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स्वामी हरि चैतन्यपुरी के स्वागत पर आयोजित सम्मान समारोह को संबोधित करते हुएः सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत

उत्तराखंड

देहरादून: मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत आई.आर.डी.टी. प्रेक्षागृह सर्वे चैक में सियोल दक्षिण कोरिया में अन्तर्राष्ट्रीय धर्मसंसद व शांति सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व कर लौटे स्वामी हरि चैतन्यपुरी के स्वागत व सम्मान समारोह में सम्मिलित हुए। उन्होंने स्वामी हरि चेतन्यपुरी का स्वागत करते हुए कहा कि स्वामी जी ने सियोल में भारतीय आध्यात्म, जीवन दर्शन एवं सांस्कृतिक विरासत पर किये गए उद्बोधन से विश्व पटल पर भारत के समृद्ध ज्ञान की पहचान हुयी है। इस सम्मेलन में निर्धारित 02 मिनट के समय के बावजूद स्वामी जी को 8.5 मिनट तक एक से अधिक बार सम्बोधन का मौका मिला, जो विश्व में भारतीय जीवन दर्शन के प्रति लोगों के आकर्षण का भी प्रतीक है।

उन्होंने कहा कि जब भी भारतीय सन्त भारतीयता को लेकर दुनिया के देशों में गए तो दुनिया नतमस्तक हुई है। भारतीय धर्म ध्वजा लेकर जब विवेकानन्द शिकागो गए तो तब वे दुनिया के सामने अन्जान थे, लेकिन जब उन्होंने अपने विचार व्यक्त किए तो समय सीमा की दीवार ही नहीं टूटी बल्कि वे बोलते गए तथा उपस्थित विश्व के प्रतिनिधि सुनते रहे। यही नेक कार्य स्वामी विवेकानन्द के बाद स्वामी हरि चेतन्यपुरी जी ने सियोल में किया है। उन्होंने कहा कि भारत की धर्म ध्वजा को सियोल में फहराने वाले सन्त का देवभूमि उत्तराखण्ड में स्वागत है।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए स्वामी हरि चैतन्यपुरी ने कहा कि उन्होंने भारत का गौरव नही बढ़ाया बल्कि  भारत में जन्म लेकर उनका गौरव बढ़ा है। उन्होंने उत्तराखण्ड को देवभूमि, गंगा यमुना का उद्गम स्थल तथा भारतीय संस्कृति को सम्मान देने वाला बताया। उन्होंने कहा कि कौशिश करने वालो की कभी हार नही होती। हमें प्रण करना होगा की हमें कुछ करके दिखाना है। यदि हमारे अंदर कुछ करने की चाह हो तो कुछ भी असंभव नही होता। भारतीय संस्कृति को अपनाने तथा पाश्चात्य सभ्यता का अन्धानुकरण बंद करने की उन्होंने सीख दी। भारतीय संस्कृति पर सदियों तक आक्रमण होते रहे है लेकिन कोई उसे मिटा नही सका और न ही उसे अब कोई नष्ट कर सकेगा।

उन्होंने कहा कि आध्यात्म को व्यवसाय न बनाकर उसे जीवन में अपनाने से ही भारत विश्व शांति का अग्रदूत बनेगा। अपना आत्मविश्वास न डिगने दें। अभिमान न करें। ’’हारिये न हिम्मत विसारिये न राम’’ अपने भाग्य का निर्माता मनुष्य स्वयं है। यदि हम कोशिश करेंगे तो भाग्य को संवारने की हिम्मत ईश्वर देगा। जीते जी इतिहास बनाने वालो का सम्मान किया जाना चाहिए। एडमण्ड हिलेरी ने कई बार प्रयास करने के बाद ही एवरेस्ट की चैटी फतह की थी। यदि वह भी निराश व हताश हो जाता तो शायद वह इस कार्य में सफल नही हो पाता। हमें प्रयासों पर ध्यान देना होगा। जिन्होंने भी कोई मुकाम बनाया है, वह भी हमारे ही बीच के है। ऊंची ऊंची इमारतें भी इसी जमीन पर बनी है।

स्वामी हरि चैतन्यपुरी ने कहा कि भारतीय संस्कृति हमें आगे बढ़ने की हिम्मत दिखाती है। वह हमें कमजोर, डरपोक व कायर बनना नही सिखाती है। महाराणा प्रताप व गुरू गोविन्द सिंह इसके प्रमाण है। अंधेरे का राग अलापने से कुछ नही होगा। अमावस को दीपों की जगमगाहट से हम इसे दूर कर सकते है। एक दिया अंधेरे से लोहा ले सकता है, तो हम क्यों नही। हम कोशिश करके ही देश व प्रदेश को चरमोत्कर्ष पर पहुंचाने में मदद कर सकते है। यह भारत के चिन्तन की विशेषता है कि वह समूची पृथ्वी ही नही बल्कि अंतरिक्ष में भी शांति की बात करती है।

उन्होंने कहा कि सम्पूर्ण विश्व सामूहिक एकता के बल पर ही आतंकवाद के खिलाफ लोहा ले सकता है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने योग को विश्व में पहचान दिलाई है उनकी पहल से भारत जगदगुरू बने इसके लिये हम सबको सकारात्मक ढंग से सोचना होगा।

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष श्री अजय भट्ट ने कहा कि स्वामी हरि चैतन्यपुरी ने विश्व में भारत का गौरव बढ़ाया है। उन्होंने स्वामी हरि चैतन्यपुरी के प्रयासों की सराहना की। कार्यक्रम का संचालन मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार श्री रमेश भट्ट द्वारा किया गया।

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