16.4 C
Lucknow
Online Latest News Hindi News , Bollywood News

स्थानीय होटल में आयोजित सतत् पर्वतीय विकास सम्मेलन को सम्बोधित करते हुएः सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत

स्थानीय होटल में आयोजित सतत् पर्वतीय विकास सम्मेलन को सम्बोधित करते हुएः सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत
उत्तराखंड

देहरादून: मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने एक स्थानीय होटल में आयोजित सतत् पर्वतीय विकास सम्मेलन का उद्घाटन किया। हिमालय दिवस के अवसर पर आयोजित इस दो-दिवसीय सम्मेलन का आयोजन राज्य के नियोजन विभाग द्वारा किया जा रहा है। सम्मेलन को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने हिमालय संरक्षण के लिए ‘थ्री सी’ और ‘थ्री पी’ का मंत्र दिया। थ्री सी यानी केयर, कंजर्व और को-ऑपरेट एवं थ्रीपी यानी प्लान, प्रोड्यूस और प्रमोट। मुख्यमंत्री ने राज्य में वृक्षारोपण और पर्यावरण संरक्षण के उद्देश्य से ईको टास्क फोर्स की दो कंपनियां गठित करने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि इन दो कंपनियों में लगभग 200 पूर्व सैनिक सेवा देंगे और आने वाले वर्षों में इस पर लगभग 50 करोड़ रुपए, व्यय का अनुमान है। हिमालय दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री ने वैज्ञानिकों, पर्यावरणविदों और अन्य कर्णधारों से देहरादून की रिस्पना नदी को फिर से पुराने स्वरूप में लाने की अपील भी की। मुख्यमंत्री ने कहा कि रिस्पना नदी जिसे पूर्व में ऋषिपर्णा नदी कहा जाता था, उसे फिर से प्रदूषण मुक्त और निर्मल जल से युक्त करने के लिए लोग अपने सुझाव दें।

मुख्यमंत्री ने कहा कि गंगा की परिकल्पना बिना हिमालय के नहीं हो सकती है और देश और दुनिया की गंगा के प्रति आस्था यह व्यक्त करती है कि उनकी हिमालय के प्रति भी आस्था है। हिमालय, भारत का भाल तो है ही, सामरिक दृष्टि से भारत की ढाल भी है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उनके द्वारा पिछले 03 माह से जल संचय जीवन संचय और एक व्यक्ति एक वृक्ष का जो अभियान चलाया जा रहा है, वह हिमालय संरक्षण की दिशा में ही एक कदम है। उन्होंने कहा कि हिमालय के गांवों से बाहर निकलकर प्रवासी हो चुके लोगों को ‘सेल्फी फ्रॉम माय विलेज’ और जन्मदिन-विवाह की वर्षगांठ जैसे महत्वपूर्ण समारोह को अपने गांव में मनाने की अपील भी इसी दिशा में एक प्रयास है। इसी बहाने लोग अपने गांव में कुछ दिन गुजारेंगे और पर्वतीय प्रदेश से उनका रिश्ता फिर से मजबूत होगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमालय हमारे जीवन के हर सरोकार से जुड़ा हुआ है। भारतीय संस्कृति का जन्मदाता भी हिमालय है। हिमालय की चिंता सिर्फ सरकार करें यह संभव नहीं है, अधिकतम जन सहभागिता की आवश्यकता है। समाज के हर छोटे बड़े प्रयास की आवश्यकता है।

मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर नियोजन विभाग द्वारा राज्य की बेस्ट प्रैक्टिसेज को दर्शाने के लिए बनाई गई वेबसाइट ‘‘ट्रांसफॉर्मिंग उत्तराखंड’’ का विमोचन किया। उन्होंने प्रसिद्ध पर्यावरणविद डॉ.अनिल जोशी द्वारा लिखी गई पुस्तक ‘‘हिमालय दिवस’’ का भी विमोचन किया।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री एवं सांसद हरिद्वार डॉ.रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि जल, जंगल, जमीन और जन को एक साथ मिलाकर समन्वित प्रयास करके हिमालय को बचाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि हर हिमालयी राज्य की अपनी विशेष आवश्यकताएं होती हैं और उनको ध्यान में रखते हुए योजनाओं को नियोजित किए जाने की जरूरत है। डॉ.अनिल जोशी ने कहा कि उत्तर प्रदेश, बिहार, बंगाल जैसे राज्य जो हिमालय की संपदा का अधिक लाभ उठाते हैं, उन्हें भी आगे बढ़कर जिम्मेदारी लेनी चाहिए। उन्होंने कहा कंज्यूमर को कंट्रीब्यूटर भी होना चाहिए।

आईएमआई के सचिव श्री सुशील रमोला ने कहा कि हिमालय को बचाने के लिए सभी स्टेकहोल्डर्ज को साथ में मिलकर प्रयास करने होंगे। उन्होंने हिमालयी राज्यों के इंटर रीजनल पार्टनरशिप पर भी बल दिया।

अपर मुख्य सचिव डाॅ.रणवीर सिंह ने लोगों का स्वागत करते हुए सतत् पर्वतीय विकास सम्मेलन की आवश्यकता और महत्व को बताया। उन्होंने ग्लोबल वार्मिंग और पलायन जैसे मुद्दों पर अपने विचार रखे।

कार्यक्रम को परमार्थ निकेतन के स्वामी चिदानंद मुनि ने भी संबोधित किया। उद्घाटन सत्र के कार्यक्रम में शासन के वरिष्ठ अधिकारी, पर्यावरणविद्, शिक्षाविद और गणमान्य अतिथि उपस्थित थे।

Related posts

Leave a Comment

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More