी में कुछ मतभेद रहे हों.
अगर भविष्य में ऐसा कोई समीकरण बनता है तो नेहरू-गांधी परिवार की नयी पीढ़ी तीनों सीटों का प्रतिनिधित्व करते दिखे तो इसमें आश्चर्य नहीं होना चाहिए.
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